मखाना (Fox nut) क्या है?
Om Prakash Patidar
क्या है मखाना (Euryale ferox):-
मखाना वस्तुत: फाक्सनट के बीजों की लाई है। वैसे ही जैसे पापकार्न मक्का की लाई है। इसमें लगभग 12 प्रतिशत प्रोटीन होता है। मखाना बनाने के लिए इसके बीजों को फल से अलग कर धूप में सुखाते हैं। संग्रहण के दौरान नम बनाए खने के लिए इन पर पानी छींटा जाता है। इसकी लाई की गुणवत्ता बीजों में उपस्थित नमी पर निर्भर करती है। धूप में सुखाने पर उनमें 25 प्रतिशत तक नमी बची रहती है। सूखे नट्स को लकड़ी के हथोड़ों से पीटा जाता है इस तरह गरी अलग होने पर बीज अच्छी तरह से सूखते हैं। सूखे बीजों को अलग-अलग श्रेणी में बांटने के लिए उन्हें चलनियों से छाना जाता है। बीज एक समान आकार के हों तो भूनते समय आसानी होती है। बड़े बीज अच्छी क्वालिटी के माने जाते हैं।
बीज से लाई (मखाना) बनाना
बीजों को बड़े-बड़े लोहे के कढ़ावों में सेंका जाता है। फिर इन्हें टेम्परिंग के लिए 45-72 घण्टों के लिए टोकनियों में रखा जाता है। इस तरह इनका कठोर छिलका ढीला हो जाता है। बीजों को लाई में बदलना एक श्रमसाध्य कार्य है। कढ़ाव में सिंक रहे बीजों को 5-7 की संख्या में हाथ से उठाकर ठोस जगह पर रखकर लकड़ी के हथोड़ों से पीटा जाता है। इस तरह गर्म बीजों का कड़क खोल तेजी से फटता है और बीज फटकर लाई (मखाना) बन जाता है। बीजों के अंदर अत्यधिक गर्म वाष्प बनने और तेज दबाव से छिलका हटने से ऐसा होता है। जितने बीजों को सेका जाता है उनमें से केवल एक तिहाई ही मखाना बनते हैं।
मखानों की पालिश करना
लाई बनने पर उनकी पॉलिश और छंटाई की जाती है। इस हेतु इन्हें बांस की टोकनियों में रखकर रगड़ा जाता है। इस प्रकार इनके ऊपर लगा कत्थई-लाल रंग का छिलका हट जाता है। यही पॉलिशिंग चावल को भी सफेद बनाने के लिए मशीनों से उन्हें पालिश करते हैं। हालांकि ऐसा करने से उसके कई पोषक तत्व हट जाते हैं। पॉलिश करने पर मिले सफेद मखानों को उनके आकार के अनुसार दो-तीन श्रेणियों में छांट लिया जाता है। फिर उन्हें पोलीथीन की पर्त लगे गनी बैग में भर दिया जाता है। ये इतने हल्के होते हैं कि एक बोरे में मात्र 8-9 किलो मखाने समाते हैं।