गर्मी का मौसम अब खत्म होने वाला है क्योकि अब मानसून प्रकृति को जल से तर-बतर करने आ गया है। जल का महत्व हमें जल की कमी होने पर ही समझ आता है। इस उद्देश्य से जल के महत्व , दुरुपयोग और संरक्षण से जुड़े मुद्दे पर छोटे बच्चों से उनके मन की बात जानने के लिए यश कार्यक्रम के अंतर्गत ट्विंकल ट्विंकल वाटर स्टार ऑनलाइन वर्कशॉप का आयोजन विज्ञान प्रसार , नईदिल्ली से मान्यता प्राप्त इन्नोवेशन वर्कशॉप साइंस क्लब , कमला सागर हायर सेकंडरी स्कूल अटल टिंकरिग लैब नलखेड़ा , उत्कृष्ट विद्यालय शाजापुर , विपनेट विज्ञान क्लब वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संयुक्त प्रयास से यूट्यूब लाइव के द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में नीमच के प्रीतिश दुबे, आगर से रूपांशी गौर, नलखेड़ा से पंखुड़ी जोशी तथा शाजापुर से दीपिका चौहान व अर्जुन चौड़िया ने नन्हे जल दूत के रूप में जल संरक्षण से जुड़े अपने विचार व्यक्त किये।
कक्षा 1 के छात्र नन्हे प्रीतिश दुबे ने शिकायती अंदाज में कहा कि मेरे पापा मोटर के पाइप से कार धोते है तो पहले उन्हें मजा आता है, लेकिन बाद में वो सोचते है कि इससे तो बहुत पानी बर्बाद होता है। कक्षा 7 वी की रूपांशी गौड़ को उन पानी के टैंकर्स पर बहुत गुस्सा आता है जिन पर लिखा तो होता है जल ही जीवन है लेकिन जब टैंकर चलते है तब उनके पीछे आउटलेट से बहुत सारा पानी बहता रहता है जिसे वो अनदेखा कर देते है। कक्षा 4 की छात्रा पंखुड़ी जोशी ने कहा कि अगर हम सॉके पिट या सोखता गड्डा बनाये तो भूमिगत जलस्तर को बढ़ा सकते है। । कार्यक्रम में कक्षा 10वी की दीपिका ने जानवरो को तालाब ने नहलाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए बताया कि अब समय आ गया है कि हम हमारे जल स्रोतो का संरक्षण करे। वैज्ञानिक दृष्टिकोण विज्ञान कार्यक्रम संयोजक ओम प्रकाश पाटीदार ने बताया कि आनेवाली पीढ़ी में संरक्षण की चेतना जागृत करने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम के तकनीकी संयोजक शैलेन्द्र कसेरा ने बताया कि एक मनोवैज्ञानिक प्रश्नोत्तरी के माध्यम से हम बच्चो में बच्चों की पर्यावरण के प्रति सजगता को प्रस्तुत करना चाहते थे साथ ही आने वाली भविष्य की पीढ़ी का संदेश वर्तमान पीढ़ी को देना कि कम से कम हमारे हिस्से का पानी को हमारे लिए छोड़ दो और उसे प्रदूषित मत करो क्योकि जिस गति से आज पेयजल का अनावश्यक दोहन हो रहा है इस तरह से हमारे समय तो जल बचेगा ही नही। इस कार्यक्रम का जीवंत संचालन डॉ निधि शुक्ला ने किया।


पानी का महत्व बच्चों को यदि बचपन से ही सिखाया जाए तो वे भविष्य मे भी उसकी उपयोगिता और संरक्षण के लिए सजग रहेंगे. एक अच्छी पहल
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