लाख क्या है?

लाख (Lac)क्या है? यह कैसे बनता है?
Om Prakash Patidar

लाख, या लाह संस्कृत के ' लाक्षा ' शब्द से व्युत्पन्न समझा जाता है। संभवत: लाखों कीड़ों से उत्पन्न होने के कारण इसका नाम लाक्षा पड़ा था।
लाख एक प्राकृतिक राल है बाकी सब राल कृत्रिम हैं। इसी कारण इसे 'प्रकृति का वरदान' कहते हैं। लाख के कीट अत्यन्त सूक्ष्म होते हैं तथा अपने शरीर से लाख उत्पन्न करके हमें आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं। वैज्ञानिक भाषा में लाख को 'लेसिफर लाखा' कहा जाता है। 'लाख' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 'लक्ष' शब्द से हुई है, संभवतः इसका कारण मादा कोष से अनगिनत (अर्थात् लक्ष) शिशु कीड़ों का निकलना है। लगभग 34 हजार लाख के कीड़े एक किग्रा. रंगीन लाख तथा 14 हजार 4 सौ लाख के कीड़े एक किग्रा. कुसुमी लाख पैदा करते हैं। भारत मे राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लाख का उत्पादन होता है।

लाख कीट का वैज्ञानिक नाम ‘टैकार्डिया लैका’ है। यह एक रेंगने वाला छोटा कीट है, जो अपने चूसक मुखांग को पौधों के ऊतकों में घुसाकर रस चूसता है, आकार में बढ़ता है और अपने पिछले भाग से लाख का स्राव करता है। इसका अपना शरीर ही अंत में लाख के कोष्ठ में बंद हो जाता है। लाख वास्तव में कीट की सुरक्षा के लिए होता है, न कि भोजन के लिए। औद्योगिक लाख वास्तव में मादा द्वारा अपनी सुरक्षा के लिए स्रवित किया जाता है। नर कीट चमकीले क्रीम रंग का लाख स्रवित करता है। मादा कीट नर से बड़ी चार से पांच मिलीमीटर लंबी होती है। मादा का शरीर लाख के बने एक कोष्ठ में बंद रहता है। मादा का जीवन काल नर से लंबा होता है और यह जीवन भर लाख का स्राव करती रहती है। इस प्रकार लाख का अधिकांश भाग मादा द्वारा ही स्रवित किया जाता है।
लाख कीट के एक से अधिक पोषक पौधे होते हैं। भारत में बबूल, बेर, कुसुम, पलाश, घोंट, खैर, पीपल, गूलर, पकरी, पुतकल, आम, साल, शीशम, अंजीर आदि वृक्ष लाल कीट के पोषक हैं। लाख की गुणवत्ता पोषक पौधे की किस्म पर निर्भर करती है। खैर, कुसुम और बबूल के वृक्षों पर पले कीटों से उत्तम प्रकार का लाख बनता है। पलाश और बेर पर एक विशेष प्रकार के लाख का उत्पादन होता है, जिसे ‘कुसुमी लाख’ कहते हैं।

लाख का उत्पादन एक जटिल प्रक्रिया है। लाख कीट के संरोपण, वृंदन और कीटों से लाख एकत्रण इस प्रक्रिया के अंग हैं। लाख के उत्पाादन में पहला चरण लाख कीट का संरोपण है। संरोपण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा तरुण कीट अपने पोषक पौधे पर भली भांति व्यवस्थित हो जाता है। कीट पर लाख का आवरण चढ़ना या लाख का स्रवण होना वृंदन कहलाता है। जब लाख पूरी तरह परिपक्व हो जाता है, तब अधिकांश लाख प्राप्त कर लिया जाता है। इसका कुछ भाग पोषक पौधे पर ही छोड़ दिया जाता है। वह शाखा जिस पर कीट और अंडे रहते हैं, उसे लाख भ्रूण टहनी कहते हैं और इस लाख को भू्रण लाख या टहनी लाख कहते हैं। सबसे पहले भू्रणलाख को टहनी से खुरच कर छुड़ाते हैं। इस खुरचे हुए लाख में अनेक अशुद्धियां जैसे लाख कीट के मृत भाग, अंडे, रंजक आदि होते हैं। इस लाख को हाथ से खरल द्वारा कूटा जाता है और इस पदार्थ को हवा में सुखाकर कणों के रूप में प्राप्त कर लिया जाता है, इसे बीज लाख कहते हैं।

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