आसमान से ओले (hail stone) क्यो गिरते है?
ओले गोल क्यों?
क्यो गिरते हैं ओले?
कई बार बारिश के दौरान अचानक पानी की बूंदों के साथ बर्फ के छोटे-छोटे गोले भी गिरते हैं। इन्हें हम ओले कहते हैं।
ये ओले आसमान में कैसे बनते हैं और ओले क्यों गिरते हैं?
जैसा कि हम जानते है कि बर्फ पानी के जमने से बनता है। लेकिन प्रश्न ये है कि आसमान में ये पानी कैसे बर्फ बन जाता है और फिर गोल-गोले बर्फ के टुकड़ों के रूप में ये धरती पर क्यों गिरते हैं?
हम जानते है कि पानी को जमने के लिए शून्य डिग्री सेल्सियत तापमान होना चाहिए।
हमने फ्रीजर में देखा होगा कि पानी के छोटे-छोटे बूंदें बर्फ के गोले के रूप में जम जाता है, ऐसा ही प्रकृति में होता है।
हम जैसे-जैसे समुद्र के किनारे से ऊपर यानी ऊंचाई की ओर बढ़ते हैं, तब जगह के साथ ही तापमान धीरे-धीरे कम होता जाता है। तुम इसे ऐसे समझ सकते हो, लोग गर्मी के मौसम में पहाड़ों पर जाना पसंद करते हैं, क्यों? इसलिए कि पहाड़ पर तापमान कम होता है, यानी मैदानी इलाके की तुलना में पहाड़ों पर तापमान ठंडी होती है।
अब आपको समझ में आ गया होगा कि ऊंचे स्थानों पर तापमान कम होता है, जैसे हमारे देश के पहाड़ी इलाके मसूरी और नैनीताल में।
लेकिन लद्दाख में तो इतनी ठंड पड़ती है कि वहां हमेशा पानी बर्फ के रूप में होता है, क्योंकि यह धरती की सबसे ऊंची जगह मे एक है।
ऊंचाई के साथ तापमान कम होता है।
लेकिन अब प्रश्न ये है कि आखिर ओले कैसे बनते हैं?
आप यह अच्छी तरीके से जानते हो कि नदियों, तालाबों और समुद्र का पानी भाप बनकर आसमान में वर्षा का बादल बनाता है और यही बादल पानी बरसाते हैं। लेकिन जब आसमान में तापमान शून्य से कई डिग्री कम हो जाता है तो वहां हवा में मौजूद नमी संघनित यानी पानी की छोटी-छोटी बूंदों के रूप में जम जाती है।
इन जमी हुई बूंदों पर और पानी जमता जाता है। धीरे-धीरे ये बर्फ के गोलों का रूप धारण कर लेती हैं। जब ये गोले ज्यादा वजनी हो जाते हैं तो नीचे गिरने लगते हैं। गिरते समय रास्ते की गरम हवा से टकरा कर बूंदों में बदल जाते हैं। लेकिन अधिक मोटे गोले जो पूरी तरह नहीं पिघल पाते, वे बर्फ के गोलों के रूप में ही धरती पर गिरते हैं। इन्हें ही हम ओले कहते हैं।
कब गिरते हैं ओले?
ओले अक्सर गर्मियों के मौसम में दोपहर के बाद गिरते हैं, सर्दियों में भी ओले गिरते देखे गए हैं। जब ओले गिरते हैं, तो बादलों में गड़गड़ाहट और बिजली की चमक बहुत अधिक होती है। ये ओले कहीं बहुत हल्की तो कहीं बहुत भारी भी हो सकती है। इसका कारण यह है कि बर्फ हवा से उड़ती हुई इधर-उधर जाती हैं और एक जगह पर इकट्ठा हो जाती है। गिरती हुई बर्फ हमेशा नर्म नहीं होती। यह छोटे-छोटे गोल आकार के रूप में भी गिरती है।
ओले गोल क्यों?
ओले हमेशा गोले ही होते हैं? पानी जब बूंद के रूप में गिरता है तो पृष्ठतनाव के कारण पानी की बूंदे गोल आकार ले लेता है, तुमने नल से टपकते हुए पानी की बूंदों को देखा होगा, ये बूंद गोल रूप में होता है। ठीक इसी तरह जब आसमान से पानी गिरता है तो वह बूंद के रूप में बर्फ बन जाता है। इनमें बर्फ की कई सतहें होती हैं। अभी तक सबसे बड़ा ओला एक किलोग्राम का आसमान से गिर चुका है।
ओले गोल क्यों?
Om Prakash Patidar
बच्चो, कई बार वर्षा के दौरान पानी की बूँदों के साथ बर्फ के छोटे-छोटे गोले हैं भी गिरते हैं। इन्हें हम ओले कहते हैं। आओ जानें कि क्यों गिरते हैं ओले?
हम ज्यों-ज्यों सागर की सतह से ऊपर उठते जाते हैं, तापमान कम होता जाता है। तभी तो लोग गरमी के मौसम में पहाड़ों पर जाना पसंद करते हैं। नीचे धरती पर तापमान कितना भी हो, ऊपर आसमान में तापमान शून्य से कई डिग्री कम हो सकता है। पानी को जमा देने वाला। हवा में मौजूद नमी पानी की छोटी-छोटी बूँदों के रूप में जम जाती है। इन जमी हुई बूँदों पर और पानी जमता जाता है। धीरे-धीरे ये बर्फ के गोलों का रूप धारण कर लेती हैं। जब ये गोले वजनी हो जाते हैं तो नीचे गिरने लगते हैं। गिरते समय रास्ते की गरम हवा से टकरा कर बूँदों में बदल जाते हैं। अधिक मोटे गोले जो पूरी तरह नहीं पिघल पाते, वे बर्फ के गोलों के रूप में ही धरती पर गिरते हैं। इन्हें ही हम ओले कहते हैं।
क्यो गिरते हैं ओले?
