अक्सर देखा जाता है कि नवजात शिशु हमेशा अपनी मुट्ठी कस के बन्द रखते हैं अथवा अगर आप उनकी हथेली पर अपनी ऊँगली या कोई दूसरी चीज रख दें तो वे मुट्ठी भींच कर आपकी ऊँगली कस के पकड़ लेते हैं। वैज्ञानिको ने अपने प्रयोगों में पाया है कि नवजात शिशुओ की पकड़ इतनी शक्तिशाली होती है कि इस पकड़ के सहारे एक शिशु को हवा में लटका देने पर.. शिशु अपना वजन सिर्फ इस पकड़ के सहारे सपोर्ट कर सकता है।
आप ने जब भी छोटे बच्चे (शिशु) को देखा होगा तो पाया होगा कि वह सोते समय अपनी मुठ्ठी बन्द रखते है। क्या इसके पीछे भी कोई कारण होता है?
तो आखिर बच्चों की इस बन्द मुट्ठी का रहस्य और इसके पीछे की प्रेरणा क्या है? आइये जानते हैं।
आइये थोड़ी चर्चा करते है।
आप ने जब भी छोटे बच्चे (शिशु) को देखा होगा तो पाया होगा कि वह सोते समय अपनी मुठ्ठी बन्द रखते है। क्या इसके पीछे भी कोई कारण होता है?
तो आखिर बच्चों की इस बन्द मुट्ठी का रहस्य और इसके पीछे की प्रेरणा क्या है? आइये जानते हैं।
आइये थोड़ी चर्चा करते है।
कही इसके पीछे ये कारण तो नही की जन्म की पहले मॉ की कोख में बच्चों की खुली मुट्ठीयो की उंगलियां कोई गड़बड़ न कर दे? ये कारण हो सकता है क्या?
आप सोच रहे होंगे कि नवजात शिशुओं का कमज़ोर सा दिखनेवाला नन्हा सा अंगूठा भला क्या गड़बड़ कर सकता है?
चलिए सबसे पहले जानते है कि माँ के गर्भ के भीतर एक नाज़ुक पतली झिल्लीदार एम्नियोटिक थैली (amniotic sac) होती है जिसमें बच्चा लिपटा होता है. इस थैली में बच्चे को पोषण देने वाला एम्नियोटिक द्रव भरा होता है. इस थैली को मामूली खरोंच या चुभन भी इतनी क्षति पहुंचा सकती है कि बच्चे को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।
हो सकता है बच्चे की उंगलियों के नुकसान से बचने के लिए ही शिशु अपनी मुट्ठी बन्द रखते है। चलिए इस तर्क को सही मान लेते है। अब प्रश्न ये उठता है कि नाखून तो पैरों में भी होते हैं, और पैरों को तो मुठ्ठी की तरह नहीं सिकोड़ा जा सकता? और गर्भ में शिशु अपने पैर चलाते रहते हैं. फिर पैरों की उंगलियों के नाखूनों से एम्नियोटिक थैली को नुकसान क्यों नहीं पहुंचता? इसका कारण ये है कि बच्चों के पैरों के नाखून उंगलियों और अंगूठे के नाखून की तरह बाहर निकले नहीं होते बल्कि इस प्रकार से धंसे हुए होते हैं कि उनके धारदार किनारे पैरों के अंगूठे और उंगलियों की त्वचा के नीचे दब जाते हैं. यही कारण है कि नवजात शिशुओं के हाथों के नाखून काटने की ज़रूरत पड़ती है लेकिन पैरों के नाखून काटने का समय बहुत बाद में आता है. प्रकृति को यह पता है कि पैरों के नाखून हाथों के नाखूनों की तरह मुठ्ठी में नहीं छुप सकते इसलिए यह व्यवस्था की गई है कि वे चारों ओर से त्वचा से घिरे रहें ताकि उनके धारदार किनारे कहीं खरोंच न लगा सकें। रही बात केेई उंंगलीयो के नाखून की तो उनको तो बन्द मुट्ठी में छुपाया जा सकता है। हो सकता है कि इसी आदत के कारण शिशु अपनी मुट्ठी क्यों बंद किये रहते है?
मुठ्ठी बन्द करने की इस प्रवृति को जैव विकास के साथ साथ हम यदि डार्विन के सिद्धांत के साथ मिला कर देखे तो हम पाएंगे कि यह बन्द मुठ्ठी मनुष्य में अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए तो नही है? यह भी हो सकता है।?
