कौवा एक चतुर और बुद्धिमान पक्षी।

Crow a cleaver and wise bird-
ओम प्रकाश पाटीदार

एक कौवा प्यासा था।
घड़े में पानी थोड़ा था।।
घड़े में डाल कंकड़।
पानी आया ऊपर।।
कव्वे ने पीया पानी।
खत्म हुई कहानी।।


यह कहानी अपने जरूर सुनी होगी, कहानी का सारांश है कि कौवा बहुत ही सायना (Clever) होता है। पक्षियों में सयानेपन (चालाकी) के लिए विख्यात कौवे को मानव आमतौर पर पक्षियों की अन्य जैसे तोता, बुलबुल आदिं जैसा प्यार भले ही न देता हो लेकिन पितृपक्ष और पर्यावरण के लिए कौवा के महत्व को नकारा नही जा सकता है। पक्षियों में सयानेपन (चालाकी) के लिए विख्यात कौवे को मानव आमतौर पर पक्षियों की अन्य प्रजापतियों जैसा प्यार भले ही न देता हो लेकिन पितृपक्ष और पर्यावरण के लिए कौवा के महत्व को नकारा नही जा सकता है।

कौवा (Crow)-
कौआ काले रंग का कबूतर के आकार का एक पक्षी है। इसका वैज्ञानिक नाम corvus है। यह काले रंग का और स्लेटी रंग का एक पक्षी होता है जिसे बड़ा ही चतुर पक्षी माना जाता है यह पक्षी दुनिया भर में पाया जाता है किंतु लगातार हो रही जंगलों की कटाई और पर्यावरण में असंतुलन की वजह से यह पक्षी विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुका है। अब यह बहुत कम संख्या में दिखाई देते हैं कहीं-कहीं तो यह पूरी तरह विलुप्त हो चुके हैं। कौवा लगभग 1 से लेकर 1.5 फीट तक का लंबे होते हैं जबकि इनका वजन 300 ग्राम से लेकर 2 किलोग्राम तक भी हो सकता है।
यह कर्ण कर्कश ध्वनि 'काँव-काँव' करता है। भारत मे कुछ समय पहले कौवे बहुतायत में पाये जाते थे , लेकिन अब इनकी बहुत सी प्रजातीय विलुप्त होने की कगार पर है।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार श्राद्ध पक्ष में कौवे को भोजन देना शुभ माना गया है, लेकिन इनकी घटती संख्या के कारण स्थिति यह है कि श्राद्ध में अनुष्ठान पूरा करने के लिए कौए तलाशने से भी नहीं मिल रहे हैं। कौए के विकल्प के रूप में लोग बंदर, गाय और अन्य पक्षियों को भोजन का अंश देकर अनुष्ठान पूरा कर रहे हैं।

भारत मे कौवे की प्रजातियाँ-
विश्व मे कौवे की 40 से अधिक प्रजातीय पाई जाती है, जबकि भारत मे कौए की छः प्रजातियाँ मिलती हैं। पक्षी विज्ञानी सालिम अली ने हैन्डबुक में दो का ही ज़िक्र किया है- एक जंगली कौआ (कोर्वस मैक्रोरिन्कोस) तथा दूसरा घरेलू कौआ (कोर्वस स्प्लेन्ड़ेंस)। जंगली कौआ पूरी तरह से काले रंग का होता है, जबकि घरेलू कौआ गले में एक भूरी पट्टी लिए हुए होता है।

दाम्पत्य जीवन-
कौवा जीवन भर अपने एक ही साथी के साथ शरीरक संबंध बनाता है जाने के एक नर जब एक बार किसी मादा के साथ शरीरक संबंध बना लेता है तो यह पूरी जिंदगी उसी के साथ है शरीरक संबंध बनाता है। जब मादा कौआ अपने अंडे देती है तो नर उन्ह अंडों की रक्षा करता है। इसके अलावा जब बच्चे अंडे से बाहर निकल जाते हैं तो नर और मादा दोनों मिलकर अपने बच्चों की देखभाल करते हैं जब तक बच्चे उड़ने के काबिल ना हो जाए।

कौवा हमारे पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण क्यो?
कौवा मृत लावारिस जीवों, कीड़े मकौड़ों को खाकर पर्यावरण की सुरक्षा करते हैं। पर्यावरण में सफाई का कार्य गिद्ध व कौवे करते थे। लेकिन गिद्ध विलुप्त होने के कारण अब यह जिम्मेदारी पूरी तरह कौवों के ऊपर आ पड़ी है।

कौवों की निरन्तर घटती के कारण-
पेड़ों की कमी के कारण कौवे कम हो रहे हैं। कौवों का मुख्य निवास पेड़ों पर ही होता है। यह ऊंचे पेड़ो पर अंडे देता है,अब उनके पेड़ ही बहुत कम बचे है। साथ ही कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से भी इनको हानि पहुची है।

19 टिप्पणियाँ

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  1. बहुत की तथ्यात्मक और सही जानकारी से परिचय कराया आदरणीय को धन्यवाद।

    अरुण कुमार पाटीदार कपालिया

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  2. I think this is a very interesting, helpful and motivating information.l love animals and birds but after this information l wants to take some stopes for protecting to crow.

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  3. I think this is a very interesting, helpful and motivating information. Iam animals and birds lovers. After this information l will be take some steps for protecting to crow.

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  4. Badiya jankari hai per iski pranati ko vilupt hone se bachna chahiye

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  5. Very nice information and the same is happening with other birds also.

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  6. बहुत अच्छी जानकारी, थैंक्स सर।

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  7. हमें जैव विविधता के संरक्षण हेतु संकल्पित होना चाहिए
    अच्छी जानकारी 🙏धन्यवाद।

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  8. It's important information about crows- Anukrati vyas class 6th

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