कैंसर ट्रैन (Cancer train) क्या वाकई किसी ट्रैन का नाम है?

कैंसर (Cancer ट्रैन क्या किसी ट्रैन का नाम हो सकता है?
Om Prakash Patidar

भारत मे लोग ट्रैन के वास्तविक नाम के अतिरिक्त इसे दूसरे नाम से भी पहचानते है, जैसे कैंसर ट्रैन। क्या वाकई में कोई कैंसर ट्रैन भी चलती है। जी हां पंजाब के बठिंडा से चलकर राजस्थान के बीकानेर जाने वाली ट्रेन (नंबर 54703) का नाम अबोहर-जोधपुर एक्सप्रेस है, लेकिन इसे कैंसर एक्सप्रेस के नाम से भी जाना जाता है। 
पंजाब में खतरे के स्तर से ज़्यादा गंभीर हो चुकी कैंसर की बीमारी का अंदाज़ा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि रोज़ाना बठिंडा से बीकानेर जाने वाली एक ट्रेन को लोगों ने कैंसर ट्रेन का नाम दे दिया है। पूछ-ताछ खिड़की पर अक्सर, लोग इस ट्रेन की इनक्वायरी कैंसर ट्रेन बोलकर करते हैं। रेलवे कर्मचारी भी इस नाम के आदी हो गये हैं और उन्हें कोई आपत्ती नहीं होती।
इस ट्रेन को कैंसर ट्रैन इसलिये कहते है क्योंकि रोज़ाना रात को तकरीबन 9 बजकर 25 मिनट पर चलने वाली इस ट्रेन में लगभग 12 कोचेज़ हैं। इस ट्रेन में कैंसर मरीज़ की मुफ्त यात्रा की सुविधा है। मरीज़ के साथ 1 यात्री को किराये में 75% तक की छूट भी मिलती है। रोज़ लगभग 200 से ज़्यादा कैंसर मरीज़ इसमें सवार होते हैं। सबकी मंज़िल होती है बीकानेर का आचार्य तुलसी रीज़नल कैंसर ट्रीटमेंट और रिसर्च सेंटर। 325 किलोमीटर का सफर करके और कुछ 20 से ज़्यादा स्टेशनों से होती हुई, सुबह ये ट्रेन बीकानेर पहुँचती है।

भटिंडा में इतने कैंसर मरीज कहा से आते है?
पंजाब का मालवा क्षेत्र कैंसर बेल्‍ट के रूप में तब्‍दील हो गया है। दूषित भूजल के कारण इस भयावह बीमारी लोग मौत के ग्रास बन रहे हैं। पंजाब में कैंसर कि वजह खेतों में अत्याधिक कीटनाशकों के प्रयोग और पानी में घुलनशील रसायनों को भी माना है। पंजाब में हर दिन 18 लोग कैंसर की वजह से दम तोड़ देते हैं।



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