What is Braille Script?
Om Prakash Patidar
ब्रेल एक लेखन प्रणाली है, जो की नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए सृजित की गई थी। ब्रेल एक स्पर्शनीय (Touchable) लेखन प्रणाली है। इसे एक विशेष प्रकार के उभरे कागज़ पर लिखा जाता है। इसकी संरचना फ्रांसीसी नेत्रहीन शिक्षक व आविष्कारक लुइस ब्रेल ने की थी। इन्हीं के नाम पर इस प्रणाली का नाम रखा गया है।
ब्रेल लिपि कैसी होती है?
ब्रेल में आयताकार बिँदुएं होती हैं, जिन्हें 'सैल्स' बुलाया जाता है; साथ ही, 'रैसड डॉट्स' (उठी हुई बिँदु ) नामक छोटे उभाड़ होते हैं। इन्हीं दोनों की व्यवस्था और संख्या से भिन्न चरित्रों की विशिष्टता होती है। ब्रेल की मैपिंग हर भाषा में अलग हो सकती है; यहाँ तक की, एक भाषा में भी ब्रेल की कोडिंग के अलग-अलग स्तर हो सकते हैं। अंग्रेजी में ब्रेल की कोडिंग के तीन स्तर हैं। आजकल ब्रेल कंप्यूटर व फ़ोन के कीबोर्ड पर भी उपलब्ध होने लगी है।
लुइस ब्रेल कोन थे?
लुई ब्रेल का जन्म 04 जनवरी 1809 में फ्रांस के कुप्रे नामक स्थान पर हुआ लुई ब्रेल के पिता साइमन रेले ब्रेल शाही घोड़ों के लिए काठी बनाने का काम करते थे. आर्थिक जरूरतों और आर्थिक संसाधनों की कमी के कारण साइमन पर काम का अधिक बोझ होता था, इसलिए उन्होंने 3 साल के लुइस को अपने साथ काम पर लगा लिया. अपने पिता के औजारों से खेल रहे लुई के आंख में एक औजार लग गया. जिससे उनकी आंखों की रोशनी चली गयी।
लुई ने हिम्मत नहीं हारी और पढ़ाई जारी रखने की बात परिवारवालों को कही. लुई के परिवार ने उनका दाखिला एक चर्च के पादरी की मदद से पेरिस के ब्लाइंड स्कूल में कराया.
16 साल की उम्र में लुई ब्रेल ने स्कूल में गणित, भूगोल और इतिहास विषयों में महारथ हासिल कर शिक्षकों और छात्रों के बीच अपनी एक खास जगह बना ली थी।
16 साल की ही उम्र में यानी साल 1825 में लुई ने एक ऐसी लिपि का आविष्कार किया जिसे ब्रेल लिपि कहा जाता है. लुई ने लिपि का आविष्कार कर नेत्रहीन लोगों की शिक्षा में क्रांति ला दी. 1851 में उन्हें टी.बी. की बीमारी हो गई जिससे उनकी तबियत बिगड़ने लगी और 6 जनवरी 1852 को महज 43 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. उनके निधन के 16 वर्ष बाद 1868 में रॉयल इंस्टिट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ ने इस लिपि को मान्यता दी.
ब्रेल लिपि का विचार कैसे आया?
ब्रेल लिपि का विचार लुई के दिमाग में फ्रांस की सेना के कैप्टन चार्ल्र्स बार्बियर से मुलाकात के बाद आया. चार्ल्स ने सैनिकों की अंधेरे में पढ़ी जाने वाली नाइट राइटिंग और सोनोग्राफी के बारे में लुई को बताया था. ये लिपि कागज पर उभरी हुई होती थी और 12 प्वाइंट्स पर बेस्ड थी. लुई ब्रेल ने इसी को आधार बनाकर उसमें संशोधन कर उस लिपि को 6 बिंदुओं में तब्दील कर ब्रेल लिपि का आविष्कार कर दिया.
लुई ने ब्रेल लिपि में 12 की बजाए 6 प्वाइंट्स का इस्तेमाल किया और 64 अक्षर और चिन्ह बनाए. लुई ने लिपि को कारगार बनाने के लिए विराम चिन्ह और संगीत के नोटेशन लिखने के लिए भी जरूरी चिन्हों का लिपि में जोड़ा.
भारत सहित पूरे विश्व मे सम्मान मिला
लुई ब्रेल ने केवल फ्रांस में ख्याति अर्जित की बल्कि भारत में भी उन्हें वहीं सम्मान हासिल है जो देश के दूसरे नायकों को मिलता है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत सरकार ने 2009 में लुइस ब्रेल के सम्मान में डाक टिकिट जारी किया था.
लुई की मौत के 100 साल पूरे होने पर फ्रांस सरकार ने दफनाए गए उनके शरीर को बाहर निकाला और राष्ट्रीय ध्वज में लपेट कर पूरे राजकीय सम्मान से दोबारा दफनाया.
Nice infermention 👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी और रौचक जानकारी
जवाब देंहटाएंExcellent information
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी व ज्ञानवर्धक जानकारी है।👍👍🙏🏼🙏🏼
जवाब देंहटाएंयशिका चेलनी 6 A GN
जवाब देंहटाएंउत्तम कामकारी जानकारि
NICE information 👌👌👍👍👌👌👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंNICE infermention 👌👌👍👍👌👌👌
जवाब देंहटाएंNice informati
जवाब देंहटाएंMam best
जवाब देंहटाएंPavitra soni