कई बार बारिश के दौरान अचानक पानी की बूंदों के साथ बर्फ के छोटे-छोटे गोले भी गिरते हैं। इन्हें हम ओले कहते हैं।
ये ओले आसमान में कैसे बनते हैं और ओले क्यों गिरते हैं?
जैसा कि हम जानते है कि बर्फ पानी के जमने से बनता है। लेकिन प्रश्न ये है कि आसमान में ये पानी कैसे बर्फ बन जाता है और फिर गोल-गोले बर्फ के टुकड़ों के रूप में ये धरती पर क्यों गिरते हैं?
हम जानते है कि पानी को जमने के लिए शून्य डिग्री सेल्सियत तापमान होना चाहिए।
हमने फ्रीजर में देखा होगा कि पानी के छोटे-छोटे बूंदें बर्फ के गोले के रूप में जम जाता है, ऐसा ही प्रकृति में होता है।
हम जैसे-जैसे समुद्र के किनारे से ऊपर यानी ऊंचाई की ओर बढ़ते हैं, तब जगह के साथ ही तापमान धीरे-धीरे कम होता जाता है। तुम इसे ऐसे समझ सकते हो, लोग गर्मी के मौसम में पहाड़ों पर जाना पसंद करते हैं, क्यों? इसलिए कि पहाड़ पर तापमान कम होता है, यानी मैदानी इलाके की तुलना में पहाड़ों पर तापमान ठंडी होती है।
अब आपको समझ में आ गया होगा कि ऊंचे स्थानों पर तापमान कम होता है, जैसे हमारे देश के पहाड़ी इलाके मसूरी और नैनीताल में।
लेकिन लद्दाख में तो इतनी ठंड पड़ती है कि वहां हमेशा पानी बर्फ के रूप में होता है, क्योंकि यह धरती की सबसे ऊंची जगह मे एक है।
ऊंचाई के साथ तापमान कम होता है।
लेकिन अब प्रश्न ये है कि आखिर ओले कैसे बनते हैं?
आप यह अच्छी तरीके से जानते हो कि नदियों, तालाबों और समुद्र का पानी भाप बनकर आसमान में वर्षा का बादल बनाता है और यही बादल पानी बरसाते हैं। लेकिन जब आसमान में तापमान शून्य से कई डिग्री कम हो जाता है तो वहां हवा में मौजूद नमी संघनित यानी पानी की छोटी-छोटी बूंदों के रूप में जम जाती है।
इन जमी हुई बूंदों पर और पानी जमता जाता है। धीरे-धीरे ये बर्फ के गोलों का रूप धारण कर लेती हैं। जब ये गोले ज्यादा वजनी हो जाते हैं तो नीचे गिरने लगते हैं। गिरते समय रास्ते की गरम हवा से टकरा कर बूंदों में बदल जाते हैं। लेकिन अधिक मोटे गोले जो पूरी तरह नहीं पिघल पाते, वे बर्फ के गोलों के रूप में ही धरती पर गिरते हैं। इन्हें ही हम ओले कहते हैं।
गिरते हुए ओलों का व्यास l सेंटीमीटर से लेकर 7-8 सेंटीमीटर तक होता हैं l इनका वज़न लगभग 500 ग्राम तक होता है l 6 जुलाई सन १९२८ को पॉटर नेब (Potter Neb) नामक स्थान पर एक बहुत बड़ा ओला गिरा, जिसका वज़न 717 ग्राम था l इसका व्यास 14 सेंटीमीटर (5.5 इंच) था।
ओलों के गिरने से काफी नुकसान हो जाता है l यहां तक कि ओलों के गिरने से लगी चोट के कारण जानवर और आदमी भी मरते देखे गए हैं l ओलों का गिरना फसल के लिए हानिकारक होता है l इनसे खेतों में खड़ी फसल नष्ट हो जाती है l 30 अप्रैल 1888 को मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) में ओले गिरने से 246 व्यक्तियों की मृत्य हो गई थी।
कब गिरते हैं ओले?
ओले अक्सर गर्मियों के मौसम में दोपहर के बाद गिरते हैं, सर्दियों में भी ओले गिरते देखे गए हैं। जब ओले गिरते हैं, तो बादलों में गड़गड़ाहट और बिजली की चमक बहुत अधिक होती है। ये ओले कहीं बहुत हल्की तो कहीं बहुत भारी भी हो सकती है। इसका कारण यह है कि बर्फ हवा से उड़ती हुई इधर-उधर जाती हैं और एक जगह पर इकट्ठा हो जाती है। गिरती हुई बर्फ हमेशा नर्म नहीं होती। यह छोटे-छोटे गोल आकार के रूप में भी गिरती है।
ओले गोल क्यों?
ओले हमेशा गोले ही होते हैं? पानी जब बूंद के रूप में गिरता है तो पृष्ठतनाव के कारण पानी की बूंदे गोल आकार ले लेता है, तुमने नल से टपकते हुए पानी की बूंदों को देखा होगा, ये बूंद गोल रूप में होता है। ठीक इसी तरह जब आसमान से पानी गिरता है तो वह बूंद के रूप में बर्फ बन जाता है। इनमें बर्फ की कई सतहें होती हैं। अभी तक सबसे बड़ा ओला एक किलोग्राम का आसमान से गिर चुका है।