कैसे आकाशीय बिजली इंसान को मार देती है।
Om Prakash Patidar
आकाशीय बिजली (Lightning) वायुमण्डल में विद्युत आवेश का डिस्चार्ज होना और उससे उत्पन्न कड़कड़ाहट (thunder) को तड़ित कहते हैं।
संभवत: अन्य किसी भी प्राकृतिक घटना ने इतना भय, रोमांच और आश्चर्य नहीं उत्पन्न किया होगा और न आज भी करती होगी जितना तड़ितपात और बादलों की कड़क से उत्पन्न होता है। अनादि काल से संसार के प्राय: सभी देशों में यह विश्वास प्रचलित था कि तड़ित ईश्वर का दंड है, जिसका प्रहार वह उस प्राणी अथवा वस्तु पर करता है जिसके ऊपर वह कुपित हो जाता है।
ग्रीक और रोमन देशवासी इसे भगवान जुपिटर का प्रहारदंड मान ते थे। आज भी बहुत से लोग ऐसा ही समझते हैं और तड़ित के वैज्ञानिक कारण को समझने की चेष्टा करने के बदले प्रचलित अंधविश्वास पर ही अधिक भरोसा करते हैं। प्राचीन धर्मग्रथों में वर्णित अनेक कथाएँ उनके इस अंधविश्वास को बल देती हैं।
विद्युत संबंधी जानकारियों में कुछ वृद्धि होने पर वैज्ञानिकों की यह धारणा बनी कि साधारण तौर पर तड़ित की घटना ठीक उसी प्रकार की होती है जैसा संघनित्र (condenser) को अनाविष्ट (discharge) करते समय उसके प्लेटों के बीच वायु में से होकर स्फुलिंगों का प्रवाह होता है। इस धारणा की पुष्टि करने के लिये प्रयोग करने का साहस किसी को नहीं होता था; किन्तु अन्त में बेंजामिन फ्रैंकलिन(Benjamin Franklin) की प्रेरणा से फ्रांस के दो वैज्ञानिकों, डालिबार्ड (Dalibard) और डेलॉर (Delor), ने प्रयोग करने का निश्चय किया। उन्होंने धातु के दो छड़ लिए। डालिबार्ड का छड़ 40 फुट तथा डेलॉर का छड़ 99 फूट ऊँचा था। दोनों ही छड़ों से वे लगभग डेढ़ इंच लंबाई तक के स्फुलिंगों का विसर्जन करा सकने में सफल हुए। यह प्रयोग अन्यंत खतरनाक था और आगे चलकर एक अन्य वैज्ञानिक ने यही प्रयोग दोहराते समय अपने प्राणों से ही हाथ धोया था।
फिर भी उपर्युक्त प्रयोग से यह निश्चय न हो सका कि छड़ो में उत्पन्न विद्युत् बादलों से ही आई है, क्योंकि छड़ों की पहुँच बादलों तक नहीं थी। इसलिये बेंजामिन फ्रैंकलिन ने अपना पतंगवाला सुविख्यात प्रयोग किया। उसने एक पतंग उड़ाई और उसे बादलों के अंदर तक पहुँचाया। ज्योंहि पतंग की डोर भीगी, पतंग और डोर दोनों ही तन गए जिससे यह पता चला कि दोनों विद्युत् आवेश युक्त हो गए है। उस डोर में ्फ्रैंकलिन ने एक चाभी बाँध भी दी थी। चाभी के पास उँगली ले जाने से दोनों के चटचटाहट की आवाज के साथ स्फुलिंगों का विसर्जन हुआ। इतना ही नहीं, उस चाभी का स्पर्श लीडन जार (Leyden Jar) से कराकर उसने उसे आवेशित भी कर लिया। इससे यह निश्चित हो गया कि बादलों में भी विद्युत् होती है। इस विद्युत् के स्फुलिंग रूप में विसर्जन को ही "तड़ित' कहते हैं। यह विसर्जन बादल और बादल, अथवा बादल और पृथ्वी, के बीच हो सकता है।
आकाशीय बिजली (Lightning) क्यो गिरती है?
