30 वा राज्य स्तरीय पश्चिम भारत विज्ञान मेला 14-15 नवंबर 2017
जबलपुर में आयोजित 30 वे राज्य स्तरीय पश्चिम भारत विज्ञान मेले में मेेरे ( प्रकाश पाटीदार ) द्वारा बनायी गयी शिक्षण सहायक सामग्री को राज्य स्तर पर प्रथम स्थान पर चयनित किया गया।
राष्ट्रीय विज्ञान संग्राहलय परिषद् संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के नेहरू साइन्स सेन्टर मुम्बई द्वारा राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान जबलपुर में 14 एवं 15 नवम्बर 2017 को 30 वाॅ राज्य स्तरीय पश्चिम भारत विज्ञान मेंला 2017 का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में प्रदेश के जोन से आये बच्चों द्वारा विज्ञान प्रोजेक्ट तथा शिक्षकों द्वारा तैयार की गयी सहायक शिक्षण सामग्री (शिक्षक प्रोजेक्ट) का प्रदर्शन किया गया। इस प्रतियोगिता में मेरे द्वारा तैयार किये गये शिक्षक प्रोजेक्ट ‘‘दृष्टिः द विजन‘‘ को राज्य स्तर से प्रथम स्थान पर चयनित किया गया है। द्वितीय स्थान पर दमोह के शिक्षक प्रशान्त खरे तथा तृतीय स्थान पर विदिशा की शिक्षिका डाॅ दिप्ती शुक्ला के शिक्षक प्रोजेक्ट को चयनित किया गया। राज्य स्तर से चयनित तीनों शिक्षक आगामी 12 से 16 दिसम्बर 2017 को मुम्बई के नेहरू साईन्स सेन्टर में आयोजित होने वाले पश्चिम भारत विज्ञान मेंले में सहभागिता करेगे।
सहायक शिक्षण सामग्री क्या है?
कक्षा में अध्यापन के दौरान शिक्षक द्वारा प्रयोग में लायी जाने वाली वह सामग्री जिसके प्रयोग से विद्यार्थी कठिन अवधारणाओं को आसानी से समझ सके सहायक शिक्षण सामग्री( टी.एल.एम.) कहलाती है।
‘‘दृष्टिः द विजन‘‘ क्या है?
‘‘दृष्टिः द विजन‘‘ शिक्षक द्वारा मानव नेत्र की संरचना एवं कार्यप्रणाली को समझाने के लिए छोटे.-छोटे लगभग 30 प्रयोगों एवं अवधारणाओं की एक श्रंख्ला है, जिससे लगभग 150 रू. की लागत से तैयार सामगी द्वारा बच्चे मानव नेत्र की सम्पूण कार्यप्रणाली को बडे़ आसानी से रूचिपूर्ण तरीके से समझ सकते है।
कोन कोन सी अवधारणओं को समझने में आसानी होगी?
इस सहायक सामग्री द्वारा-मानव नेत्र की संरचना, पुतलियों का फेलना एवं सिकुडना, अन्ध बिन्दु, पीत बिन्दु, प्रभावी नेत्र को पहचानना, दृष्टि संमजन क्षमता, सिनेमेटोग्राफिक प्रभाव, पिन होल स्पेक्टेकल, बायनोकुलर विजन, मष्तिष्क द्वारा देखना, आॅखो का अन्धेरे में अनुकुलन, तथा नेत्र दोष आदि को रोचक प्रयोगों के माध्यम से आसानी से समझाया जा सकता है।
जबलपुर में आयोजित 30 वे राज्य स्तरीय पश्चिम भारत विज्ञान मेले में मेेरे ( प्रकाश पाटीदार ) द्वारा बनायी गयी शिक्षण सहायक सामग्री को राज्य स्तर पर प्रथम स्थान पर चयनित किया गया।
राष्ट्रीय विज्ञान संग्राहलय परिषद् संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के नेहरू साइन्स सेन्टर मुम्बई द्वारा राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान जबलपुर में 14 एवं 15 नवम्बर 2017 को 30 वाॅ राज्य स्तरीय पश्चिम भारत विज्ञान मेंला 2017 का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में प्रदेश के जोन से आये बच्चों द्वारा विज्ञान प्रोजेक्ट तथा शिक्षकों द्वारा तैयार की गयी सहायक शिक्षण सामग्री (शिक्षक प्रोजेक्ट) का प्रदर्शन किया गया। इस प्रतियोगिता में मेरे द्वारा तैयार किये गये शिक्षक प्रोजेक्ट ‘‘दृष्टिः द विजन‘‘ को राज्य स्तर से प्रथम स्थान पर चयनित किया गया है। द्वितीय स्थान पर दमोह के शिक्षक प्रशान्त खरे तथा तृतीय स्थान पर विदिशा की शिक्षिका डाॅ दिप्ती शुक्ला के शिक्षक प्रोजेक्ट को चयनित किया गया। राज्य स्तर से चयनित तीनों शिक्षक आगामी 12 से 16 दिसम्बर 2017 को मुम्बई के नेहरू साईन्स सेन्टर में आयोजित होने वाले पश्चिम भारत विज्ञान मेंले में सहभागिता करेगे।
सहायक शिक्षण सामग्री क्या है?
कक्षा में अध्यापन के दौरान शिक्षक द्वारा प्रयोग में लायी जाने वाली वह सामग्री जिसके प्रयोग से विद्यार्थी कठिन अवधारणाओं को आसानी से समझ सके सहायक शिक्षण सामग्री( टी.एल.एम.) कहलाती है।
‘‘दृष्टिः द विजन‘‘ क्या है?
‘‘दृष्टिः द विजन‘‘ शिक्षक द्वारा मानव नेत्र की संरचना एवं कार्यप्रणाली को समझाने के लिए छोटे.-छोटे लगभग 30 प्रयोगों एवं अवधारणाओं की एक श्रंख्ला है, जिससे लगभग 150 रू. की लागत से तैयार सामगी द्वारा बच्चे मानव नेत्र की सम्पूण कार्यप्रणाली को बडे़ आसानी से रूचिपूर्ण तरीके से समझ सकते है।
कोन कोन सी अवधारणओं को समझने में आसानी होगी?
इस सहायक सामग्री द्वारा-मानव नेत्र की संरचना, पुतलियों का फेलना एवं सिकुडना, अन्ध बिन्दु, पीत बिन्दु, प्रभावी नेत्र को पहचानना, दृष्टि संमजन क्षमता, सिनेमेटोग्राफिक प्रभाव, पिन होल स्पेक्टेकल, बायनोकुलर विजन, मष्तिष्क द्वारा देखना, आॅखो का अन्धेरे में अनुकुलन, तथा नेत्र दोष आदि को रोचक प्रयोगों के माध्यम से आसानी से समझाया जा सकता है।
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NEWS/समाचार