लगभग 80 हज़ार आबादी वाला यह गाँव 22 पट्टी या टोले में बँटा हुआ है और प्रत्येक पट्टी किसी न किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के नाम पर है ! यहाँ के लोग फौजियों की जिंदगी से इस कदर जुड़े हैं कि चाहे युद्ध हो या कोई प्राकृतिक विपदा यहाँ की महिलायें अपने घर के पुरूषों को उसमें जाने से नहीं रोकती, बल्कि उन्हें प्रोत्साहित कर भेजती हैं !
गाँव में भूमिहार को छोड़ वैसे सभी जाति के लोग रहते हैं, लेकिन सर्वाधिक संख्या राजपूतों की है और लोगों की आय का मुख्य स्रोत नौकरी ही है ! प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध हों या 1965 और 1971 के युद्ध या फिर कारगिल की लड़ाई, सब में यहाँ के फौजियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया ! विश्वयुद्ध के समय में अँग्रेजों की फौज में गहमर के 228 सैनिक शामिल थे, जिनमें 21 मारे गए थे ! इनकी याद में गहमर मध्य विधालय के मुख्य द्वार पर एक शिलालेख लगा हुआ है !
गहमर के भूतपूर्व सैनिकों ने पूर्व सैनिक सेवा समिति नामक संस्था बनाई है ! प्रत्येक रविवार को समिति की बैठक होती है जिसमें गाँव और सैनिकों की विभिन्न समस्याओं सहित अन्य मामलों पर विचार किया जाता है ! गाँव के लड़कों को सेना में भर्ती के लिए आवश्यक तैयारी में भी मदद दी जाती है !"
गहमर भले ही गाँव हो, लेकिन यहाँ शहर की तमाम सुविधायें विद्यमान हैं ! गाँव में ही टेलीफ़ोन एक्सचेंज, दो डिग्री कॉलेज, दो इंटर कॉलेज, दो उच्च विधालय, दो मध्य विधालय, पाँच प्राथमिक विधालय, स्वास्थ्य केन्द्र आदि हैं !
गहमर रेलवे स्टेशन पर कुल 11 गाड़ियाँ रूकती हैं और सबसे कुछ न कुछ फौजी उतरते ही रहते हैं लेकिन पर्व-त्योहारों के मौक़े पर यहाँ उतरने वाले फौजियों की भारी संख्या को देख ऐसा लगता है कि स्टेशन सैन्य छावनी में तब्दील हो गया हो !