कर्क (कैंसर) रोग क्या है?
कैंसर' यह नाम सुनते ही हमारे मन मे एक जानलेवा रोग का चित्र उभर आता है। कैंसर अब एक सामान्य रोग हो गया है। हर दस भारतीयों में से एक को कैंसर होने की संभावना है। कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है। परन्तु यदि रोग का निदान व उपचार प्रारम्भिक अवस्थाओं में किया जावें तो इस रोग का पूर्ण उपचार संभव है।
कैंसर क्या है?
हमारा शरीर अरबो-खरबो कोशिकाओं (Cells) से बना होता है। इन कोशिकाओं में निरंतर ही विभाजन होता रहता है । यह एक सामान्य प्रक्रिया है और इसपर शरीर का पूरा नियंत्रण होता है। लेकिन कभी-कभी जब शरीर के किसी विशेष अंग की कोशिकाओं पर शरीर का नियंत्रण बिगड़ जाता है और कोशिकाएं असामान्य व अनियंत्रित रूप में बढ़ने लगती हैं। इस स्थिति को कैंसर कहा जाता हैं।
- विश्व में कुल 2 करोड लोग कैंसर ग्रस्त हैं इनमें हर वर्ष 90 लाख व्यक्ति और जुड जाते हैं।
- विश्व में हर वर्ष अनुमानित 40 लाख व्यक्तियों की कैंसर के कारण मृत्यु हो जाती है।
- भारत में एक लाख की जनसंख्या पर 70 से 80 व्यक्ति कैंसर से पीडित हो जाते हैं इस तरह हमारे देश में लगभग लाख से अधिक व्यक्ति हर वर्ष कैंसर पीडित होते हैं।
- भारत में कैंसर से मरने वाले व्यक्तियों में 34 प्रतिशत लोग धूम्रपान/ तम्बाकू के सेवन करने वाले होते हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विकासशील देशों में सन् 2015 तक कैंसर के कारण होने वाली मृत्युओं की संख्या 25 लाख से बढकर 65 लाख होने की संम्भावना है।
कैंसर क्यो और कैसे होता है ?
मानव शरीर में जब कोशिकाओं के जीन में परिवर्तन होने लगता है, तब कैंसर की शुरुआत होती है। ऐसा नहीं है कि किसी विशेष कारण से ही जीन में बदलाव होते हैं, यह स्वंय भी बदल सकते हैं या फिर दूसरे कारणों की वजह से ऐसा हो सकता है, जैसे-गुटका-तंबाकू जैसी नशीली चीजें खाने से, अल्ट्रावॉलेट रे या फिर रेडिएशन आदि इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं ।
ज्यादातर यह देखा गया है कि कैंसर शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं को समाप्त कर देता है, परंतु कभी-कभी कैंसर की कोशिकाएं को इम्यून सिस्टम झेल नहीं पाता और व्यक्ति को कैंसर जैसी लाइलाज बिमारी हो जाती है ।
जैसे-जैसे शरीर में कैंसर वाली कोशिकाएं बढ़ती रहती हैं, वैसे-वैसे ट्यूमर यानि एक प्रकार की गांठ उभरती रहती है। यदि इसका उपचार सही समय पर न किया जाए तो यह पूरे शरीर में फैल जाता है।
कैंसर होने के संभावित कारण निम्नलिखित हो सकते है-
- धूम्रपान-सिगरेट या बीडी, के सेवन से मुंह, गले, फेंफडे, पेट और मूत्राशय का कैंसर होता है।
- तम्बाकू, पान, सुपारी, पान मसालों, एवं गुटकों के सेवन से मुंह, जीभ खाने की नली, पेट, गले, गुर्दे और अग्नाशय (पेनक्रियाज) का कैंसर होता है।
- शराब के सेवन से श्वांस नली, भोजन नली, और तालु में कैंसर होता है।
- धीमी आचॅं व धूंए मे पका भोजन (स्मोक्ड) और अधिक नमक लगा कर संरक्षित भोजन, तले हुए भोजन और कम प्राकृतिक रेशों वाला भोजन(रिफाइन्ड) सेवन करने से बडी आंतो का कैंसर होता है।
- कुछ रसायन और दवाईयों से पेट, यकृत(लीवर) मूत्राशय के कैंसर होता है।
- खतरनाक रेडिएशन के संपर्क में आना।
- अनुवांशिक कारण आदि।
कैंसर कितने प्रकार का होता है?
