आकाशगंगा क्या है?

What is a Galaxy?
Om Prakash Patidar

आकाशगंगा क्या है?

आकाश की ओर देखने पर हमें अक्सर बहुत दूर फैली एक दूधिया रंग की पट्टी सी दिखाई देती है। यह दूधिया पट्टी बड़े बड़े तारों के झुरमुटों से बनी होती है। इसी पट्टी को हम आकाशगंगा कहते हैं। बड़ी बड़ी दूरबीनों से देखने पर ज्ञात होता है की आकाशगंगा में अनगिनत तारे, धूल और गैसों की धुंध होती है। ब्रह्मांड में ऐसी अनगिनत आकाशगंगाएे हैं। सांप की कुंडली जैसा आकार लिए आकाशगंगा में लगभग डेढ़ अरब सितारे हैं।

आकाशगंगा बनावट (Structure) एवं उद्भव (Origin)-

आकाशगंगाओं की गति बहुत तेज रहती है, इसके कारण वो एक दूसरे से टकराते रहते हैं जिसके परिणामस्वरूप एक नए आकाशगंगा का निर्माण हो जाता है। ब्रह्माण्ड या अंतरिक्ष में पाए जाने वाले आकाशगंगाओं का नियमित रूप से उद्भव होता रहता है या तो उनकी टक्कर हो जाती है या वे एक दूसरे में विलय हो जाते हैं।
कुछ आकाशगंगा ऐसे भी हैं जो अभी पूरी तरह बने नहीं हैं और उनके अंदर तारे भी बन रहे हैं, इनको प्रोटो गैलेक्सी कहा जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है डार्क गैलेक्सी भी विद्यमान हैं जिनके अंदर सिर्फ डार्क मैटर और गैस होता है। आकाशगंगा कैसे बने – इसके बारे में वैज्ञानिक पूरी तरह से नहीं जानते एवं इसपे अभी भी शोध चालू है।

आकाशगंगाओं के प्रकार-

आकाशगंगाओं को उनके आकार एवं प्रकाश के आधार पर दिखावट के हिसाब से वर्गीकृत किया जाता है। इनको हब्बल वर्गीकरण स्कीम के हिसाब से क्रमबद्ध किया जाता है। इस हिसाब से ये निम्नलिखित चार भागों में विभाजित किये गए है:

1. एपलिप्टिकल (elliptical) आकाशगंगा-
ये दीर्घ वृत्तकार के होते हैं। ये ज्यादातर गोल आकार में पाए जाते हैं और एक छोर से दूसरे छोर तक फैलते रहते हैं। इन आकाशगंगाओं में पुराने तारे पाए जाते हैं जिनकी संख्या एक ट्रिलियन के अस पास होगी। इसके अलावा धूल और दूसरे गैस मिश्रित पदार्थ भी पाए जाते हैं।
यहां के तारे गांगेय केंद्र (galactic centre) की परिक्रमा करते रहते हैं। इनमे से कई अव्यवथित तरीके से भी परिक्रमा करते रहते हैं। यहां नए तारे भी बनते हुए पाए गए हैं। सभी आकाशगंगाओं में ये सबसे भारी और फैले हुए होते हैं और अनुमान के अनुसार दो मिलियन प्रकाश वर्ष तक लम्बे होते हैं।

2.घुमावदार (Spiral) आकाशगंगा-
हमारा मिल्की वे आकाश गंगा इस श्रेणी में आता है। यह एक चपटे डिस्क के रूप में होता है जिसका केंद्र उभड़ा हुआ रहता है और आसपास की चीजें घुमावदार स्थिति में होती है। इस आकाशगंगा के डिस्क में तारे, ग्रह, धूल एवं गैस के मिश्रण आदि सब पाए जाते हैं जो केंद्र के चारों ओर सुचारु रूप से परिक्रमा करते रहते हैं।
ये 100 किलोमीटर प्रति सेकंड के हिसाब से परिक्रमा करते हैं। जो पुराने तारे होते हैं, वो इस आकाशगंगा के उभरे हुए मध्य भाग में पाए जाते हैं। कई नए तारे भी मौजूद रहते हैं। इसके अलावा यहाँ ब्लैक होल भी पाए जाते हैं जिनके अंदर डार्क मैटर विराजमान रहता है।

3. अनियमित आकाशगंगा-
वे आकाशगंगा जो न तो घुमावदार होते हैं और न ही गोल आकार के होते हैं, वे अनियमित श्रेणी में आते हैं। इनका कोई स्थिर आकार नहीं होता और ये दूसरे आकाशगंगाओं के गुरुत्वाकर्षण बल से प्रभावित रहते हैं। मागेलनिक आकाशगंगा इसका एक उदाहरण है।

4. बौना (Dwarf) आकाशगंगा-
ड्वार्फ आकाशगंगाएं सबसे छोटे प्रकार की हैं। ये हमारे मिल्की वे के एक सौवें भाग के बराबर रहते हैं। इनके अंदर कुछ बिलियन तारे ही पाए जाते हैं। ये काफी हद तक दूसरे मजबूत आकाशगंगाओं के बल से प्रभावित रहते हैं। कई ड्वार्फ आकाशगंगाएं एक बहुत बड़े एवं मजबूत आकाशगंगा की परिक्रमा करते हुए मिलते हैं। वैज्ञानिकों ने हब्बल टेलिस्कोप की मदद से यह खोज किया है कि लगभग एक दर्जन ड्वार्फ आकाशगंगा मिल्की वे की परिक्रमा कर रहे हैं।


1 टिप्पणियाँ

If you have any idea or doubts related to science and society please share with us. Thanks for comments and viewing our blogs.

और नया पुराने