क्लोरोफॉर्म क्या है? इसे भूरे रंग की बोतल में ढक्कन तक फुल भरकर अंधेरे में क्यो रखा जाता है?
हम सभी फिल्मों और TV सीरियलो में देखा होगा कि अपराधी किसी व्यक्ति की नाक पर क्लोरोफॉर्म से भींगा रुमाल रख कर उसे बेहोश कर देते है।
अपने मन मे प्रश्न आया होगा ये क्लोरोफॉर्म क्या है?
क्लोरोफॉर्म
यह एक रंगहीन और सुगंधित तरल पदार्थ होता है। इसका रासायनिक सूत्र CHCl3 मीथाइल ट्राईक्लोराइड है।
IUPAC नाम - ट्राईक्लोरोमीथेन है
इसके अन्य नाम-
फॉर्माइल ट्राईक्लोराइड,
मीथेन ट्राईक्लोराइड,
मीथेनाइल ट्राइलक्लोराइड,
क्लोरोफ़ॉर्म के उपयोग
इसका उपयोग चिकित्सा के क्षेत्र में किसी रोगी को शल्य क्रिया किए जाने के लिए मूर्छित करने हेतु निष्चेतक के रूप में प्रयोग किया जाता था । क्लोरोफॉर्म की मात्रा के कम या अधिक होने से रोगी पर सुरक्षापूर्वक वांछित परिणाम नहीं मिल पाते थे। क्लोरोफॉर्म का चिकित्सा जगत में प्रयोग 1847 से ही आरंभ हो गया था, किन्तु जल्द ही रोगियों पर इसके पड़ने वाले विपरीत प्रभाव के कारण इसके प्रयोग पर शंकाएं उठने लगीं थीं। इस कारण वर्तमान चिकित्सा में इसका प्रयोग बंद कर दिया गया है।
यह विषैला होता है और इसे शरीर के अधिक निकटस्थ प्रयोग रहने से शरीर के कई अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है।
शरीर पर क्लोरोफॉर्म के विपरीत प्रभाव के कारण क्लोरोफॉर्म सुंघने से भी बचना चाहिए, जिससे बेहोशी भी आ सकती है और अधिक मात्रा के प्रभाव से मृत्यु भी हो सकती है।
क्लोरोफॉर्म की खोज का रौचक इतिहास
क्लोरोफार्म की मूल खोज जुलाई 1831 में अमरीकी भौतिकशास्त्री सैमुअल गुथरी ने और कुछ माह बाद स्वतंत्र रूप से जर्मन रसायनज्ञ यूजीन सोबेरन और जस्टस वॉन लीबिग ने की थी।
क्लोरोफार्म का निष्चेतक प्रयोग के रूप में अन्वेषण एडनबरा के एक डाक्टर ने जेम्स यंग सिम्पसन ने किया था।
सेम्प्सन का जन्म 07 जून 1811 को एडनबरा से 23 किलोमीटर दूर बाथगेट नामक स्थान पर एक हुआ था। उनके पिता बहुत कम आमदनी पाने वाले बहुत साधारण से आदमी थे। सेम्पसन पढने लिखने में बहुत ही होशियार थे हर बात कि लगन थी उन में सिर्फ़ १४ साल कि उम्र में उन्होंने एडनबरा विश्वविधालय में दाखिला ले लिए था और मात्र 18 साल कि उम्र में अपनी डाक्टरी कि पढाई पूर्ण कर ली थी।
इसके खोज का इतिहास भी रोचक है। क्लोरोफॉर्म की खोज एडनबरा के एक डाक्टर ने की थी। एक बार उनके अस्पताल में एक रोगी के खराब टांग का आपरेशन करने हेतु उसके हाथ पांव रस्सी से बाँध दिए गए। उसकी टांग में एक घाव हो गया था जो सड़ चुका था उसकी टांग काटनी पड़ी थी। जब उसकी टांग काटी गई तो वह मरीज तो दर्द के मारे बेहोश हो गया। उसके साथ ही डाक्टर सेम्प्सन जो उस