कोलेस्ट्रॉल क्या है?
हम अक्सर सुनते है कि , ज्यादा तेलीय पदार्थ खाने से हमारी धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा होकर यह धमनियों को अवरुद्ध कर हार्ट अटैक की संभावनाओं को बड़ा देता है।
आइये जानते है ।
कोलेस्ट्रॉल क्या है?
कोलेस्ट्रॉल मोम जैसा पदार्थ होता है जो यकृत से उत्पन्न होता है। हमारे शरीर की कार्यप्रणाली सुचारू रूप से काम करे उसके लिए एक निश्चित कोलेस्ट्रॉल की जरूरत होती है। कोशिका झिल्ली को उचित मात्रा में पारगम्यता व तरलता बनाये रखने के लिए उचित कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता होती है। यह सभी पशुओं और मनुष्यों के कोशिका झिल्ली समेत शरीर के हर भाग में पाया जाता है।यह हमारे शरीर में हार्मोन्स, पाचक रस व विटामिन डी का निर्माण करता है जो शरीर के अंदर की चर्बी को पचाने में सहायक होता है।
Om Prakash Patidar
हम अक्सर सुनते है कि , ज्यादा तेलीय पदार्थ खाने से हमारी धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा होकर यह धमनियों को अवरुद्ध कर हार्ट अटैक की संभावनाओं को बड़ा देता है।
आइये जानते है ।
कोलेस्ट्रॉल क्या है?
कोलेस्ट्रॉल मोम जैसा पदार्थ होता है जो यकृत से उत्पन्न होता है। हमारे शरीर की कार्यप्रणाली सुचारू रूप से काम करे उसके लिए एक निश्चित कोलेस्ट्रॉल की जरूरत होती है। कोशिका झिल्ली को उचित मात्रा में पारगम्यता व तरलता बनाये रखने के लिए उचित कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता होती है। यह सभी पशुओं और मनुष्यों के कोशिका झिल्ली समेत शरीर के हर भाग में पाया जाता है।यह हमारे शरीर में हार्मोन्स, पाचक रस व विटामिन डी का निर्माण करता है जो शरीर के अंदर की चर्बी को पचाने में सहायक होता है।
हमारे शरीर में 20-25% तक का कोलेस्ट्रॉल लीवर (यकृत) ही उत्पन्न करता है। ज्यादातर कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में भोजन के माध्यम से ही पहुँचता है जैसे माँसाहारी आहार व डेयरी के उत्पाद इसके मुख्य स्त्रोत है। फलों, अनाजों और हरी सब्जियों में कोलेस्ट्रॉल नही होता। कोलेस्ट्रॉल रक्त में घुलता नही है जिस कारण हमारे शरीर में ज़्यादा कोलेस्ट्रॉल की मात्रा होने पर हमें गंभीर बिमारियाँ भी हो सकती है जैसे की- आर्टरी ब्लोंकेज, स्टॉक्स, हार्ट अटैक, उच्च रक्तचाप आदि कई समस्या कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने पर होती है।
कोलेस्ट्रॉल को लीपॉप्रोटीन भी कहा जाता है, मुख्य तौर पर कोलेस्ट्रॉल तीन प्रकार का होता है-
1. कम घनत्व कोलेस्ट्रॉल (LDL):- यह खराब कोलेस्ट्रॉल माना जाता है क्योकि यह लीवर से उत्पन्न होता है जहाँ से यह वसा को शरीर के सभी अंगों, (मंशपेशियों), इंद्रियों और हृदय तक पहुँचाता है। हमारे शरीर में आवश्यकता से अधिक कोलेस्ट्रॉल होने पर यह (एल डी एल) रक्तवाहिनी नलियों की दीवार पर जमने लग जाता है जिसके परिणाम स्वरूप रक्त का संचार शरीर में सुचारू रूप से नही हो पाता है और हृदय को बराबर मात्रा में रक्त ना मिलने पर हार्ट-अटैक जैसी गंभीर बिमारी की आशंका बढ़ जाती है। जिस कारण इस कोलेस्ट्रॉल को सबसे ज़्यादा नुक़सानदायक माना जाता है।
2. उच्च घनत्व कोलेस्ट्रॉल (HDL):- यह कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर के लिए एक अच्छा सूचक माना गया है क्योकि यह पित्त और कोलेस्ट्रॉल को शरीर में रिसायक्लिंग करके फिर से लीवर में पहुँचाता है। अगर हमारे शरीर में एच डी एल की मात्रा अधिक है तो यह इस बात का संकेत है कि हमारे शरीर में रिसायक्लिंग ठीक से हो रही है और यह हृदय के स्वस्थ होने का भी संकेत है। एच डी एल का मुख्य स्त्रोत – अलसि (सुपर फुड), मछली का तेल, हरी ताज़ा सब्जियाँ और सोयाबीन के पदार्थ आदि है। शरीर में एच डी एल की मात्रा 60 मिली ग्राम / डी एल से ज़्यादा नही होनी चाहिये।
3. अत्यधिक निम्न घनत्व कोलेस्ट्रॉल (:-यह कोलेस्ट्रॉल मुख्य तौर पर दिल की बिमारियों का कारण है। इस वजह से वीएलडीएल को एलडीएल से अधिक नुक़सानदायक माना गया है।
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