Rough Chaff Tree
(आंधीझड़ा या अपामार्ग) general information
(आंधीझड़ा या अपामार्ग) general information
ओम प्रकाश पाटीदार
अपामार्ग एक औषधीय पौधा है, इसका वैज्ञानिक नाम (Achyranthes aspera) है। हिन्दी में इसे 'चिरचिटा', 'लटजीरा', 'चिरचिरा ' आदि नामों से जाना जाता है। इसके बीज कपड़ों को पकड़ लेते हैं और इन्हें कपड़ों से निकालना मुश्किल होता है। ये बीज वास्तव में पौधे का ही हिस्सा होते हैं। जो पौधे की सुरक्षा के लिए ढ़ाल का काम करते हैं।
आवास एवं स्वभाव-
यह पौधा एक से तीन फुट ऊंचा होता है और भारत में सब जगह घास के साथ अन्य पौधों की तरह पैदा होता है। खेतों की बागड़ के पास, रास्तों के किनारे, झाड़ियों में इसे सरलता से पाया जा सकता है। यह समशीतोष्ण और अष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। यह एक खरपतवार है जो अक्सर आपको खेतों या खाली पड़े भूभाग में देखने को मिल सकते है।
यह वर्षा ऋतु में पैदा होता है। इसमें शीतकाल में फल व फूल लगते हैं और ग्रीष्मकाल में फल पककर गिर जाते हैं। इसके पत्ते अण्डकार, एक से पाँच इंच तक लंबे और रोम वाले होते हैं। यह सफेद और लाल दो प्रकार का होता है। सफेद अपामार्ग के डण्ठल व पत्ते हरे व भूरे सफेद रंग के होते हैं। इस पर जौ के समान लंबे बीज लगते हैं। लाल अपामार्ग के डण्ठल लाल रंग के होते हैं और पत्तों पर भी लाल रंग के छींटे होते हैं। इसकी पुष्पमंजरी 10-12 इंच लंबी होती है, जिसमें विशेषतः पोटाश पाया जाता है।
इसकी जड़ बेलनाकार होती है जिसकी मोटाई 0.1-1.0 सेमी तक हो सकती है। कुछ पौधों में द्वतियक और तृतियक जड़ें मौजूद होती हैं जिनका रंग भूरा होता है।
इसका तना 0.3-0.5 सेमी मोटा होता है। इस पौधे में कट के निशान होते हैं, इसके तने का रंग हल्का पीला होता है। इसका तना भी बेलनाकार होता है जो कि ठोस होता है। लेकिन जब यह पौधा सूख जाता है तो इसका तना खोखला होता है।
पत्ते लंबे होते हैं जिन पर रूओं की मोटी कोट होती है। इसके पत्ते लहरदार होते हैं।
औषधीय महत्व-
यह पौधा खरपतवार होने के साथ ही एक विशेष जड़ी बूटी माना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें बहुत से औषधीय गुण होते हैं। इसमें ट्राइटरपेनोइड सैपोनिन (triterpenoid saponins) होते हैं जिनमें ऑलिओलिक एसिड एग्लीकोन के रूप में होता है। इसके अन्य घटकों में एंचेंटाइन, बीटाइन, पेंटेट्रियाकॉन्टेन, 6-पेंटेट्रियाकोंटोनोन, हेक्साट्रियाकॉन्टेन और ट्रिट्रीकॉन्टेन (hexatriacontane, and tritriacontane) भी मौजूद हैं। इसका उपयोग अनेक रोगों के लिए औषधीया बनाने में किया जाता है।
धार्मिक महत्व-
हिन्दू मान्यता के अनुसार ऋषि पंचमी के व्रत के दौरान महिलाएं इस पौधे के 108 डंठल लेकर उनपर 108 बार जल अर्पित कर स्नान करती है।