वक्त पढ़ाई कर रहे थे वह भी बेहोश हो गए। होश में आने पर उन्होंने प्रतिज्ञा कि वह कोई ऐसा आविष्कार करेंगे जिस से मरीज को इतना कष्ट न हो। जब उन्होंने इस के बारे में अपने साथ पढने वाले मित्रों से बात करी तब सब ने उनका मजाक बनाया पर उन्होंने हिम्मत नही हारी। डाक्टर बन जाने के बाद भी अपनी प्रतिज्ञा भूले नही उन्होंने इस दवाई कि खोज जारी रखे जिस से शल्य-क्रिया के समय कोई रोगी दर्द न सहे। 4 नवम्बर 1847 को कोई प्रयोग करते समय उनकी नज़र अपने सहयोगी डाक्टर पर पड़ी जो उनकी बनायी एक दवा सूंघ रहे थे और देखते ही देखते वह बेहोश हो गए। सेम्प्सन ने उसको ख़ुद सूंघ के देखा उनकी भी वही हालत हुई जो उनके सहयोगी डाक्टर की हुई थी। तभी उनकी पत्नी वहाँ आई और यह देख कर चीख उठी और किसी और डाक्टर ने डाक्टर सेम्प्सन की नाडी देखी वह ठीक चल रही थी उसी समय डाक्टर सेम्प्सन ने आँखे खोल दी और होश में आते ही वह चिल्लाए कि मिल गया, बेहोश कर के दुबारा होश में आने का नुस्खा मिल गया। बाद में इस में कई परिवर्तन किए गए और यही दवा रोगियों के लिए एक वरदान साबित हुई।
क्लोरोफॉर्म को गहरे भूरे रंग की बोतल में ढक्कन तक फूल भरकर अंधेरे में क्यो रखा जाता है?
क्लोरोफॉर्म पानी में सरलता से घुलनशील होता है। ऑक्सीजन और सूर्य के प्रकाश से क्रिया करने पर इस से फॉसजीन नामक विषैली गैस निर्मित होती है। इस कारण से इसे ढक्कन तक फूल भरकर कांच की गहरे भूरे रंग की बॉटल में रखा जाता है।
Om Prakash Patidar
अपने मन मे प्रश्न आया होगा ये क्लोरोफॉर्म क्या है?
क्लोरोफॉर्म
यह एक रंगहीन और सुगंधित तरल पदार्थ होता है। इसका रासायनिक सूत्र CHCl3 मीथाइल ट्राईक्लोराइड है।
IUPAC नाम - ट्राईक्लोरोमीथेन है
इसके अन्य नाम-
फॉर्माइल ट्राईक्लोराइड,
मीथेन ट्राईक्लोराइड,
मीथेनाइल ट्राइलक्लोराइड,
क्लोरोफ़ॉर्म के उपयोग
इसका उपयोग चिकित्सा के क्षेत्र में किसी रोगी को शल्य क्रिया किए जाने के लिए मूर्छित करने हेतु निष्चेतक के रूप में प्रयोग किया जाता था । क्लोरोफॉर्म की मात्रा के कम या अधिक होने से रोगी पर सुरक्षापूर्वक वांछित परिणाम नहीं मिल पाते थे। क्लोरोफॉर्म का चिकित्सा जगत में प्रयोग 1847 से ही आरंभ हो गया था, किन्तु जल्द ही रोगियों पर इसके पड़ने वाले विपरीत प्रभाव के कारण इसके प्रयोग पर शंकाएं उठने लगीं थीं। इस कारण वर्तमान चिकित्सा में इसका प्रयोग बंद कर दिया गया है।
यह विषैला होता है और इसे शरीर के अधिक निकटस्थ प्रयोग रहने से शरीर के कई अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है।
शरीर पर क्लोरोफॉर्म के विपरीत प्रभाव के कारण क्लोरोफॉर्म सुंघने से भी बचना चाहिए, जिससे बेहोशी भी आ सकती है और अधिक मात्रा के प्रभाव से मृत्यु भी हो सकती है।
