एक ही पेड़ पर बया के कुछ अधूरे कुछ, पूरे बने घोसलो की पूरी बस्ती क्यो होती है?
नर बया बनाता है घोसला
Om Prakash Patidar
गौरैया के आकार की छोटी-सी चिड़िया बया (Weaver Bird)) माहिर बुनकर है। पत्तियों, घास और तिनके से सुंदर लटकता घोंसला बनाने में इसको महारत हासिल है। बया एक ऐसा पक्षी है जो पेड़ की शाखाओं पर नहीं बल्कि उस की डाल पर लटकते हुए खूबसूरत घोंसले बनाता है. ये घोंसले आकार में लौकी की तरह लगते विभिन्न जाति के पक्षी अलगअलग डिजाइन व आकार के घोंसले बनाते हैं. अधिकतर पक्षी किसी पेड़ की ऊंची, चौड़ी शाखा पर घासफूंस व तिनकों से घोंसला बनाते हैं. लेकिन बया पक्षी कुछ अलग हट कर वृक्ष की डाल से लटकता हुआ इतना खूबसूरत घोंसला बनाता है कि उसे देख कर आश्चर्य होता है. यही नहीं, कई बार तो एक ही वृक्ष पर बया के लटकते हुए बहुत से आकर्षक घोंसले देखे जा सकते हैं. बया के घोंसले ऊपर से पतले और नीचे से गोल होते है, यह घोंसले पेड़ों पर झूलते हुए दिखाई देते हैं, लेकिन ये इतने मजबूत होते हैं कि कभी नीचे नहीं गिरते, भयंकर आंधी आने पर भी झूलते रहते है। एक पेड़ पर लटकते कई घोंसले इनकी पूरी कॉलोनी है। घोसला की बुनाई ऐसी कि इसमें बारिश की एक बूंद पानी भी नहीं पहुंचती। पानी की बूंदें ढलक कर नीचे गिर जाती हैं।
इसमें प्रवेश का छोटा का द्वार नीचे की ओर होता है। इसमें शिकारी जानवर अंदर नही पहुच पाता है। तेज हवा और बारिश में इनके लटकते घोंसले को देखकर बया की कारीगरी और इंजीनियरिंग देखते ही बनता है। घोंसला दो हिस्सों में बंटा होता है। एक हिस्से में तापमान को नियंत्रित करने के लिए मिट्टी का प्लास्टर नुमा परत चढ़ा दिया जाता है।
नर बया बनाता है घोसला
नर बया
मादा बया घोंसला नहीं बनाती। नर बया घोंसले को आधा बनाकर मादा को दिखाता है। मादा के रिजेक्ट करने नर दूसरा घोसला बनाना शुरू कर देता है। नर बया बारिश का मौसम शुरू होते ही घोंसले बनाना शुरू करता है. जब पूरा घोंसला बन जाता है तो मादा बया आ कर उस का निरीक्षण करती है. यदि उसे घोंसला पसंद नहीं आता तो नर बया को दूसरा घोंसला बनाना पड़ता है. घोंसला पसंद आने पर नर और मादा उस घोंसले में पतिपत्नी की तरह मिल कर रहते हैं. कुछ दिन बाद मादा वहां अंडे देती है. अंडे देने के बाद उस कोष्ठ को बंद कर दिया जाता है.
मद
मादा बया अंडों पर बैठ कर अंडे सेती है. नर बया उसी वृक्ष पर दूसरा घोंसला बनाना शुरू कर देता है. जब दूसरा घोंसला बन कर तैयार हो जाता है तो कोई अन्य मादा बया वहां आ कर रहने लगती है. नर बया भी उस के साथ रहने लगता है. मादा बया उस नर बया की दूसरी पत्नी बन जाती है. उस मादा बया के अंडे देने पर नर बया दूसरा घोंसला बनाना शुरू कर देता है. कुछ ही महीने में उस वृक्ष पर बया के कई घोंसले दिखाई देने लगते हैं. आसपास के वृक्षों पर भी बया के घोंसले होने से यह घोंसलों की बस्ती दिखाई देती है.
कुछ हटकर होता है, बया का घोसला
बया अधिकतर बबूल के वृक्ष पर अपने घोंसले बनाता है, जबकि दूसरे पक्षी बबूल के वृक्ष से दूर रहते हैं. बबूल के कांटों के कारण शत्रुओं से घोंसले की सुरक्षा होती है. बया के घोंसले ऊपर से पतले व नीचे से गोलाकार होते हैं. ऊपर की ओर से घोंसले में आनेजाने का रास्ता होता है जबकि नीचे की ओर 2 कोष्ठ होते हैं. एक कोष्ठ में मादा बया अंडे देती है. उस कोष्ठ को बंद रखा जाता है. कोष्ठ को बंद रखने से शत्रुओं से अंडों की सुरक्षा होती है.