डॉक्टर्स और शोधकर्ता मानते हैं कि कैंसर 200 से भी अधिक तरह का होता है। इसीलिए इनके लक्षण भी विभिन्न होते हैं। इसमे से प्रमुख प्रकार के कैंसर निम्नलिखित है-
चर्म (Skin) कैंसर -
चर्म कैंसर यानि स्किन कैंसर के मामले भी देश में बहुत तेजी से सामने आए हैं । डॉक्टर्स का कहना है कि स्किन कैंसर बहुत अधिक गर्मी में रहने, उचित भोजन न करने और शून्य शारीरिक गतिविधि न करने से शरीर में पनपता है । स्किन कैंसर हर उम्र के व्यक्ति को हो सकता है ।
रक्त (Blood) कैंसर-
लोगों में सबसे तेजी से बढ़ने वाले कैंसर में ब्लड कैंसर सबसे आगे है। इस कैंसर में व्यक्ति के शरीर की रक्त कोशिकाओं में कैंसर पैदा होने लगता हैऔर इसी के चलते शरीर में रक्त की कमी हो जाती है और कैंसर बहुत तेजी से शरीर में संक्रमित होना शुरू हो जाता है।
फेफड़ों (Lungs) का कैंसर
फेफड़ों के कैंसर में व्यक्ति की स्थिति बहुत दयनीय और खराब हो जाती है। सांस लेने में परेशानी, बलगम जमने की दिक्कत, हड्डियों-जोड़ों में बेहिसाब दर्द और भूख ना लगना इसके प्रमुख लक्षण हैं । शरीर में भारी कमजोरी का आभास होता है । हर समय बेवजह ही थकान लगी रहती है । फेफड़ों के कैंसर के बढ़ने की वजह धुम्रपान है।
मष्तिष्क (Brain) का कैंसर-
ब्रेन कैंसर व्यक्ति के सिर वाले भाग में पनपता है । ब्रेन कैंसर का ही दूसरा नाम ब्रेन ट्यूमर भी है । इस कैंसर वाले रोगी के दिमाग वाले भाग में एक ट्यूमर यानि गांठ बन जाती है और यह गांठ समय के साथ-साथ बड़ी होने लगती है और धीरे-धीरे पूरे मस्तिष्क में फैल जाती है ।
स्तन कैंसर
स्तन कैंसर या जिसे ब्रैस्ट कैंसर भी कहते हैं, यह विशेषकर महिलाओं को होता है, परंतु ऐसा नहीं है कि यह पुरुषों को नहीं हो सकता । इस कैंसर से ग्रसित औरतों के स्तन में एक प्रकार की गांठ बननी शुरु हो जाती है, जो धीरे-धीरे समयानुसार बढ़ने लगती है । यदि इससे बचाव करना है तो नियमित रूप से स्तन की जांच करवाते रहें।
कैंसर के कुछ प्रारम्भिक लक्षण क्या है?
कैंसर के प्रारंभिक चरण में निम्न लक्षण दिखायी दे सकते है-
- शरीर में किसी भी अंग में घाव या नासूर, जो न भरे।
- लम्बे समय से शरीर के किसी भी अंग में दर्दरहित गॉंठ या सूजन।
- स्तनों में गॉंठ होना या रिसाव होना मल, मूत्र, उल्टी और थूंक में खून आना।
- आवाज में बदलाव, निगलने में दिक्कत, मल-मूत्र की सामान्य आदत में परिवर्तन, लम्बे समय तक लगातार खॉंसी।
- पहले से बनी गॉंठ, मस्सों व तिल का अचानक तेजी से बढना और रंग में परिवर्तन या पुरानी गॉंठ के आस-पास नयी गांठो का उभरना।
- बिना कारण वजन घटना, कमजोरी आना या खून की कमी।
- औरतों में- स्तन में गॉंठ, योनी से अस्वाभाविक खून बहना, दो माहवारियों के बीच व यौन सम्बन्धों के तुरन्त बाद तथा 40-45 वर्ष की उर्म में महावारी बन्द हो जाने के बाद खून बहना।
कैंसर की जांच कैसे की जाती है?