मानसून के मौसम में जब भी आसमान में घने बादल मंडराते हैं तो आसमान से उनके गरजने की आवाज सुनाई देती है और आवाज के साथ बिजली भी चमकती हुई दिखती है जो कई बार धरती पर गिरती है जिससे कई बार जान माल का भारी नुकसान होता है। लेकिन क्या आपको पता है की आखिर आसमान में बिजली क्यों चमकती है और धरती पर क्यों गिरती है ?
दरअसल जब आसमान में बारिश वाले बादल हवा के साथ यहाँ वहां घुमते हैं तो इनमे से विपरीत चार्ज वाले बादल आपस में तेज गति से टकराते हैं और इनके टकराने की आवाज हमें सुनाई देती है साथ ही इनके टकराने पर जो घर्षण होता है उसी से बिजली पैदा होती है और धरती पर आ गिरती है।
बिजली के धरती पर टकराने की एक ख़ास वजह है, असल में बादलों के घर्षण से पैदा होने वाली बिजली कंडक्टर की तलाश में धरती पर आ गिरती है क्योंकि उसे आसमान में किसी प्रकार का कंडक्टर नहीं मिलता। ऐसे में धरती पर लोहे के खम्बे बिजली के लिए कंडक्टर की तरह काम करते हैं और उस समय अगर कोई व्यक्ति उसकी चपेट में आ जाये तो उसकी जान भी जा सकती है।
आसमान से गिरने वाली ये बिजली मानव शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है इससे शरीर के टिशूज डैमेज हो जाते है। इसके अलावा शरीर के नर्वस सिस्टम पर भी इस आसमानी बिजली का बहुत बुरा प्रभाव हो सकता है और गंभीर शारीरिक अपंगता भी होने की सम्भावना होती है। इसके इस बिजली की चपेट में आने से हार्ट अटैक होने का खतरा भी होता है जिससे जान तक जा सकती है।
कैसे आकाशीय बिजली इंसान को मार देती है।
1- डायरेक्ट स्ट्राइक यानि सीधे इंसान के सिर पर बिजली का गिरनाः खुले इलाके में काम कर रहे लोग इसके ज्यादा शिकार बनते हैं। ऐसी घटनाएं कम होती हैं, लेकिन ये जानलेवा होती हैं। क्योंकि इंसान का शरीर करीब एक लाख वोल्ट वाली इस आसमानी बिजली को पास करता है। यह एक लाख वोल्ट खतरनाक होता है जो कि-
क- रीढ़ की हड्डी: इंसान की रीढ़ की हड्डी के भीतर मौजूद नर्व दरअसल, इंसानी शरीर का बिजली घर है यहीं से सारी इलेक्ट्रिक तरंगें शरीर के अंगों को चलाने के लिए जाती हैं। रीढ़ की हड्डी से सीधे इंसानी दिल पर असर करती हैं। दिल को धड़कने के लिए बेहद महीन बिजली के इंपल्स चाहिए होते हैं, लेकिन इतनी बिजली वो झेल नहीं पाता और बंद हो जाता है।
ख- खून और मांसपेशी: ये बिजली फिर इंसानी खून में प्रवेश करती है। खून में मौजूद इलेक्ट्रोलाइट्स, एसिड, सॉल्ट से होते हुए गुजरती है, मांसपेशियों में भी दौड़ जाती है। इसके असर से खून की कण फटने लगते हैं, ठहरने लगते हैं और शरीर को उस वक्त लकवा मार जाता है। अगला असर आपकी आंखों पर होता है, करंट के चलते रैटीना आंख की मांसपेशी से अलग हो जाता है और दृष्टि चली जाती है। इसके बाद सुनने की ताकत भी कम हो जाती है क्योंकि बिजली के असर से कान के पर्दे फट जाते हैं। कई बार इंसानों के सिर पर बिजली गिरने के असर से खोपड़ी में फ्रेक्चर भी हो जाता है। इतना ही नहीं पूरी त्वचा पर बिजली के आने जाने का नक्शा जैसे छप जाता है, इन्हें रिक्टरनबर्ग स्कार्रस करते हैं।
