यूटीआई (UTI) या मूत्र मार्ग संक्रमण क्या है?

यूटीआई (UTI) या मूत्र मार्ग संक्रमण क्या है?
संकलन
ओम प्रकाश पाटीदार

यूरिन इन्फेक्शन जिसे यूटीआई कहते हैं पेशाब से संबंधित अंगों में होने वाला इन्फेक्शन है। जब कुछ कीटाणु पेशाब से जुड़े अंगों में चले जाते हैं तो वहाँ संक्रमण हो जता है इस वजह से पेशाब में दर्द, जलन,कमर दर्द,बुखार आदि की तकलीफें पैदा होने लगती हैं और इसी को यूरिन इन्फेक्शन या युटीआई (UTI)कहते हैं। 

यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) मूत्र मार्ग में होने वाले संक्रमण है। यूरिनरी सिस्टम के अंग जैसे किडनी, यूरिनरी ब्लैडर और यूरेथ्रा में से कोई भी अंग जब संक्रमित हो जाए तो उसे यूटीआई संक्रमण कहते हैं। इस इंफैक्शन का जिम्मेदार बड़ी आंत का बैक्टीरिया ईकोलाई (E-coli) होता है। यह मूत्रमार्ग के हिस्से को प्रभावित करता है। हालांकि ईकोलाई के अलावा कई अन्य बैक्टीरिया, फंगस या वायरस के कारण भी यूटीआई की समस्या हो सकती है। बैक्टीरिया यूरिनरी ब्लैडर में प्रवेश कर तेज़ी से फैलना शुरू हो जाते हैं। इससे पेशाब करते समय योनिमार्ग (Vagina) में जलन होती है। समय रहते इलाज न करवाने से यह ब्लैडर और किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकता है।


यूटीआई (UTI)किन्हें हो सकता है?

यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का शिकार कोई भी हो सकता है लेकिन पुरुषों के मुकाबले महिलाएं इससे ज्यादा प्रभावित होती हैं क्योंकि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में मूत्रमार्ग छोटा होता है। इससे बैक्टीरिया ब्लैडर को जल्दी प्रभावित करते हैं। जहां पुरुषों में 45 की उम्र के बाद यह परेशानी शुरू होती है। 50 साल से कम आयु के पुरुषों में यह बीमारी बहुत कम होती है। ज्यादा उम्र के पुरुषों को यह बीमारी प्रोस्टेट ग्रंथि के बड़ा होने, डायबिटीज, एचआईवी या फिर यूरिनरी ट्रैक्ट में स्टोन होने के कारण होती है। 

महिलाएं में 15 से 40 की उम्र के बीच यह समस्या अधिक होती है। वहीं, मेनोपॉज के बाद भी मूत्र संबंधी समस्याएं बढ़ जाती है क्योंकि इस दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने लगता है लेकिन प्राइवेट पार्ट की सफाई न करने से कम उम्र की महिलाओं को भी यह परेशानी हो जाती हैं। बच्चे इस समस्या का शिकार तब होते हैं, जब उनकी पेशाब की थैली या गुर्दे में किसी तरह की कोई समस्या हो। 



यूटीआई (UTI) होने के कारण क्या होते है?

- देर तक पेशाब (urin) को रोक कर रखना
-पानी कम पीना
- किडनी में स्टोन
- पीरियड्स के दिनों में साफ-सफाई न रखना

- इम्यूनिटी सिस्टम का सही न रहना
- शौचालय के बाद प्राइवेट पार्ट की सफाई न करना।
- बिना साफ सफाई वाले विशेषकर सार्वजनिक मूत्रालयों का उपयोग 
विशेषकर सार्वजनिक शौचालयों के मामले में ज्यादातर मूत्रालय बहुत ही गंदे होते है, इनमे रोगाणुओं की संख्या बहुत ही ज्यादा होती है। महिलाओ के लिए बने यूरिनल्स की उचाई जमीन से मात्र एक इंच होती है ऐसे में पेशाब करते समय संक्रमण के चांस बहुत बढ़ जाते है।


यूटीआई (UTI)लक्षण क्या होते है?

