आंखों के सामने तैरती आकृतियां (प्लवमान पिंड/Eye Floaters) क्या है?

What are some floating thread-like shapes before our eyes?Does everyone see?
Om Prakash Patidar

जब कभी हम खुले आसमान की तरफ देखते है तो कभी -कभी हमे कुछ अजीबोगरीब आकृतियां आंखों के सामने तैरती दिखाई देती हैं। इनमे से

कुछ गोलाकार तो कुछ छोटी छोटी लकड़ी के जैसी या फिर किसी कीड़े की तरह। लेकिन जब आप जिज्ञासा वश इन आकृतियों  की तरफ फोकस करते हो, तो वह अपनी जगह से भाग जाती हैं।आपकी पलक झपकने पर भी वे गायब हो जाती हैं। लेकिन फिर आंखों के सामने आकर घूमती हुई दिखाई देती है। आखिर ये क्या है? और हमे क्यो दिखाई देती है?

इन आकृतियों को Eye Floater (फ्लोटर)  कहते है?


आई फ्लोटर्स क्या है?


आई फ्लोटर्स आंखों के भीतर घूमते हुए छोटे धब्बे हैं, जो अचानक किसी भी समय आँखों के आगे आ जाते हैं। जिससे कुछ पलों के लिए दृश्‍यता बाधित होती है। अमूमन ये आंखों के सामने त‍ब आते हैं जब आप कोई सफेद कागज पर लिखा कुछ पढ़ रहे होते हैं या नीला आसमान देख रहे होते हैं।

इसका नाम फ्लोटर इसलिए पड़ा क्योंकि यह आपकी आँखों के अन्दर तैरता रहता है।  जब भी आप इनपर ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास करते हैं तो ये दूर हट जाते हैं। ये कई विभिन्न आकार प्रकार में दिखाई देते हैं :

काले या खाकी धब्बे टेढ़ी मेढ़ी लकीरें रस्सी जैसे रेशे जो खुरदुरे एवं तकरीबन पारदर्शी होते हैं मकड़ी के जालों की तरह वृत्ताकार हो सकते है।

हकीकत में वो तैरते हुए तंतु ना ही आसमान में है और ना ही आपके आँखों के आगे। ये चीजेंं वास्तव में आपकी आँख के अंदर मौजूद होती हैं। ये भले ही आपको कोई जिंदा चीज या आकर बदलने वाला कोई कीड़ा लगे जो आपसे आँख मिचौली खेल रहा हो, लेकिन वास्तव में ऐसा बिल्कुल नहीं है।
फ्लोटर वो चीज़े हैं जो आपकी आँख की रेटिना* छाया डालते हैं. वे के टुकड़े, लाल रक्त कोशिकाएंं या प्रोटीन के समूह भी हो सकते है।यह फ्लोटर्स आपकी आँखों के हलन चलन के साथ-साथ एक तरल जेल या चिपचिपे प्रवाही की तरह बहते हैं और छोटे छोटे उछाल करने लगते हैं। इनकी परछाई आपके रेटिना पर पड़ती हैं। यह जितने आपके रेटिना के नजदीक होते हैं उतने ही यह आपके लिए अधिक दृष्टिगोचर होते हैं।



क्यो बनते हैं आई फ्लाेेेटर्स ?

