कलोंनिंग (Clonning) क्या है?

क्लोनिंग क्या है?
Om Prakash Patidar

जीव विज्ञान में प्रतिरूपण (Clonnon) आनुवांशिक रूप से समान प्राणियों को करने की प्रक्रिया है। सरल भाषा मे कलोंनिंग एक ही जीव (माता अथवा पिता) की कोशिका से नया जीव प्राप्त करने की प्रक्रिया है। यह हुबहु अपने पैतृक जीव जैसा होता है।

क्लोनिंग एक ऐसा जीव है जो अलैंगिक विधि द्वारा एकल जनक (माता या पिता) से विकसित होता है। यह केवल शारिरीक गुणों में नहीं बल्कि आनुवांशिक गुणों में भी अपने जनक के समरूप होता है। वास्तव में यूँ ही कहा जाता है कि क्लोन अपने जनक की पूर्ण प्रतिलिपि होता है जबकि कोई सामान्य जीव अपने माता तथा पिता दोनों के मिश्रित गुणों से विकसित होता है।


डॉली प्रथम स्तनधारी क्लोनिंग से उत्पन्न भेड़ (05/07/1996) है, यह एक वयस्क अंडे से सफलतापूर्वक प्रतिरूपित की गई पहली स्तनपायी थी, हालांकि इससे पहले क्लोनिंग से प्राप्त  मेरुदण्डीय प्राणी (vertebrate) एक मेंढक था, जिसे 1952 में प्रतिरूपित किया गया था।उसे स्कॉटलैंड स्थित रॉसलिन संस्थान (Roslin Institute) में प्रतिरूपित किया गया और वह छः वर्ष की आयु में हुई अपनी मृत्यु (14/02/2003) उसके भरे हुए अवशेष एडिनबर्ग के शाही संग्राहलय में रखे गए है।



कलोंनिंग की समस्याए:-
1- सफलता की दर काफी कम, डाली को बनाने में लगभग 270 बार प्रयास करना पड़ा था।
2- क्लोन में उम्र बढ़ने की गति सामान्य जीव की तुलना में काफी तेज हो सकती है।

कलोंनिंग के लाभः-
1. क्लोनिंग की प्रक्रिया उन पौधों के लिए अधिक उपयोगी है, जिनके बीज बहुत  और बहुत धीरे-धीरे निकलते है। जैसे चन्दन और रबर के पेड़। ये पौधे बाँस के पौधों की तुलना में विकसित होने, बढ़ने में काफी समय लगाते हैं।
क्लोनिंगके द्वारा ऐसे पौधों की वृद्धि तेजी से की जा सकती है। व्यावसायिक फसलों जैसे गन्ना और हल्दी को प्रत्यारोपण द्वारा लगाने में बहुत समय लगता है। इन पौधों की तेजी से वृद्धि इन-विट्रो क्लोनिंग तकनीक को अपनाया जा सकता है।

2- क्लोनिंग की प्रक्रिया को पौधों की वृद्धि, रोग-निरोधक व रसायन-प्रतिरोधी क्षमता को उपयुक्तता प्रदान करने के लिए भी किया जाता हैं।
3- क्लोनिंग की सर्वाधिक लाभप्रदा विशेषता यह है कि इसके द्वारा विभिन्न जलवायुविक एवं प्रतिकूल कृषि मौसम दशाओं में उत्पादकता प्रदान करने वाली पादप-प्रजातियों का विकास किया जा रहा है। जैसे इसके द्वारा मरुस्थल में जल्दी से बढ़ने वाले पादपों की किस्मों को तैयार करना।

4- राष्ट्रीय महत्व के वन-वृक्षों की फसल के विकास में क्लोनिंग तकनीक की प्रभावी माना गया है।
5- इससे सम्बद्ध होने वाले अनुसन्धान से मानवीय उम्र वृद्धि की प्रक्रिया के कारणों को जाना जा सकता है तथा इस प्रयोग को रोका भी जा सकता है।
6- मानव क्लोनिंग से सम्बद्ध अनुसन्धान से यह समझने में सुविधा होगी कि क्यों कोई वयस्क कोशिका अपने एम्ब्रयोनिक चरण या प्रारम्भिक चरण में चला जाता है और फिर गुणित होने लगता है जिससे कैंसर होता है। अतः इससे कुछ प्रकार के कैंसरों का उपचार ढूँढ़ा जा सकता है।

कलोंनिंग से हानियाँ :-
1- यह वर्तमान सामाजिक संरचना जैसे परिवार, विवाह, पारिवारिक सम्बन्ध आदि को नष्ट कर सकता है।
2- इसके कारण मानव की जनसंख्या में विविधता नहीं रह पाएगी।
3- इसका प्रयोग क्लोन सेना  बनाने के लिए किया जा सकता है। इससे जातीय शोषण तथा भेदभाव भी बढ़ सकता है।
4- चिकित्सकों द्वारा भी इसका दुरुपयोग किया जा सकता हैं। जैसे किसी अंग के प्रत्यारोपण  के लिए।
5- वर्तमान समय में होने वाले अनुसन्धानों और विकास के आधार पर भविष्य में होने वाले कुप्रभावों का अन्दाजा नहीं लगाया जा सकता है। इससे मानव जाति का वर्ग परिवर्तन हो सकता है। या इस पर खतरनाक प्रभाव पड़ सकते है।
6- मानव क्लोनिंग पर होने वाले अनुसन्धान एंव विकास को मॉनीटर करने हेतु विधि बनाना तथा उसे लागू करना बहुत की कठिन है।
7- व्यक्ति की पहचान करना कठिन हो सकता है।
8- मानव क्लोनिंग की स्थिति में मानवाधिकारों के हनन की संभावना है।
9- अपराध आदि के बढ़ने की संभावना।

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