Wildlife Conservation Week

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भारतवर्ष में वन्यजीवों के प्रति जन जागरूकता तथा उनके संरक्षण के उद्देश्य से प्रतिवर्ष भारत में 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक वन्यजीव सप्ताह मनाया जाता है। इस दौरान  लोगों में वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति जागरूकता में तेजी लाने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। 

कब से प्रारंभ हुआ यह आयोजन

हमारे देश मे तेजी से घटती वन्य जीवों की संख्या तथा भविष्य में वन्य प्राणियों की समाप्ति की आशंका के कारण भारत में सर्वप्रथम 7 जुलाई, 1955 को ‘वन्य प्राणी दिवस’ मनाया गया। यह भी निर्णय लिया गया कि प्रत्येक वर्ष 2 अक्तूबर से पूरे सप्ताह तक वन्य प्राणी सप्ताह मनाया जाएगा। वर्ष 1956 से वन्य प्राणी सप्ताह मनाया जा रहा है। 

वन्यजीव सप्ताह मनाने के उद्देश्य:

भारत में वन्यजीव सप्ताह मनाये जाने के निम्न प्रमुख उद्देश्य हैं-

  • प्रत्येक समुदायों व परिवारों को प्रकृति से जोड़ना।
  • मानव के अंदर संरक्षण की भावना पैदा करना।
  • वन्यजीव व पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जागरूक रहना।

वन्यजीव सप्ताह क्यों मनाते हैं?

वन्यजीवों के बिना मनुष्य का कोई अस्तित्व ही न रह जाएगा, उसका जीवन संकट में पड़ जायेगा। इसलिए वन्यजीवों के महत्व को समझने व इनके प्रति जागरूक रहने के लिए सम्पूर्ण विश्व में एक अभियान के रूप में वन्यजीव सप्ताह मनाया जाता है। वन्य जीवों की सुरक्षा के लिये प्रत्येक व्यक्ति को आगे लाने के लिए भारतीय वन्य जीव बोर्ड ने वन्यजीव सप्ताह मनाने का निर्णय लिया और तब से यह 2 से 8 अक्टूबर तक प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। आज प्रकृति से जो भी प्राप्त हो रहा है, सबकी कुछ न कुछ महत्ता है। चाहे वह जीव हो या पेड़-पौधे, सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। आज यदि वृक्ष हैं तो ही मानव और प्राणियों का जीवन सम्भव है। मानव हस्‍तक्षेप के द्वारा आज लगभग 41 हजार से भी अधिक जीवों की प्रजातियां विलुप्‍त होने की कगार पर पहुंच गई हैं। उनका जीवन संकट में पड़ने लगा है। ऐसा क्यों? क्या हम भूल बैठे हैं कि उनके न रहने से हमारा जीवन भी संकट में पड़ जाएगा, प्रकृति का सारा सन्तुलन बिगड़ जाएगा। विलुप्‍त हो रही पशु-पक्षी, पेड़-पौधों की प्रजातियों से प्रकति का सन्तुलन बिगड़ा तो मानव जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा। तब मानव के पास केवल पछतावा होगा। न पेड़-पौधे होंगे और नहीं जीव-जंतु रह जायेंगे। यदि अब भी हमारी आँखें खुल जायें तो हम जैव विविधता के हो रहे ह्रास को दूर कर सकते हैं। हम जीव-जंतु और वनस्‍पतियों की रक्षा को अपना परम कर्तव्य मानकर आगे बढ़ें, तभी विकास कर पायेगें।

वन्यजीव सप्ताह का महत्व:

वन्यजीव सप्ताह मनाने की गंभीरता; स्कूली बच्चों, युवा लोगों और आम जनता को वन्य जीवन के बारे में शिक्षित व जागरूक करने के साथ-साथ सरकार के काम करने में, नीतियों को डिज़ाइन करने में तथा आज के बदलते परिवेश में वन्यजीव संरक्षण के मुद्दों का समाधान करने में भी मदद करती है। भारत संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है। यहाँ प्रत्येक दिन को महत्ता दी गई है, जिसे हम किसी न किसी रूप में मनाते हैं। इसी के चलते देश में 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक वन्यजीव सप्ताह के रूप में मनाते हैं। वन्यजीव पर्यावरण का एक अभिन्न अंग है। देश के धन का गठन इन्हीं से होता है। इसमें जंगली जानवर, पक्षी, पौधे आदि शामिल हैं।

वन्‍यजीवों से सम्बंधित वैधानिक जानकारियां:

  • वन्य जीवों के संरक्षण के लिए भारत के संविधान में 42वें संशोधन (1976) अधिनियम के द्वारा दो नए अनुच्छेद 48-I व 51 को जोड़कर वन्य जीवों से संबंधित विषय के समवर्ती सूची में शामिल किया गया।
  • वर्ष 2002 में राष्‍ट्रीय वन्‍यजीव कार्य योजना (2002-2016) को अपनाया गया, जिसमें वन्‍यजीवों के संरक्षण के लिए लोगों की भागीदारी तथा उनकी सहायता पर बल दिया गया है।
  • वन्य जीवों को विलुप्त होने से रोकने के लिए सर्वप्रथम 1872 में वाइल्ड एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट पारित हुआ था।
  • वर्ष 1927 में भारतीय वन अधिनियम अस्तित्व में आया, जिसके प्रावधानों के अनुसार वन्य जीवों के शिकार एवं वनों की अवैध कटाई को दण्डनीय अपराध घोषित किया गया।
  • स्वतंत्रता के पश्चात, भारत सरकार द्वारा इंडियन बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ की स्थापना की गई।
  • 1956 में पुन: भारतीय वन अधिनियम पारित किया गया।
  • 1972 में वन्यजीव संरक्षण अधानियम पारित किया गया। यह एक व्यापक केन्द्रीय कानून है, जिसमें विलुप्त होते वन्य जीवों तथा अन्य लुप्त प्राय: प्राणियों के संरक्षण का प्रावधान है।
  • वन्यजीवों की चिंतनीय स्थिति में सुधार एवं वन्य जीवों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव योजना 1983 में प्रारंभ की गई।

2 टिप्पणियाँ

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  1. पक्षी हमारी प्रकृति संपति है और हमे पक्षियों की रक्षा करना चाहिए लेकिन हम है की पक्षियों की रक्षा करने के बजाय हम मोबाइल और नेटवर्क के इस्तेमाल कर के पक्षियों के मरने का कारण बनते अब वक्त आ गया है की हम पक्षियों को बचाने के लिए कोई बड़ा कदम उठाए

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