मछली जो बिजली का झटका (करंट) देती है-

ऐसी मछलियाँ जो देती हैं करंट का झटका
Om Prakash Patidar

खम्बे जैसी खड़ी है, लड़की है या छड़ी है,
शोला है फूल्झड़ी है, पटाखे की लड़ी है,
आंखो मे गुस्सा है, लबो पे गाली है,
देखो जरा देखो यारो खुद को समझाती है क्या..?


गोरा गोरा ये बदन बिजली से बना,
440 वोल्ट है छूना है मना..

दिल फ़िल्म का गाना अपने जरूर सुना होगा, जिसमे नायक कह रहा है कि नायिका के शरीर मे 440 वोल्ट का करंट है।
खेर छोड़िए इन फिल्मी बातो को क्या वाकई में
किसी जीव में विधुत का करंट हो सकता है?

जी हां मानव की बात तो में नही करूँगा लेकिन एक मछली जरूर विधुत का झटका मार सकती है। आइये उसके बारे में जानते है-

इलेक्ट्रिक ईल ( Electric eel ) – यह एक मछली है। इसका वैज्ञानिक नाम Electrophorus electricus  है यह छिछले समुद्र झील स्वच्छ जलीय नदियों में पायी जाती हैं। तथा दक्षिणी अमेरिका में अमेजन और ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका आदि महादीपों के मीठे पानी का सबसे खतरनाक जीव इलेक्ट्रिक ईल को माना जाता हैं। इसे सामान्यता सर्प मीन भी कहा जाता हैं। यह शिकार को मारने के लिए विधुत का इस्तेमाल करती हैं। लगभग 1.5 से 2 मीटर लम्बी यह मछलीलगभग 600 वोल्ट तक का करंट मार सकती हैं ।शिकार को मारते समय या खतरे की अवस्था में लगभग 1 से डेढ़ घंटे तक लगातार विधुत के झटके मारती रहती हैं। इस मछली का नवजात शिशु भी लगभग 100 से 150 वोल्ट का करंट मार सकता हैं। इस मछली द्वारा उत्पादित करंट या बिजली का झटका इसके शरीर के भीतर मौजूद इलेक्ट्रोलाईट कोशिकाओं के द्वारा उत्पन्न होता हैं। इस मछली के द्वारा उत्पन्न किया गया हाईवोल्टेज करंट 5 से 10 मिनट में किसी मगरमच्छ, इंसान, घोड़े जैसे बड़े जीवों को भी मार सकता हैं। इस मछली का छू जाना, ऐसा होगा जैसे कि 600 से 700 वोल्टेज वाले विधुत तार को नंगे हाथों से छू लेना। इस मछली का करंट लगने पर शिकार हुए जीव के तंत्रिका तंत्र तथा ह्रदय काम करना बंद कर देते हैं |
इलेक्ट्रिक ईल को करंट क्यों नहीं लगता – आश्चर्य की बात यह हैं कि इस मछली के द्वारा उत्पन्न किया गया हाईवोल्टेज करंट इस मछली को कोई नुकसान नही पहुँचाता, जबकि दुसरे जीवों के लिए यह घातक सिद्ध होता हैं। क्योंकि इस मछली के शरीर में उपस्थित अहम जरूरी अंग जैसे – दिल और मष्तिष्क मछली के सबसे अग्र भाग में स्थित होते हैं। मछली का दिल, मष्तिष्क के बहुत ही नजदीक होता हैं। इसके बाद त्वचा का एक स्तर पाया जाता हैं। इस त्वचा के स्तर के बाद इलेक्ट्रोलाईट कोशिकाओं की अनेक श्रृंखला पुच्छीय भाग तक पायी जाती हैं। ये सभी इलेक्ट्रोलाईट कोशिकाएँ एक साथ मिलकर एक बड़ी बैट्री समान कार्य करती हैं। और हाईवोल्टेज विधुत करंट का निर्माण करती हैं। विशेष प्रकार की बनावट संरचना के कारण मछली के अहम अंग विधुत के झटके से बचे रहतें हैं |
इसी प्रकार इलेक्ट्रिक कैटफिश लगभग 300 से 350 वॉट का बिजली का झटका देकर अपने शिकार को मार सकती है। यह मछली मुख्य रूप से रात में शिकार करती है और नील नदी में पाई जाती है। 

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