साबुन बनाने की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण घटक-
1. वसीय अम्ल ।
2.कास्टिक सोडा।
3. पानी ।
1. वसीय अम्ल या (FATTY ACID ) : वसीय अम्ल का मुख्य स्रोत नारियल जैतून या ताड़ के पेड़ होते हैं, इसे जानवरों की चर्बी से भी निकाला जाता है,जिसे टालो(TALLOW ) कहते हैं जो की बूचड़खाने से मिलता हैIटालो से निकले जाना वसीय अम्ल अपेक्षाकृत सस्ता होता हैI इस वसीय अम्ल(FATTY ACID ) से सोडियम लौरेल सल्फेट(SLS ) का निर्माण होता है जो झाग बनाने में प्रयुक्त होता हैI
साबुन में झाग के लिए इस्तेमाल होने वाले रसायन सोडियम लारेल सल्फेट से त्वचा की कोशिकाएं शुष्क हो जाती हैं और कोशिकाओं के मृत होने की संभावना रहती है.यह आँखों के लए अत्यंत हानिकारक है नहाते समय साबुन यदि आँखों में चला जाये तो इसी रसायन के असर से हमे तीव्र जलन का अनुभव होता है,त्वचा पर खुजली और दाद की संभावना होती है.
यदि आप शाकाहारी हैं तो अपने साबुन के रैपर पर ध्यान से देखें की कही छोटे अक्षरों में (TALLOW ) तो नहीं लिखा हैI
साबुन के वर्गीकरण से पहले हमे एक महत्त्वपूर्ण शब्द TFM के बारे में जान ले जो सामन्यतया हर साबुन के पैकेट के पीछे लिखा मिल जायेगा.."TFM " का मतलब TOTAL FATTY MATRIAL होता है जो की साबुन का वर्गीकरण और गुणवत्ता का निर्धारण करता है.. जितना ज्यादा TFM का प्रतिशत होगा साबुन की गुणवत्ता उतनी ही अच्छी होगीI
TFM के आधार पर साबुन को 3 भागो में वर्गीकृत कर सकते हैं:
1.कार्बोलिक साबुन (Carbolic Soap) Grade-3
2.ट्वायलेट साबुन (Toilet Soap) Grade-2
3. नहाने का साबुन (Bathing Soap) Grade-1
1. कार्बोलिक साबुन (CARBOLIC SOAP ) :GRADE 3 : इस साबुन में TFM का प्रतिशत 50% से 64% तक होता है.और यह साबुन सबसे घटिया दर्जे का साबुन होता हैIइसमें फिनायल की कुछ मात्रा होती है जो सामन्यतया फर्श या जानवरों के शारीर में लगे कीड़े मारने के लिए प्रयुक्त किया जाता हैIयूरोपीय देशों में इसे एनिमल सोप या जानवरों के नहाने का साबुन भी कहते है।
2. ट्वायलेट साबुन :GRADE 2 : यह गुणवत्ता के आधार पर दूसरे दर्जे का साबुन होता हैIट्वायलेट सोप का उपयोग सामन्यतया शौच इत्यादि के बाद हाथ धोने के लिए होता हैIइसमें 65 से 75% TFM होता है.,इससे इस्तेमाल से त्वचा पर होने वाली हानि कार्बोलिक साबुन की अपेक्षा कम होती हैIभारत में इस श्रेणी का साबुन लक्स,लिरिल डिटोल और हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड के अन्य कई उत्पाद हैI
3. नहाने का साबुन या बाथिंग बार.: GRADE 1 SOAP : गुणवत्ता के आधार पर सर्वोत्तम साबुन है तथा इसका उपयोग स्नान के लिए किया जाता हैIइस साबुन में TFM की मात्रा 76% से अधिक होती है।
ये सारे प्रकार हुए रासायनिक साबुन के अतः कोई भी रासायनिक साबुन त्वचा के लिए लाभदायक नहीं है कम हानि के लिए साबुन के रैपर पर TFM की मात्रा ७६% से अधिक देखकर लेIये साबुन नहाने का साबुन या बाथिंग बार की श्रेणी में आते हैं बाकी के सभी साबुन या तो जानवरों के नहालने के लिए प्रयोग होने वाले हैं या शौचालय से आने के बाद हाथ धोने के लिएI
हर्बल और आयुर्वेदिक साबुन: ये एक अन्य प्रकार साबुन है जो लगभग पूर्ण रूप से रसायनों से रहित(CHEMICAL FREE ) होता हैIइसको बनाने में मुख्य रूप से भारत में पैदा होने वाले तथा घरों में इस्तेमाल होने वाले सौन्दर्य प्रसाधन होते हैं जो की निम्नलिखित हैI
यदि इन वैज्ञानिक तथ्यों को जानने के बाद भी कोई रासायनिक साबुन का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए करना चाहता है की वो किसी सुन्दर अभिनेत्री के अर्धनग्न शरीर को टेलीविजन पर प्रसारित कर बेचा जा रहा है तो कृपया TFM का प्रतिशत रैपर के पीछे देखकर ये निश्चित कर ले की कही विज्ञापनों को देख कर आप कही ट्वायलेट में इस्तेमाल होने वाले साबुन से स्नान तो नहीं कर रहे??या आपका साबुन आप के नहाने के लिए है या कुत्तों के नहाने के लिए ???