- थकान और चक्कर आना 

- यूरिन के रंग में बदलाव
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
- बुखार आना
- यूरिन में जलन और बदबू आना

-सफेद पानी आना


यूटीआई (UTI) के इंफैक्शन से बचाव के उपाय

- यूटीआई से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं। इससे शरीर के सारे टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं। इसके अलावा तरल पदार्थों का अधिक सेवन करें। इस समस्या में अनानास/क्रेनबेरी का जूस पीना फायदेमंद है।

- पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते समय हमेशा साफ-सफाई का ध्यान रखें। टॉयलेट उपयोग करने से पहले और बाद में फ्लश जरूर करें। 
- अपनी डाइट में विटामिन-सी युक्त आहार को शामिल करें और मसालेदार चीजों से दूरी बनाएं।
- अगर आप घंटो तक पेशाब रोक कर रखते हैं तो ऐसा बिल्कुल न करें। इससे इंफैक्शन बढ़ जाएगी और किडनी को नुकसान पहुंचेगा।  
- प्राइवेट पार्ट की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। मूत्र त्याग करने के बाद योनि को अच्छे से साफ करें ताकि इन्फेक्शन न हो।
- गर्म पानी के बैग या बोतल से सिकाई करने से भी यूटीआई इंफेक्शन से छुटकारा मिलता है।
- गर्मी के मौसम में हमेशा सूती और आरामदायक अंडरगार्मेंट्स पहनें। 
- बाहरी और खुले जगहों में खाने से परहेज करें क्योंकि यहीं संक्रमण होने का सबसे बड़ा कारण है। खून में होने वाली इन्फेक्शन यूरिन तक पहुंचकर यूटीआई का कारण बनती है

Quick Knowledge about UTI
मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI)
* मूत्र मार्ग संक्रमण यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन जिसे UTI के नाम से भी जाना जाता है
* मूत्र मार्ग में बैक्टीरिया का विकास होने पर यह संक्रमण हो जाता है कभी-कभी फंगस और वायरस द्वारा भी यह संक्रमण फैल जाता है
* विशेषकर 18 से 40 साल की महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है
* लगभग 5 में से एक महिलाओं को कभी ना कभी UTI हो ही जाता है
* इस संक्रमण से गुर्दा गर्भाशय मूत्राशय और मूत्र मार्ग प्रभावित होते हैं
* UTI के कारण
> जननांगों की साफ सफाई पर ध्यान ना देने से
> गर्मी और उमस मौसम में साफ सफाई ना होने से पसीने के बैक्टीरिया से
> कम मात्रा में या अशुद्ध पानी पीने से
> बहुत अधिक मात्रा में शराब पीने से
> बहुत अधिक मिर्च और मसाला वाला खाना खाने से
> बहुत देर तक पेशाब रोकने से
> लंबी बीमारी से
> असुरक्षित यौन संबंध से
> गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन बढ़ने ले
> मधुमेह से
> मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता पर ध्यान न देने से
> शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से
* सही समय पर UTI का पता लग जाए तो उपचार आसान होता है इसके प्रमुख लक्षण
> पेशाब करते समय असहजता महसूस होना
> पेशाब करते समय दर्द होना
> बार बार पेशाब की इच्छा होना
> ठंड लगने के साथ बुखार और उल्टी होना
> इंस्पेक्टर बनने पर मूत्रमार्ग में असहनीय जलन और बार-बार टॉयलेट सीट पर बैठीने की इच्छा होना
> कमर के निचले हिस्से में तेज दर्द
> कमजोरी महसूस होने लगती है
> मूत्रमार्ग में खुजली तथा पेशाब में बदबू आने लगती है
> कई बार पेशाब का रंग बहुत गाढ़ा पीला हो जाता है
> छोटे बच्चे में इन्फेक्शन होने पर वह चिड़चिड़े हो जाते हैं और उनमें बुखार उल्टी दस्त के लक्षण नजर आते हैं
> कभी-कभी पीलिया भी हो सकता है
* आयुर्वेद के अनुसार शरीर में पित्त का बढ़ना इस संक्रमण के फैलने के मुख्य कारणों में से एक हैं
* महिलाओं में यह अधिक होता है पर पुरुषों में भी कम नहीं होता
* सावधानी ही बचाव है
> पर्याप्त मात्रा में पानी पिए
> बहुत तंग जींस लंबे समय तक ना पहने
> हमेशा सूती और ढीले अंतर्वस्त्र ही पहने
> पेशाब बहुत देर तक रोक कर ना रखें
> मलत्याग या मूत्रत्याग के बाद जननांगों को अच्छी तरह साफ करें
> जननांगों पर खुशबूदार पदार्थ या परफ्यूम का इस्तेमाल ना करें
> बहुत तेज मिर्च मसालों का सेवन ना करें
> शराब और कैफीन से परहेज रखें
> आहार में तरबूज संतरा मौसमी अनार और फालसा जैसी ठंडी फल खाएं
> पेठा या आंवला का मुरब्बा नियमित खाएं क्योंकि इन में मौजूद विटामिन सी बैक्टीरिया बढ़ने नहीं देता
> दही का सेवन जरूर करें
> गाजर गन्ने का रस नारियल पानी और छाछ खूब पिएं
> एक कप मूली का रस सुबह शाम पिए
> भिंडी तुरई धनिया और अदरक का सेवन जरूर करें
> लहसुन प्याज करौंदा और सौंफ का पानी से राहत मिलती है
> चीनी का सेवन कम करें

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