आसमान से हवाई जहाज़ गुज़रने के बाद जो सफ़ेद लकीर दिखती है, जानते हैं असल में वो क्या होती है?
Om Prakash Patidar
हमारा बचपन बीता है हवाई जहाज़ को नीचे से Bye-Bye करते हुए. रॉकेट के गुज़रने के बाद वो आसमान की बनी सफ़ेद लकीर को हम बड़े आश्चर्य से देखते थे. कोई उसे रॉकेट का धुआं मानता था, तो कोई बर्फ़ की लकीर, पर हम में से शायद ही कोई जानता हो कि वो असलियत में होती क्या है.
आसमान में बनने वाली इस सफ़ेद लकीर को Contrails कहते हैं . Contrails भी बादल ही होते हैं, पर वो आम बादलों की तरह नहीं बनते. ये हवाई जहाज़ या रॉकेट से बनते हैं और काफ़ी ऊंचाई पर ही बनते हैं.
ज़मीन से करीब 8 किलोमीटर ऊपर और -40 डिग्री सेल्सियस में इस तरह के बादल बनते हैं. हवाई जहाज़ या रॉकेट के एग्जॉस्ट से Aerosols निकलते हैं. जब पानी की भाप इन Aerosols से साथ जम जाती है, तो Contrails बनते हैं.
हवाई जहाज़ के एग्जॉस्ट से भाप और कई ठोस पदार्थ निकलते हैं. इससे कार्बन डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड निकलती है. इसके अलावा इसमें से सल्फ़ेट और मीथेन जैसे हाइड्रोकार्बन भी निकलते हैं. इनमे से कुछ Contrails बनाने में मददगार होते हैं, बाकी सिर्फ़ प्रदूषण में सहयोग देते हैं.
Contrails तेज़ हवा की वजह से अपनी जगह से खिसक भी जाती है, ज़रूरी नहीं है कि वो वहीं दिखे जहां से जहाज़ गुज़रा था.