सर्दियों में मुंह से भाप (धुँआ)क्यों निकलती है?
सर्दियों में मुंह से भाप निकलते देख अक्सर बचपन मे हम हमारे मित्रो से झूठ बोलकर मजे लेते हुए कहते थे कि देखो मेने बीड़ी/सिगरेट पी है, ये उसका धुँआ निकल रहा है। हमारे मन में यह सवाल आता है , की ऐसा इस मौसम में ही क्यों होता है, गर्मी के मौसम में यह क्यों नहीं होता है। वास्तव में सांस लेने की क्रिया के दौरान शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड और पानी बनते है। यही पानी जलवाष्प के रूप में हमारे फेफड़ों द्वारा वाष्पीकरण होकर मुंह या नाक से बाहर निकाल दी जाती है। श्वसन और पाचन के दौरान बननेवाला जल और हमारे द्वारा पिया गया जल भी मूत्र, पसीना, वाष्पीकरण द्वारा ही बाहर आता है। सर्दियों में शरीर से बाहर यानी की वायुमंडल का तापमान बहुत कम होता है। जैसे ही यह जलवाष्प सांस के साथ बाहर आती है, तुरंत ही संघनित होकर पानी की छोटी-छोटी बूंदों में बादल आती है और धुआ - सा दिखाई देने लगता है। गर्मियों में बाहर का तापमान अधिक होने के कारण ये जलवाष्प संघनित नहीं हो पाती है और तेजी से पुनः वाष्पीकरण हो जाता है, जिस कारण ऐसा दिखाई नहीं देता।
Om Prakash Patidar
सर्दियों में मुंह से भाप निकलते देख अक्सर बचपन मे हम हमारे मित्रो से झूठ बोलकर मजे लेते हुए कहते थे कि देखो मेने बीड़ी/सिगरेट पी है, ये उसका धुँआ निकल रहा है। हमारे मन में यह सवाल आता है , की ऐसा इस मौसम में ही क्यों होता है, गर्मी के मौसम में यह क्यों नहीं होता है। वास्तव में सांस लेने की क्रिया के दौरान शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड और पानी बनते है। यही पानी जलवाष्प के रूप में हमारे फेफड़ों द्वारा वाष्पीकरण होकर मुंह या नाक से बाहर निकाल दी जाती है। श्वसन और पाचन के दौरान बननेवाला जल और हमारे द्वारा पिया गया जल भी मूत्र, पसीना, वाष्पीकरण द्वारा ही बाहर आता है। सर्दियों में शरीर से बाहर यानी की वायुमंडल का तापमान बहुत कम होता है। जैसे ही यह जलवाष्प सांस के साथ बाहर आती है, तुरंत ही संघनित होकर पानी की छोटी-छोटी बूंदों में बादल आती है और धुआ - सा दिखाई देने लगता है। गर्मियों में बाहर का तापमान अधिक होने के कारण ये जलवाष्प संघनित नहीं हो पाती है और तेजी से पुनः वाष्पीकरण हो जाता है, जिस कारण ऐसा दिखाई नहीं देता।