बच्चों में मुट्ठी कस कर बन्द करने की प्रवत्ति अगर जन्म से होती है तो कही ना कही इसका सम्बन्ध "अस्तित्व" को बचाने (Survival) से ही है।
वैज्ञानिको के अनुसार.. आज से लाखो वर्ष पूर्व जब "चौपाया" इंसान जंगलो में रहता था तो मानव मादाओं को भोजन की तलाश तथा जानवरो से सुरक्षा के लिए एक पेड़ से दूसरे पेड़ से अक्सर छलांग लगानी पड़ती थी अथवा कभी कभी तेज गति से दौड़ना भी पड़ता था।
अब जाहिर है कि ये सब काम एक नवजात शिशु को सँभालते हुए नही किये जा सकते।
इसलिए आधुनिक बंदरो की भाँति नवजात शिशु भी उस वक़्त अपनी माँ के पेट अथवा सीने से चिपके हुए होते थे और अपनी माँ को कस के पकड़ कर रखते थे
क्योंकि वे जानते थे कि... अगर ये पकड़ कमजोर हुई... तो वे अपने जीवन से हाथ धो बैठेंगे।
मानव विकास के साथ-साथ यह लक्षण हमारे DNA में समाहित रहते है। इसी कारण आज हजारो वर्ष पश्चात भी... जीवन के संघर्ष में उपयोगी इस "मजबूत पकड़" की स्मृति बच्चों के DNA के माध्यम से युगों युगों से संवहित होती आ रही है।
अगली बार आप किसी बच्चे के करीब जाए और वो आपका हाथ अथवा ऊँगली कस के पकड़ ले तो याद रखियेगा कि...
ये पकड़... ये बन्धन.. लाखो वर्ष पुराने भरोसे का प्रतीक है।
वो भरोसा जो बच्चों को यकीन दिलाता है कि चाहे कुछ भी हो जाए। अपनी पकड़ बनाये रखिये।।
हो सकता है बच्चे की उंगलियों के नुकसान से बचने के लिए ही शिशु अपनी मुट्ठी बन्द रखते है। चलिए इस तर्क को सही मान लेते है। अब प्रश्न ये उठता है कि नाखून तो पैरों में भी होते हैं, और पैरों को तो मुठ्ठी की तरह नहीं सिकोड़ा जा सकता? और गर्भ में शिशु अपने पैर चलाते रहते हैं. फिर पैरों की उंगलियों के नाखूनों से एम्नियोटिक थैली को नुकसान क्यों नहीं पहुंचता? इसका कारण ये है कि बच्चों के पैरों के नाखून उंगलियों और अंगूठे के नाखून की तरह बाहर निकले नहीं होते बल्कि इस प्रकार से धंसे हुए होते हैं कि उनके धारदार किनारे पैरों के अंगूठे और उंगलियों की त्वचा के नीचे दब जाते हैं. यही कारण है कि नवजात शिशुओं के हाथों के नाखून काटने की ज़रूरत पड़ती है लेकिन पैरों के नाखून काटने का समय बहुत बाद में आता है. प्रकृति को यह पता है कि पैरों के नाखून हाथों के नाखूनों की तरह मुठ्ठी में नहीं छुप सकते इसलिए यह व्यवस्था की गई है कि वे चारों ओर से त्वचा से घिरे रहें ताकि उनके धारदार किनारे कहीं खरोंच न लगा सकें। रही बात केेई उंंगलीयो के नाखून की तो उनको तो बन्द मुट्ठी में छुपाया जा सकता है। हो सकता है कि इसी आदत के कारण शिशु अपनी मुट्ठी क्यों बंद किये रहते है?
मुठ्ठी बन्द करने की इस प्रवृति को जैव विकास के साथ साथ हम यदि डार्विन के सिद्धांत के साथ मिला कर देखे तो हम पाएंगे कि यह बन्द मुठ्ठी मनुष्य में अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए तो नही है? यह भी हो सकता है।?
