अमिट स्याही (indelible ink) क्या है?
Om Prakash Patidar
चुनाव में वोट देने के बाद उंगली पर लगाई जाने वाली स्याही को अमिट स्याही कहते हैं। वोटिंग के बाद मतदाता की उंगली पर लगाई जाने वाली स्याही का इस्तेमाल फर्जी मतदान को रोकने के लिए किया जाता है।
अमिट स्याही का निर्माण कोनसी कंपनी करती है:-
आमिट स्याही देशभर में केवल मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड नामक कंपनी में बनती है। यह कंपनी कर्नाटक सरकार के अधीन है। यह कंपनी मैसूर के महाराजा द्वारा 1937 में स्थापित की गई थी। उस वक्त इसका नाम था 'Mysore Lac and Paints Limited'। आजादी के बाद इस कंपनी को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम का दर्जा मिला। चुनावों में इसका प्रयोग 1962 में इस कंपनी को अमिट स्याही बनाने का मिला। इस स्याही का इस्तेमाल पहली बार तीसरे लोकसभा चुनाव में हुआ जो 1962 में हुए थे। अमिट स्याही बनाने का काम बेहद सुरक्षित और गोपनीय तरीके से होता है।
अमिट स्याही का फार्मूला:-
इस स्याही को बनाने का फॉर्मूला नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी ऑफ इंडिया (CSIR-NPL)द्वारा तैयार किया गया है। इस स्याही का निशान उंगली पर करीब 20 दिनों तक रहता है। इसका मुख्य रसायन सिल्वर नाइट्रेट है। स्याही में यह 5 से 25 फीसदी तक होता है। मुख्यत: बैंगनी रंग का यह केमिकल प्रकाश में आते ही रंग बदल लेता है और इसे किसी भी तरह से मिटाया नहीं जा सकता।
अमिट स्याही जल्दी क्यो नही मिटती है?
अमिट स्याही सिल्वर नाइट्रेट में घुली डाई होती है। सिल्वर नाइट्रेट रंगहीन विलियन है। इसमें डाई मिलाई जाती है। उंगली पर लगने के बाद सिल्वर नाइट्रेट त्वचा से निकलने वाले पसीने में मौजूद सोडियम क्लोराइड (नमक) से क्रिया करके सिल्वर क्लोराइड बनाता है। धूप के संपर्क में आने पर यह सिल्वर क्लोराइड टूटकर धात्विक सिल्वर में बदल जाता है। धात्विक सिल्वर पानी या वाॅर्निश में घुलनशील नहीं होता इसलिए इसे उंगली से आसानी से साफ नहीं किया जा सकता।
अन्य देशों में अमिट स्याही का निर्यात एवं उपयोग:-
मैसूर पेंट्स एंड वाॅर्निश कंपनी मालदीव, मलेशिया, कंबोडिया, अफगानिस्तान, मिस्र, थाईलैंड, सिंगापुर और दक्षिण अफ्रीका में भी स्याही का निर्यात करती है। भारत में मतदाता के बाएं हाथ के अंगूठे के बाजू वाली उंगली के नाखून पर इसे लगाया जाता है, वहीं, कंबोडिया और मालदीव में इस स्याही में उंगली डुबानी पड़ती है।बुरंडी और बुकीर्ना फासो में इसे हाथ पर ब्रश से लगाया जाता है,अफगानिस्तान में इसे पैन के माध्यम से लगाया जाता है।