कैंसर होने की स्थिति में क्या करें और क्या न करें, यह एक समस्या है, परंतु सबसे पहले क्या करना चाहिए, यह हम आपको बताते हैं । अपने नज़दीकी अस्पताल जाकर डॉक्टर से कंसल्ट करें । कैंसर और उसकी स्टेज जानने के लिए कुछ टेस्ट आवश्यक होते हैं और उन्हीं के दम पर डॉक्टर रोगी का आगे का इलाज करता है –
सीबीसी (CBC) और ड्ब्लूबीसी (WBC) -
सीबीसी टेस्ट से कैंसर की पक्की जानकारी नहीं मिलती परंतु आगे उपचार को किस दिशा में ले जाना है, यह पता चल जाता है।
WBc यानि श्वेत रक्त कोशिकाएं हमारे शरीर में किसी रक्षक की तरह काम करती हैं ।यह शरीर को रोगों से बचाए रखती है । WBc की संख्या में असामान्य रूप से परिवर्तन कैंसर का संकेत हो सकता है।
बायोप्सी-
यह कैंसर की संभावना को पक्का करने के लिए एक उपयुक्त टेस्ट है। बायोप्सी में रोगी के शरीर से एक सैंपल लिया जाता है। वैसे अधिकतर यह ट्यूमर हो सकता है लेकिन सैंपल इस बात को कन्फर्म कर देता है कि ट्यूमर में जो कोशिकाएं हैं वह कैंसर की हैं या नहीं। बायोप्सी का खर्चा 5 हजार से 7 हजार के बीच होता है।
कैंसर से बचाव व इसका उपचार-
कैंसर एक ऐसा रोग है, जो धीरे-धीरे हमारे शरीर में पनपता है और समय के साथ-साथ भयंकर रुप ले लेता है परंतु यदि समय पर इसके लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो इस पर काबू पाया जा सकता है।
धूम्रपान, तम्बाकु, सुपारी, चना, पान, मसाला, गुटका, शराब आदि का सेवन न करें।
विटामिन युक्त और रेशे वाला ( हरी सब्जी, फल, अनाज, दालें) पौष्टिक भोजन खायें।
कीटनाशक एवं खाद्य संरक्षण रसायणों से युक्त भोजन धोकर खायें।
अधिक तलें, भुने, बार-बार गर्म किये तेल में बने और अधिक नमक में सरंक्षित भोजन न खायें।
प्रारम्भिक अवस्था में कैंसर के निदान के लिए-
शरीर में किसी भी अंग या हिस्से में गांठ होने पर तुरन्त जांच करवायें।
महिलायें माहवारी के बाद हर महीने स्तनों की जॉंच स्वयं करे स्तनों की जॉंच स्वयं करने का तरीका चिकित्सक से सीखें।
दो माहवारी के बीच या माहवारी बन्द होने के बाद रक्त स्त्राव होना खतरे की निशानी है पैप टैस्ट करवायें।
शरीर में या स्वास्थ्य में किसी भी असामान्य परिवर्तन को अधिक समय तक न पनपने दें।
नियमित रूप से जॉंच कराते रहें और अपने चिकित्सक से तुरन्त सम्पर्क करें।
जागरूकता व सतर्कता हेतु प्रभावी जानकारी व मार्गदर्शन ।
जवाब देंहटाएंजानकारी आपको अच्छी लगी। धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसमाज को जागरूक करने के आपके प्रयास सराहनीय
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जानकारी sir जी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी है
जवाब देंहटाएंSir jii
जवाब देंहटाएंGood Information
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