कपूर (Camphor) क्या है ? यह कैसे बनता है?
Om Prakash Patidar
मुख्यतः कपूर हमारे घर और मंदिर में भगवान् की आरती में प्रयोग होता है, इसके अतिरिक्त कपूर आयुर्वेदिक दवाओ, तेलों, सुगंध ,कीड़े-मकोडो को दूर रखने में भी प्रयोग किया जाता है. कपूर दो प्रकार के होते है एक प्राकृतिक जो कि कपूर के पेड़ से मिलता है और दूसरा कृत्रिम केमिकल कपूर जोकि सामान्यतः बाज़ार में मिलता है.
कपूर को कपूर वृक्ष के पत्ती, छाल और लकड़ी से आसवन विधि द्वारा सफ़ेद रंग के क्रिस्टल के रूप में प्राप्त किया जाता है.
कपूर के वृक्ष का वानस्पतिक नाम Cinnamomum camphora है. यह सदाबहार वृक्ष मुख्यतः चीन में पाया जाता था जहाँ से यह दुनिया के बाकी देशों में पहुंचा.
भारत में कपूर देहरादून ,मैसूर ,सहारनपुर , नीलगिरी में पैदा होता है, भारत में कपूर केवल पत्तियों के आसवन से ही प्राप्त किया जाता है.
इस वृक्ष पर चमकदार, चिकने पत्ते पाए जाते हैं जिनको मसलने पर कपूर की खुशबु आती है. वसंत मौसम में इस वृक्ष पर सफ़ेद रंग के छोटे-छोटे फूल गुच्छों में लगते है.
कृत्रिम कपूर तारपीन के तेल को बहुत सी केमिकल प्रक्रियाएं करने के बाद प्राप्त होता है. इसका रासायनिक फार्मूला है C10H16O. यह पानी में अघुलनशील और अल्कोहल में घुलनशील होता है. यह कपूर बहुत से कारखानों में प्रयोग किया जाता है, यह पालीविनायल क्लोराइड, सेलूलोस नाइट्रेट, पेंट, धुवां-रहित बारूद और कुछ खास प्रकार के प्लास्टिक, कफ-सीरप आदि के उत्पादन में प्रयोग किया जाता है .