शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय शाजापुर के बच्चे जैवविविधता संरक्षण के लिए तैयार कर रहे है: बाल जैवविविधता पंजी।
अपने चयनित ग्राम की सभी प्रकार की जैवविविधता को करेंगे दर्ज।
शाजापुर। उत्कृष्ट विद्यालय शाजापुर के कक्षा नौवीं से बारहवीं तक के छात्र-छात्राएं अपने शिक्षण कार्य के साथ-साथ इस धरती की जैव विविधता को बचाने के संकल्प के साथ अपने अपने चयनित गांव की जैवविविधता को संरक्षित करने के अभियान में जुटे हुए हैं। यह कार्य उनके शिक्षक ओम प्रकाश पाटीदार के निर्देशन में किया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत दो बच्चों का समूह बनाकर उन्हें किसी एक ग्रामीण क्षेत्र का चयन करने को कहा गया था। अब तक कक्षा 9 से 12 तक के 220 विद्यार्थियों ने 110 गावो में जाकर बकायदा अपना काम भी प्रारंभ कर दिया है। बच्चे उनके चयनित ग्राम में जाकर गांव के शिक्षक, सरपंच, जानकर बुजुर्गों, वैद्य सहित पशु-पक्षी तथा जड़ी-बूटी के जानकार लोगो से चर्चा कर जानकारी प्राप्त कर रहे है। वह इस कार्य मे कृषि विभाग, मत्स्य विभाग, वन विभाग, उद्यानिकी विभाग, पशुपालन विभाग सहित कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों से भी मिलकर जानकारी एकत्रित कर उस गांव के लिए बाल जैव विविधता पंजी (चिल्ड्रेन्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर) तैयार करेंगे। इस बाल जैव विविधता पंजी में 25 प्रकार की जानकारी को संग्रहित किया जा रहा है।
बच्चो के साथ शिक्षक भी कर रहे है ग्रामीण क्षेत्रो का भ्रमण।
उत्कृष्ट विद्यालय शाजापुर के शिक्षक चीफ प्रोजेक्ट इन्वेस्टिगेटर ओम प्रकाश पाटीदार तथा सहायक प्रोजेक्ट इन्वेस्टिगेटर बनवारीलाल बैरागी सहित मोहन बड़ोदिया के शिक्षक करणसिंह भिलाला, शाजापुर के कमलकिशोर शर्मा, शिवनारायण सौराष्ट्रीय कालापीपल के मुकेश परमार भी अपने शिक्षण के अतिरिक्त समय मे बच्चों के साथ ग्रामीण क्षेत्रो का भ्रमण कर स्थानीय जैवविविधता को पंजीबद्ध करने के काम मे लगे हुवे है। शिक्षक ओम प्रकाश पाटीदार ने बताया कि अब वक्त आ गया है कि यह सोचा जाये कि हम अपने बच्चों के लिये विरासत में क्या छोड़कर जा रहे हैं। क्या हम दावे के साथ कह सकते हैं कि आज से 50 वर्षों के बाद "मालव धरती गहन गंभीर, डग-डग रोटी पग-पग नीर" की कहावत को चरितार्थ करती रहेगी। यह सब निर्भर करेगा हमारी जैव विविधता के संरक्षण पर, यदि हम जैवविविधता को बचा कर रखेंगे तो यह हमारी आने पीढ़ियों के लिए जीवनदायी सौगात होगी। उन्होंने बताया कि पृथ्वी सभी मनुष्यों की जरूरत पूरी करने के लिये पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन धरती माँ मनुष्य के लालच की पूर्ति करने में सक्षम नही है। मनुष्य का यही लालच हमारी जैव विविधता को नुकसान पहुँचा रहा है। इसी कारण से जनमानस में जैव विविधता के संरक्षण के लिये जागरूकता उत्पन्न करना आवश्यक है।
बाल जैवविविधता पंजी के बारे में जानकारी देते हुए उत्कृष्ट विद्यालय प्राचार्य विजया सक्सेना ने बताया कि विद्यालय के बच्चें वन विभाग, किसान कल्याण विभाग, पशुपालन विभाग, मत्स्य पालन विभाग, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग तथा कृषि विज्ञान केंद्र से सहयोग, चयनित ग्रामो का फील्ड सर्वेक्षण तथा ग्रामीणों, कृषकों, जनप्रतिनिधियों, स्थानीय वैद्य तथा पर्यावरण प्रेमियों से व्यक्तिगत तथा समूह चर्चा कर उस ग्रामीण क्षेत्र में पाये जाने वाले पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं, मछलियों, वन्य प्राणियों की जानकारी एकत्रित कर उस ग्राम की जैवविविधता प्रबंधन समिति के माध्यम से एक रजिस्टर तैयार करेंगे। इसी रजिस्टर को बाल जैवविविधता पंजी (सी.बी.आर.) कहा जावेगा।
बाल जैवविविधता पंजी से क्या लाभ होगा?