2- IDE FLASH या SIDE SPLASH: ये तब होता है जब आसमानी बिजली किसी ऊंची चीज पर गिरती है और उसका एक हिस्सा छिटक कर किसी इंसान पर आ जाता है। ऐसे हालात में वो इंसान उस बिजली के लिए शॉर्ट सर्किट का काम करता है। ऐसा तब होता है जब वो इंसान बिजली गिरने की जगह के एक या दो फुट के फासले पर होता है। ये वो लोग होते हैं जो बारिश में किसी पेड़ के नीचे शरण लेते हैं।
3- ग्राउंड करंट: यानि जब किसी चीज पर बिजली गिरती है तो वो सीधे धरती का रुख करती है। अगर उस धरती पर आसपास कोई इंसान खड़ा है तो वो भी उस बिजली को महसूस करता है। हैरत की बात ये है कि आसमानी बिजली जब धरती से होते हुए इंसानों तक पहुंचती है तो सबसे घातक बन जाती है। भारत में होने वाली सबसे अधिक मौत इसी वजह से हुई हैं। ये बिजली शरीर में दाखिल होती है और सीधे दिल और नर्वस सिस्टम को नाकाम करती है।
4- कंडक्शन: आसमानी बिजली अगर किसी धातु के तार पर गिरती है तो उस तार के सहारे वो काफी दूर तक जा सकती है। ऐसे हालात में जिस भी इंसान ने उस धातु की चीज को आगे कहीं भी छू या पकड़ रखा होगा, उसे तगड़ा झटका लगेगा।
5- स्ट्रीमर: यानि एक इंसान से दूसरे इंसान में बिजली का प्रवाहित होना अमूमन ये कम ही देखने को मिलता है, लेकिन अगर आसमानी बिजली गिरती है और फिर एक इंसान से दूसरे के संपर्क में आती है तो वो दोनों इंसानों के लिए घातक हो सकती है।
विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 27000 लोगों की मौत आकाशीय बिजली गिरने से होती है।
लेकिन इस घातक घटना की भविष्यवाणी आजतक इंसान क्यों नहीं कर सका है?
इसकी भविष्यवाणी करना अभीतक संभव नही हुआ है।
आकाशीय बिजिली के प्रभाव से कैसे बचें?
घर में अर्थिंग वाला तार जरूर लगाएं।
जब भी आंधी तूफ़ान आये और आसमान में घने बादल मंडराएं तो अपने घर के इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे टीवी, रेडियो, कंप्यूटर आदि के पॉवर प्लग निकाल दें।
जहाँ तक हो अपना मोबाइल भी स्विच ऑफ कर दें।
फर्श या जमीन पर चलते समय अपने पैरों में रबर की चप्पल पहन के रखें।
ऐसे मौसम में बिजली के उपकरणों को बंद कर दें और उससे दूर रहें।
बारिश के मौसम में जब बिजली कड़क रही हो तो पेड़ के नीचे या खुले मैदान में ना जाएं।
घरों एवं इमारतों पर तड़ित चालक लगवाकर भी आकाशीय बिजली के खतरे से बच जा सकता है।
तड़ित चालक क्या है ? जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें-
http://myscience-mysociety.blogspot.com/2018/04/lightning.html
घरों एवं इमारतों पर तड़ित चालक लगवाकर भी आकाशीय बिजली के खतरे से बच जा सकता है।
तड़ित चालक क्या है ? जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें-
http://myscience-mysociety.blogspot.com/2018/04/lightning.html
एक किवदंती है कि जब बिजली गिरे पेड़ के नीचे नहीं जाना चाहिए, या बिजली वहां गिरती है जहां गोयरा रहता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि गोयरा भी अच्छा कन्डेक्टर हो, कुछ लोग अपने हाथ में तांबे का कड़ा भी पहनते है। इसका भी कोई वैज्ञानिक आधार हो सकता है।
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