विपनेट विज्ञान प्रसार , नई दिल्ली में पंजीकृत इनोवेशन वर्कशाॅप साइन्स के क्लब कार्डिनेटर और नीति आयोग के अटल इनोवेशन मिशन में मध्यप्रदेश के आरटीओसी श्री शैलेन्द्र कसेरा इस प्रोग्राम के बारे विस्तृत जानकारी देते हुए
प्रोग्राम का आयोजन का मुख्य उद्देश्य इन खगोलीय घटनाओं के बारे में भ्रामक जानकारियों , मिथकों और अंधविश्वास को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपना कर दूर करना था।
इस अलावा वैज्ञानिक दृष्टिकोण विज्ञान क्लब के कॉर्डिनेटर श्री ओमप्रकाश पाटीदार के द्वारा इस खगोलीय घटना की जानकारी देते हुए बताया गया कि चंद्रमा अंडाकार कक्ष में पृथ्वी के चारों और चक्कर लगता है। पृथ्वी का चक्कर लगाने के दौरान एक समय ऐसा आता है, जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है। यदि ऐसा पूर्णिमा के समय होता है तब पृथ्वी से ज्यादा नजदीक होने की वजह से चंद्रमा इस दौरान सामान्य से अधिक बड़ा और चमकीला दिखाई देता है। इसी अवस्था को सुपरमून कहते हैं।
आमतौर पर पृथ्वी और चंद्रमा के बीच औसत दूरी 384,400 किलोमीटर होती है। जोकि सुपरमून के समय कुछ कम हो जाती है। इस बार धरती से चांद की दूरी 361,184 किलोमीटर ही रह गई थी जिसके कारण चंद्रमा सामान्य दिन की तुलना में 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमकदार नजर आ रहा था। इस ऑनलाइन प्रोग्राम का संचालन डॉ निधि शुक्ला के द्वारा किया जिसमे खगोल विज्ञान के महत्व को दैनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में समझाया गया।
जिसे लॉकडाउन के कारण विद्यार्थियों और नागरिको के द्वारा भी अपने मोबाइल पर सोशल मीडिया के द्वारा इस दृश्य का आनन्द लिया एवं इसकी जानकारी प्राप्त की ।