गोल घूमने के बाद सर क्यों चकराने लगता है?
Om Prakash Patidar
गोल गोल रानी
इतना इतना पानी
पानी में फिसला मछली
पापा ने पकडा
मम्मा ने बनाया
तुम ने खाया
हम ने खाया
बड़ा मज़ा आया
इतना इतना पानी
पानी में फिसला मछली
पापा ने पकडा
मम्मा ने बनाया
तुम ने खाया
हम ने खाया
बड़ा मज़ा आया
जब हम बचपन में गोल गोल घूमने वाला खेल खेलते थे तो हमें चक्कर आ जाते थे कभी-कभी हम गिर भी जाते थे पर आपने कभी साेचा है कि ऐसा क्यों होता था अगर नहीं तो आइये जानते हैं ऐसा क्यों?
दरआसल जब हम गोल गोल घूमते हैं तो हमारे कानों में उपस्थित संवेदनशील द्रव्य (Endolymph) भी घूमने लगता है और यह द्रव्य ही हमारे मस्तिक को नियंत्रित करता है और जब हम घूमना बंद कर देते हैं तो यह द्रव्य कुछ देर तक घूमता रहता है यही कारण्ा है कि गोल घूमने के बाद हमारा सर क्यों चकराने लगता वस्ताव में हमारे कान सुनने के अतिरिक्त शरीर का संतुलन बनाने का कार्य करते है।
कान वह अंग है जो ध्वनि का पता लगाता है, यह न केवल ध्वनि के लिए एक ग्राहक (रिसीवर) के रूप में कार्य करता है, अपितु शरीर के संतुलन और स्थिति के बोध में भी एक प्रमुख भूमिका निभाता है।
इसीलिए कान को श्रवनोसन्तुलन अंग भी कहा जाता है?
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