बच्चों में मुट्ठी कस कर बन्द करने की प्रवत्ति अगर जन्म से होती है तो कही ना कही इसका सम्बन्ध "अस्तित्व" को बचाने (Survival) से ही है।
वैज्ञानिको के अनुसार.. आज से लाखो वर्ष पूर्व जब "चौपाया" इंसान जंगलो में रहता था तो मानव मादाओं को भोजन की तलाश तथा जानवरो से सुरक्षा के लिए एक पेड़ से दूसरे पेड़ से अक्सर छलांग लगानी पड़ती थी अथवा कभी कभी तेज गति से दौड़ना भी पड़ता था।
अब जाहिर है कि ये सब काम एक नवजात शिशु को सँभालते हुए नही किये जा सकते।
इसलिए आधुनिक बंदरो की भाँति नवजात शिशु भी उस वक़्त अपनी माँ के पेट अथवा सीने से चिपके हुए होते थे और अपनी माँ को कस के पकड़ कर रखते थे
क्योंकि वे जानते थे कि... अगर ये पकड़ कमजोर हुई... तो वे अपने जीवन से हाथ धो बैठेंगे।
मानव विकास के साथ-साथ यह लक्षण हमारे DNA में समाहित रहते है। इसी कारण आज हजारो वर्ष पश्चात भी... जीवन के संघर्ष में उपयोगी इस "मजबूत पकड़" की स्मृति बच्चों के DNA के माध्यम से युगों युगों से संवहित होती आ रही है।
अगली बार आप किसी बच्चे के करीब जाए और वो आपका हाथ अथवा ऊँगली कस के पकड़ ले तो याद रखियेगा कि...
ये पकड़... ये बन्धन.. लाखो वर्ष पुराने भरोसे का प्रतीक है।
वो भरोसा जो बच्चों को यकीन दिलाता है कि चाहे कुछ भी हो जाए। अपनी पकड़ बनाये रखिये।।
aur jis child ke hath khule rahte h uska kya karan ho skata h plz tell me
जवाब देंहटाएंभाई खुली मुट्ठी का क्या रहस्य है बताओ मुझे भी please
हटाएंसिम्पल वो जरुर एक बार मृत भ्रूण या किसी और योनी से मानव योनी मे आया हैं
जवाब देंहटाएंHello
जवाब देंहटाएंमानव के सुखी जीवन का रहस्य नवजात मानव शिशु की बंद मुट्ठी ओं में छुपा होता है
जवाब देंहटाएंमानव के सुखी जीवन का रहस्य नवजात मानव शिशु की बंद मुट्ठीओं में छुपा होता है जिस का रहस्य जानना विज्ञान की परिधि से परे है इस रहस्य को 35 से 40 वर्षों के अध्यात्म महाविज्ञान के गहन अध्ययन और शोध के उपरांत हासिल किया जा सका है विज्ञान अध्यात्म महाविज्ञान का भाग है इसलिए अध्यात्म महाविज्ञान विज्ञान का हमेशा समर्थन करता है अधिक जानकारी के लिए सीक्रेट जानने सीखने और उस पर अमल कर जीवन को धन सुख सार्थकता के साथ टेंशन फ्री ग्रेट एंड स्मार्ट लाइफ जीने का रहस्य जानने के लिए मानव सृष्टि की महानतम खोज दो पुस्तकें पढ़ना तमाम मानव सृष्टि को नितांत आवश्यक और अनिवार्य है
जवाब देंहटाएंपहली पुस्तक * द सीक्रेट ऑफ ह्यूमन हैप्पीनेस * हिंदी में Published by BooksClinic publication ISBN:978-93-89757-15-6 MRP ₹1195/ तथा दूसरी पुस्तक *32 डेज ओनली * जो शीघ्र ही पब्लिश होने वाली है
अधिक जानकारी एवं पुस्तक की उपलब्धता हेतु संपर्क करें
डीएस यादव
मोटीवेटर वैलनेस सलाहकार समाजसेवी लेखक मानव सृष्टि धनसुख सार्थकता आध्यात्मिक शोधकर्ता एवं सत्यान्वेषी
+91 9837535360
E-mail diptisinghyadav05148@gmail.com
और जिस बच्चे की खुले मुट्ठी होती है तो उसका कारण क्या होता है जरूर बताइए
जवाब देंहटाएंAur khuli mutthi ka kya...kyuki meri bachhi apne hath khule rakhti h hamesha aur kisi ka hath ya ungli v nhi pakadti agar pakde v to bilkul loose turant chhod v deti h
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