जब हम पैदा होते हैं तब हमारी आंखों में विट्रीस जैल के रूप में स्थिर होते हैं। युवा होने तक यह आंखों में जैल के रूप में ही स्थिर रहते हैं। पर जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है यह जैल घुलकर द्रव रूप में फैलने लगता है। जैल के जो तत्‍व पूरी तरह से घुल नहीं पाते वे छोटे-छोटे फ्लोटर्स का रूप ले लेते हैं। कई बारे ये पतले रेशे जैसे होते हैं, तो कभी वृत्‍ताकार और कभी मकड़ी के जाले की शेप में। यही जब तैरकर रेटिना के एरिया में आ जाते हैं तो दृश्‍यता बाधित करते हैं।
यह चीजे वास्तव में हमारी आँख के नेत्रगोलक के अंदर मौजूद होती हैं. यह फ्लोटर भले ही आपको जिंदा या अपना आकार बदलनेवाले लगते हो, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हैं.
फ्लोटर वो चीज़े हैं जो आपकी आँख की रेटिना (आंख के पीछे वाला प्रकाश के प्रति संवेदनशील ऊतक) पर छाया डालते हैं. वे ऊतक के टुकड़े, लाल रक्त कोशिकाए आदि होते हैं. यह फ्लोटर्स आँखों के घूमने के साथ-साथ एक तरल जेल या चिपचिपे प्रवाही की तरह बहते हैं और छोटे छोटे उछाल करने लगते हैं. इनकी परछाई रेटिना पर पड़ती हैं. हम आँखे बंद करने पर आप ज्यादातर इन्हें ही देखते हैं. यह जितने आपके रेटिना के नजदीक होते हैं उतने ही अधिक दृष्टिगोचर होते हैं। जब हम किसी लगातार आते हुए उज्ज्वल प्रकाश की तरफ देखते हैं तब यह फ्लोटर अच्छी तरह देखने लायक होते हैं. जैसे की एक खाली कंप्यूटर स्क्रीन, या फिर नील आसमान तो तरफ देखते समय यह बहुत स्पष्ट दिखाई देते है।
यह कई बार दिखने में बहुत बड़े भी हो सकते हैं. कई बार उचित परिस्थितियों में आपको एक काले रंग की पूँछ उन बिन्दुओं का पीछा करे हुए भी दिखती हैं. वास्तव में यह आँखों के ल्युकोसैट के पीछे का लाल रक्त कोशिकाओं का एक बड़ा सा गुच्छा होता हैं.

इनका नाम फ्लोटर क्यो पड़ा?

इसका नाम फ्लोटर इसलिए पड़ा क्योंकि यह आपकी आँखों के अन्दर तैरता रहता है।  जब भी आप इनपर ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास करते हैं तो ये दूर हट जाते हैं। ये कई विभिन्न आकार प्रकार में दिखाई देते हैं :

काले या खाकी धब्बे टेढ़ी मेढ़ी लकीरें रस्सी जैसे रेशे जो खुरदुरे एवं तकरीबन पारदर्शी होते हैं मकड़ी के जालों की तरह वृत्ताकार हो सकते है।

असामान्य व अधिक बड़े फ्लोटर्स हो तो मुश्किल वाली बात भी हो सकती है-

फ्लोटर्स के मामले में, अक्सर हमारा ध्यान ज्यादातर इन पर नहीं जाता हैं, क्योंकि ज्यादातर हमारा दिमाग इन्हें अनदेखा ही करता हैं. लेकिन हाँ, बचपन में आपका ध्यान इन पर जरुर गया होंगा. हालांकि, असामान्य रूप से कई बार बड़े फ्लोटर्स दिखना आपकी आँख के लिए गंभीर हालात का संकेत हो सकता है, जिनको तत्काल चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है
कई बार आई फ्लोटर्स काफी मात्रा में बढ़ जाते हैं एवं इसके साथ रोशनी की झलक या पास की नज़र कम होने लगती है। यह चिंता का विषय है। ऐसी स्थिति में तुरंत आई स्‍पेशलिस्‍ट की मदद लेनी चाहिए। लापरवाही करने पर यह नजर के लिए खतरा भी बन सकते हैं।

8 टिप्पणियाँ

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  1. उपयोगी जानकारी के लिए थैंक्स सर।

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  2. Yes I often see these floaters . But these are like the Crocodile, Whale fish , aeroplane and Dinosaur for me whenever I look at the open sky these structure always surround me and while I want to see them clearly they speedly run away and disappear from my reach

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  3. Meri ankhon ke aagey tedi medi lakire, amoeba ki tarah ki aakriti aur gol kala dhaba dikhai deta rehta hai 24 hrs ... 5 saal ho gaye behad pareshan hoon... Kya ye eye floaters hain ??? Jo mujhe dikhai de rhe hain ??? Iski koi medicine hoti hai ya phir surgery karwani padti hai ? Kripya thoda guide kijiye?

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  4. Meri Aankh Mein chot lagne Se Meri Aankhon Ke Samne Kale dhabbe samajh mein Aate Hain ghumte Hue Najar Aate Hain kripya sujhav dijiye

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