क्लोरोफॉर्म की खोज का रौचक इतिहास
क्लोरोफार्म की मूल खोज जुलाई 1831 में अमरीकी भौतिकशास्त्री सैमुअल गुथरी ने और कुछ माह बाद स्वतंत्र रूप से जर्मन रसायनज्ञ यूजीन सोबेरन और जस्टस वॉन लीबिग ने की थी।
क्लोरोफार्म का निष्चेतक प्रयोग के रूप में अन्वेषण एडनबरा के एक डाक्टर ने जेम्स यंग सिम्पसन ने किया था।
सेम्प्सन का जन्म 07 जून 1811 को एडनबरा से 23 किलोमीटर दूर बाथगेट नामक स्थान पर एक हुआ था। उनके पिता बहुत कम आमदनी पाने वाले बहुत साधारण से आदमी थे। सेम्पसन पढने लिखने में बहुत ही होशियार थे हर बात कि लगन थी उन में सिर्फ़ १४ साल कि उम्र में उन्होंने एडनबरा विश्वविधालय में दाखिला ले लिए था और मात्र 18 साल कि उम्र में अपनी डाक्टरी कि पढाई पूर्ण कर ली थी।
इसके खोज का इतिहास भी रोचक है। क्लोरोफॉर्म की खोज एडनबरा के एक डाक्टर ने की थी। एक बार उनके अस्पताल में एक रोगी के खराब टांग का आपरेशन करने हेतु उसके हाथ पांव रस्सी से बाँध दिए गए। उसकी टांग में एक घाव हो गया था जो सड़ चुका था उसकी टांग काटनी पड़ी थी। जब उसकी टांग काटी गई तो वह मरीज तो दर्द के मारे बेहोश हो गया। उसके साथ ही डाक्टर सेम्प्सन जो उस वक्त पढ़ाई कर रहे थे वह भी बेहोश हो गए। होश में आने पर उन्होंने प्रतिज्ञा कि वह कोई ऐसा आविष्कार करेंगे जिस से मरीज को इतना कष्ट न हो। जब उन्होंने इस के बारे में अपने साथ पढने वाले मित्रों से बात करी तब सब ने उनका मजाक बनाया पर उन्होंने हिम्मत नही हारी। डाक्टर बन जाने के बाद भी अपनी प्रतिज्ञा भूले नही उन्होंने इस दवाई कि खोज जारी रखे जिस से शल्य-क्रिया के समय कोई रोगी दर्द न सहे। 4 नवम्बर 1847 को कोई प्रयोग करते समय उनकी नज़र अपने सहयोगी डाक्टर पर पड़ी जो उनकी बनायी एक दवा सूंघ रहे थे और देखते ही देखते वह बेहोश हो गए। सेम्प्सन ने उसको ख़ुद सूंघ के देखा उनकी भी वही हालत हुई जो उनके सहयोगी डाक्टर की हुई थी। तभी उनकी पत्नी वहाँ आई और यह देख कर चीख उठी और किसी और डाक्टर ने डाक्टर सेम्प्सन की नाडी देखी वह ठीक चल रही थी उसी समय डाक्टर सेम्प्सन ने आँखे खोल दी और होश में आते ही वह चिल्लाए कि मिल गया, बेहोश कर के दुबारा होश में आने का नुस्खा मिल गया। बाद में इस में कई परिवर्तन किए गए और यही दवा रोगियों के लिए एक वरदान साबित हुई।
क्लोरोफॉर्म को गहरे भूरे रंग की बोतल में ढक्कन तक फूल भरकर अंधेरे में क्यो रखा जाता है?
क्लोरोफॉर्म पानी में सरलता से घुलनशील होता है। ऑक्सीजन और सूर्य के प्रकाश से क्रिया करने पर इस से फॉसजीन नामक विषैली गैस निर्मित होती है। इस कारण से इसे ढक्कन तक फूल भरकर कांच की गहरे भूरे रंग की बॉटल में रखा जाता है।