कुहनी (Elbow) की हड्डी पर चोट लगते ही हमे झटका (करंट-सा) क्यों लगता है?

कुहनी (Elbow) की हड्डी पर चोट लगते ही हमे झटका (करंट-सा) क्यों लगता है?
Om Prakash Patidar

कभी कभी जब हमारी कोहनी पर कोई हल्की सी चोट लगती है तो हमे बिजली सा झटका लगता है, ऐसा क्यों होता है?इसके पीछे क्या कारण होता है? इसका कारण है हमारी Ulnar Nerve आइये इसे समझते है-

यह हमारे हाथों की तीन मुख्य तंत्रिकाओं में से एक है। यह हमारे मेरुदंड से निकल कर गले, कंधे, कोहनी से होते हुए कलाई तक जाता है। इसके पथ पर इसका अधिकतम भाग हड्डियों, माँस, और पसलियों से ढका होता है, परंतु कोहनी के पास यह एक  सुरंग से हो कर जाता है जहाँ इसके ऊपर चमड़ी की एक छोटी परत होती है। यह तंत्रिका कई बार अत्यधिक दबाव पड़ने के कारण यह बाहर सतह की ओर आ जाती है। उस समय उसपर झटका लगने से बिजली के झटके जैसा आभास होता है। दूसरे शब्दों में कहे तो कोहनी के एक विशेष बिंदु पर एक नस आती है जिसे अल्नर तांत्रिका (Ulnar Nerve) कहते है। इस तांत्रिक पर थोड़ा भी आघात मिलने पर अधिक वेदना होती है इसलिए करंट सा लगता है। क्योकि यह शरीर मे ऊपरी सतह पर होती है, जबकि इसके नीचे हड्डी होने से इस पर सीधा आघात होने से हमे तुरंत संवेदना प्राप्त होती है। यह अनुभूति हमारे गले, कंधे और कलाइयों में भी हो सकती है, परंतु अधिकतम बार यह कोहनी में होती है।


इस Ulnar Nerve को "संगीतकार की तंत्रिका" (Musician Nerve) के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह उंगलियों के संचालन को नियंत्रित करता है। कुछ लोग इसे funny bone कहते है। लेकिन ये वास्तव में एक तांत्रिका के कारण से होता है।

ऐसा ही एहसास एक घुटने (Knee) में भी होता ही। डॉक्टर घुटने के उस बिंदु पर हल्का रबड़ का हथौड़ा मर कर हमारी चेतना की जाँच करते हैं। उसमें करंट लगना अच्छी निशानी होती है। करंट न लगने का मतलब चेतना की कमी झटका लगना मतलब हमारी तंत्रिकाएं संवेदनाओ को अच्छे से ग्रहण कर रही है।

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