क्या रात जो पेड़ के नीचे सोना खतरनाक होता है ?
हमने कुछ बातें ऐसी सुन रखी हैं जिनका पता वैज्ञानिकों ने एक-दो सदियों पहले ही लगा लिया था मगर लोक मानस में वे भ्रम पैदा करती रहती हैं। विज्ञान की पाठ्य पुस्तकें भी इन भ्रमों को दूर करने में कोई मदद नहीं करतीं। और तो और, कई बार तो पाठ्य पुस्तकें भ्रम को हवा देने का काम करती हैं। ऐसा ही एक मामला साँस लेने से सम्बन्धित है।
हमने अक्सर लोगो को कहते सुना होगा कि रात को पेड़ के नीचे सोने से पौधों द्वारा छोड़ी कार्बन डाई ऑक्साइड से हमारी मत्यु हो सकती है। यह सही नही है, पेड़ के नीचे सोने के खतरे की बात एक और कारण से भी बेतुकी है। किसी भी स्थान की हवा को एक स्थिर आयतन मानना कदापि ठीक नहीं है। आपके आसपास की हवा लगातार बदलती रहती है। खास तौर से तब जब आप खुले में सो रहे हैं। इतने सारे पक्षी, प्राणी पेड़ों पर ही रहते हैं। यदि वे सब ऑक्सीजन के लिए पेड़ों से प्रतिस्पर्धा करें तो उपरोक्त अधकचरे तर्क के आधार पर सब के सब, रातों रात मर जाने चाहिए। इसी प्रकार से, जाड़े के दिनों में ट्रेन के किसी खचाखच भरे डिब्बे में हमें किसी के बचने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए क्योंकि जाड़ों में खिड़कियाँ तो सारी बन्द रहती हैं।
पेड़ के नीचे सोने का खतरा, दरअसल, अधूरी वैज्ञानिक जानकारी के अधकचरे उपयोग का नतीजा है। पेड़ के नीचे सोने से जो खतरे हो सकते हैं, उनमें पेड़ की शाखा का गिरना और किसी पक्षी द्वारा बीट किया जाना वगैरह गिनाए जा सकते हैं। और इनका सम्बन्ध ऑक्सीजन से कदापि नहीं है।
ओम प्रकाश पाटीदार
हमने कुछ बातें ऐसी सुन रखी हैं जिनका पता वैज्ञानिकों ने एक-दो सदियों पहले ही लगा लिया था मगर लोक मानस में वे भ्रम पैदा करती रहती हैं। विज्ञान की पाठ्य पुस्तकें भी इन भ्रमों को दूर करने में कोई मदद नहीं करतीं। और तो और, कई बार तो पाठ्य पुस्तकें भ्रम को हवा देने का काम करती हैं। ऐसा ही एक मामला साँस लेने से सम्बन्धित है।
हमने अक्सर लोगो को कहते सुना होगा कि रात को पेड़ के नीचे सोने से पौधों द्वारा छोड़ी कार्बन डाई ऑक्साइड से हमारी मत्यु हो सकती है। यह सही नही है, पेड़ के नीचे सोने के खतरे की बात एक और कारण से भी बेतुकी है। किसी भी स्थान की हवा को एक स्थिर आयतन मानना कदापि ठीक नहीं है। आपके आसपास की हवा लगातार बदलती रहती है। खास तौर से तब जब आप खुले में सो रहे हैं। इतने सारे पक्षी, प्राणी पेड़ों पर ही रहते हैं। यदि वे सब ऑक्सीजन के लिए पेड़ों से प्रतिस्पर्धा करें तो उपरोक्त अधकचरे तर्क के आधार पर सब के सब, रातों रात मर जाने चाहिए। इसी प्रकार से, जाड़े के दिनों में ट्रेन के किसी खचाखच भरे डिब्बे में हमें किसी के बचने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए क्योंकि जाड़ों में खिड़कियाँ तो सारी बन्द रहती हैं।
पेड़ के नीचे सोने का खतरा, दरअसल, अधूरी वैज्ञानिक जानकारी के अधकचरे उपयोग का नतीजा है। पेड़ के नीचे सोने से जो खतरे हो सकते हैं, उनमें पेड़ की शाखा का गिरना और किसी पक्षी द्वारा बीट किया जाना वगैरह गिनाए जा सकते हैं। और इनका सम्बन्ध ऑक्सीजन से कदापि नहीं है।