पॉपकॉर्न क्यों करते हैं पॉप साउंड और मक्के के दाने क्यो फुट कर बिखर जाते है।
Om Prakash Patidar
Shajapur
पॉपकॉर्न, ये शब्द सुनते ही एक अजीब सी खूश्बू याद आती है. जीभ ललचाती है और कानों में पट पट की आवाज गूंजने लगती है.
जब भी कोई किसी फिल्म को देखने मूवी हॉल जाता है तो वह पॉपकॉर्न तो जरूर ही खरीदता है। अपने भी तो फ़िल्म देखते समय पॉपकॉर्न खाये है न?
लेकिन क्या आपको मक्के के दाने का पट करके पॉपकॉर्न बनने का असली राज पता है.
कठोर बीजावरण (Seed Coat) वाले मक्के के दाने में पानी और स्टार्च की मात्रा काफी मौजूद रहती है। जब मक्के को भूना जाता है तो 100 डिग्री सेल्सियस की गर्मी पाते ही मक्के के दाने के भीतर मौजूद नमी भाप बनने लगती है. जब तापमान 180 डिग्री पहुंच जाता है तो मक्के के दाने के भीतर भाप की वजह से 10 बार का दबाव पैदा हो जाता है. दाने का बाहरी सख्त कवच इस दबाव को बर्दाश्त नहीं कर पाता और पट की आवाज कर टूट जाता है. सारी भाप बाहर निकल जाती है. इसी के साथ स्टार्च भी एक जिलेटिनस पदार्थ में बाहर आ जाता है।
भांप बाहर निकलते ही दाने के भीतर का दबाव अचानक बहुत ही कम हो जाता है और छिलके के छोटे छोटे टुकड़े अंदर की ओर खिंचे चले जाते हैं. यही कारण है कि पॉपकॉर्न का सफेद मुलायम हिस्सा बाहर रहता है.
मक्के के ही फुले क्यो पड़ते है। गेहू के क्यो नही?
फुले पड़ने के लिए बिजावरण थोड़ा कठोर और बीज में नमी होना चाहिए। मक्के के साथ साथ ज्वार के भी फुले बनते है। यही इन अनाजो में स्टार्च ज्यादा हो तो ये पॉप की आवाज़ करते है। यही कारण है, कि मक्के के फूले को पॉपकॉर्न कहते है। इसी प्रकारचावल से मुरमुरे बनते है। चने भी सिकाई करने पर चने भी फूल कर मुलायम हो जाते है।
फुले पड़ने के लिए बिजावरण थोड़ा कठोर और बीज में नमी होना चाहिए। मक्के के साथ साथ ज्वार के भी फुले बनते है। यही इन अनाजो में स्टार्च ज्यादा हो तो ये पॉप की आवाज़ करते है। यही कारण है, कि मक्के के फूले को पॉपकॉर्न कहते है। इसी प्रकारचावल से मुरमुरे बनते है। चने भी सिकाई करने पर चने भी फूल कर मुलायम हो जाते है।