Lunar Eclipse and Super Moon


इस बुधवार धार्मिक पर्व  बुद्ध पूर्णिमा होने के साथ साथ खगोलीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण था क्योकि मंगलवार रात  जो चन्द्रमा उदय हुआ था उसका आकार सामान्य पूर्णिमा के चंद्रमा की तुलना में 16 प्रतिशत बड़ा था। जिसे सुपरमून कहा जाता है। इसके साथ ही चंद्रग्रहण भी था। चंद्रमा के क्षैतिज में होने के कारण हमारे मालवा क्षेत्र में यह ठीक से दिखाई नही दिया । इसके साथ ही लॉकडाउन के कारण जनसाधारण द्वारा इस वर्ष इस खगोलीय घटना को टेलिस्कोप से प्रत्यक्ष दिखाना सम्भव नही था। इस दिशा में चंद्रग्रहण के बारे में व्याप्त भ्रांतियां औऱ मिथकों के प्रति वैज्ञानिक जागरूकता के लिए  नगर के विपनेट विज्ञान प्रसार , नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त इनोवेशन वर्कशॉप  साइंस क्लब , उत्कृष्ट विद्यालय शाजापुर के  वैज्ञानिक दृष्टिकोण विज्ञान क्लब , अब्दुल कलाम विज्ञान क्लब , शहडोल और कमलासागर स्कूल अटल टिंकरिग लैब के संयुक्त प्रयास के द्वारा यूट्यूब लाइव के द्वारा ऑनलाइन वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमे पुणे की अंतरिक्ष संस्था आइयुका के एस्ट्रोनॉमर श्री तुषार पुरोहित के द्वारा ग्रहण के वैज्ञानिक तथ्यो और सुपरमून के कारणों की जानकारी प्रदान की गई। 

विपनेट विज्ञान प्रसार , नई दिल्ली में पंजीकृत इनोवेशन वर्कशाॅप साइन्स के क्लब कार्डिनेटर और नीति आयोग के अटल इनोवेशन मिशन में मध्यप्रदेश के आरटीओसी श्री शैलेन्द्र कसेरा इस प्रोग्राम के बारे विस्तृत जानकारी देते हुए

प्रोग्राम का आयोजन का मुख्य उद्देश्य इन खगोलीय घटनाओं के बारे में भ्रामक जानकारियों , मिथकों और अंधविश्वास को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपना कर दूर करना था।

इस अलावा वैज्ञानिक दृष्टिकोण विज्ञान क्लब के  कॉर्डिनेटर श्री ओमप्रकाश पाटीदार के द्वारा इस खगोलीय घटना की जानकारी देते हुए बताया गया कि चंद्रमा अंडाकार कक्ष में पृथ्वी के चारों और चक्कर लगता है। पृथ्वी का चक्कर लगाने के दौरान एक समय ऐसा आता है, जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है। यदि ऐसा पूर्णिमा के समय होता है तब पृथ्वी से ज्यादा नजदीक होने की वजह से चंद्रमा इस दौरान सामान्य से अधिक  बड़ा और चमकीला दिखाई देता है। इसी अवस्था को सुपरमून कहते हैं। 

आमतौर पर पृथ्वी और चंद्रमा के बीच औसत दूरी 384,400 किलोमीटर होती है। जोकि सुपरमून के समय कुछ कम हो जाती है। इस बार धरती से चांद की दूरी 361,184 किलोमीटर ही रह गई थी जिसके कारण चंद्रमा सामान्य दिन की तुलना में 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमकदार नजर आ रहा था। इस ऑनलाइन प्रोग्राम का संचालन डॉ निधि शुक्ला के द्वारा किया जिसमे खगोल विज्ञान के महत्व को दैनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में समझाया गया।

जिसे लॉकडाउन के कारण विद्यार्थियों और नागरिको के द्वारा भी अपने मोबाइल पर सोशल मीडिया के द्वारा इस दृश्य का आनन्द लिया एवं इसकी जानकारी प्राप्त की ।

एक टिप्पणी भेजें

If you have any idea or doubts related to science and society please share with us. Thanks for comments and viewing our blogs.

और नया पुराने