इस परियोजना के माध्यम से बच्चो व ग्रामीण जन में स्थानीय जैव विविधता के प्रति जानकारी व उसके संरक्षण का भाव जागृत होगा। इसके साथ ही यह पंजी बन जाने के बाद जैव विविधता से जुड़े विभागों के साथ संयुक्त रूप से प्राकृतिक आवासों को नुकसान पहुंचाने वाले कारकों की पहचान की जायेगी एवं इनको नुकसान से बचाने के लिये रणनीति एवं गतिविधियां तय की जायेंगी। इसके साथ ही कृषि एवं उद्यानिकी की पारम्परिक एवं देशी किस्में जो कि लुप्त होने की कगार पर हैं, इनके संरक्षण के लिये समन्वित प्रयास किये जा सकेंगे।
जैव विविधता अधिनियम क्या है?
भारत सरकार द्वारा जैव विविधता अधिनियम अधिनियम को वर्ष 2002 में अधिनियमित किया गया था, इसका उद्देश्य जैविक संसाधनों का संरक्षण, इनके धारणीय उपयोग का प्रबंधन और स्थानीय समुदायों के साथ उचित व न्यायसंगत साझाकरण तथा भारत की समृद्ध जैव विविधता को संरक्षित रखकर वर्तमान और भावी पीढ़ियों के कल्याण के लिये इसके लाभ के वितरण की प्रक्रिया को सुनिश्चित करना है।
भारत में जैव विविधता अधिनियम (2002) को लागू करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2003 में राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) की स्थापना की गई थी।
जैव विविधता प्रबंधन समिति क्या है?
जैव विविधताअधिनियम की धारा 41 के अनुसार, प्रत्येक स्थानीय निकाय (जिला, जनपद, नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत तथा ग्राम पंचायत) अपने क्षेत्र के भीतर जैव विविधता प्रबंधन समितियाँ (Biodiversity Management Committees- BMC) का गठन करेगा जिसका उद्देश्य जैव विविधता के संरक्षण, धारणीय उपयोग एवं प्रलेखन को बढ़ावा देना है। यह समितियां अपने क्षेत्र अंतर्गत जीवो के नैसर्गिक आवासों का संरक्षण, स्थनीय जैव किस्मों का संरक्षण, लोक किस्में एवं कृषि उपजातियाँ, पालतू एवं वन्य जीवों की नस्लें, सूक्ष्मजीव एवं जैव विविधता से संबंधित जानकारी का संग्रहण कर स्थानीय जैव विविधता के संरक्षण का कार्य करेंगी।
इस विषयो की जानकारी से बन रही है। बाल जैव विविधता पंजी
A वानिकी जैवविविधता
1.जंगली वृक्षों का विवरण .
2.जंगली झाड़ियों का विवरण
3.जंगली शाकीय पौधों का विवरण .
4.जंगली कंदिय पौधों का विवरण-
5.जंगलीघास का विवरण.
6.जंगली लताएं का विवरण .
7.जंगली औषधीय पौधों का विवरण
8.जंगली जीवों का विवरण
B कृषि जैवविविधता
9.रबी ऋतु में उगाये जाने वाले फसलीय पौधे-
10.खरीफ ऋतु में उगाये जाने वाले फसलीय पौधे-
11.जायद ऋतु में उगाये जाने वाले फसलीय पौधे-
12.चारें वाली फसलों/प्रजातियों का विवरण-
13.फसलों के साथ उगने वाले खरपतवारों का विवरण-
14.जैविक कृषि का विवरण -
फसलों के पीड़क प्रजातियों का विवरण-
15.उद्यानिकी फलीय वृक्षों का विवरण-
16.सब्जी वर्ग की फसलों का विवरण-
17.फूलों की खेती वाली किस्मोें का विवरण-
28.सजावटी वृक्षों के प्रजातियों(लताएं/पौधे) का विवरण-
19.औषधीय पौधों की खेती वाली प्रजातियां (शाक/झाडी/वृक्ष/लता इत्यादि)-
C पशुपालन
20.घरेलू पशु (मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी) का विवरण-
21.पालतू पक्षियों का विवरण-
22.पशुधन संबंधित बाजार का विवरण-
D जलीय जैवविविधता
23.मत्स्य प्रजातियों का विवरण-
24.अन्य जलीय जीव (मछलियों के अतिरिक्त)
25.उगाये जाने वाले जलीय पौधों का विवरण
E जैव विविधता से परम्परागत ज्ञान
F जैवविविधता/जैव संसाधन से होने वाले लाभ का विवरण
