World Arthritis Day

मानव शरीर के जोड़ (Joints) दो या उससे अधिक हड्डियों को जोड़ने का कार्य करते हैं। हमारे शरीर में इनके स्वास्थ्य का बड़ा ही महत्त्व है, अन्यथा जोड़ों में दर्द या कुछ अन्य समस्याओं के कारण हमारे दिनचर्या के होने वाले कामों में बाधाएं आ सकती हैं। 

जोड़ो से जुड़ी सबसे आम समस्या को गठिया कहते है। यह रोग हमारे स्वास्थ्य के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है।

गठिया रोग क्या है?

गठिया रोग को आर्थराइटिस (Arthritis) के नाम से जाना जाता है। गठिया एक, उससे अधिक या संयुक्त जोड़ों की सूजन को दर्शाता है। यह रोग घुटनों में दर्द और अकड़न पैदा कर देता है और आमतौर पर बुजुर्ग वर्ग में पाया जाता है, लेकिन आज के दौर में बदलती जीवनशैली की वजह से यह रोग युवाओं में भी देखा जा रहा है। पुरूषों की तुलना में महिलाओं के अंदर यह शिकायत ज़्यादा देखने को मिलती है, खासतौर से वे जिनका वज़न ज़्यादा हो। इसकी शुरूआत शरीर के किसी भी जोड़ से हो सकती है और समय के साथ-साथ यह शरीर के बाकी जोड़ों को भी प्रभावित कर सकता है।

गठिया रोग के प्रमुख कारण क्या होते है?

गठिया रोग का कोई एक मुख्य कारण नहीं है। बल्कि कई गतिविधियों से इसके उत्पन्न होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। जैसे कि-

1. हमारे शरीर में जोड़ों में एक नर्म और लचीला टिशु प्रस्तुत है जिसे कार्टिलेज कहा जाता है। जब हम चलते हैं तो जोड़ों पर दबाव पड़ता है। ऐसे में कार्टिलेज प्रेशर और शाॅक को अवशोषित कर हमारे जोड़ों की सुरक्षा करता है। जब व्यक्ति को गठिया रोग जैसी बीमारी होती है, तो ऐसे समय में कार्टिलेज की मात्रा में कमी हो जाती है जिस वजह से एक हड्डी दूसरी हड्डी से रगड़ती है और कुछ परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं।

2. यदि आपके परिवार में किसी व्यक्ति में गठिया रोग की शिकायत पाई जा रही है, तो मुमकिन है कि यह बीमारी अन्य व्यक्तियों में भी पाई जाए।

3. मोटापा भी गठिया रोग होने की संभावनाएं बढ़ा सकता है। ऐसा इसलिए कि मोटापे की वजह से शरीर के जोड़ ज़्यादा वज़न नही सह पाते और जोड़ों में दर्द या सूजन की समस्याएं हो जाती हैं।


गठिया रोग के प्रकार-

वैसे तो गठिया रोग के लगभग 100 से भी ज़्यादा प्रकार हैं जिस वजह से विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन इनमें से प्रमुख प्रकार निम्न है-

1. ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) (अस्थिसंधिशोथ)

यह गठिया रोग के सबसे आम रूप में गिना जाता है। ऐसी अवस्था में व्यक्ति के जोड़ों में दर्द और सूजन के साथ-साथ हिलने ढुलने की गति पर भी असर पड़ता है। आॅस्टियोआर्थराइटिस हमारे जोड़ों के कार्टिलेज पर नकारात्मक प्रभाव डालती है और धीरे-धीरे कार्टिलेज टूटना शुरू हो जाते हैं।

2. रूमेटाॅइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) (रूमेटी संधिशोथ)

इस प्रकार के आर्थराइटिस से हमारे जोड़ों की परत को हानि होती है। रूमेटाॅइड आर्थराइटिस में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्युनिटी सिस्टम) अपने ही शरीर के ऊतकों पर हमला कर देती है। जोड़ों की परतों को क्षति पहुंचने की वजह से जोड़ों में दर्द और सूजन जैसी समस्याएं हो जाती हैं।

3. गाउट (Gout)

गाउट का दूसरा नाम वातरक्त भी है जो हमारे पैरों पर प्रभाव डालता है। इस तरह की परिस्थिति में जोड़ों में दर्द और सूजन की अनुभूति होती है, खासतौर से बड़े पैर के अंगूठे में। पैर में अचानक दर्द होना गाउट का एक लक्षण है।

4. सेप्टिक आर्थराइटिस (Septic Arthritis)

इसे इंफेक्शियस आर्थराइटिस (Infectious Arthritis) भी कहा जाता है जो कि जोड़ों के ऊतकों और तरल पदार्थ का संक्रमण है। सेप्टिक आर्थराइटिस बच्चों में भी पाया जाता है और इसके होने के मुख्य कारण रक्षा तंत्र का कमज़ोर होना है।

5. एंकिलोसिंग स्पाॅन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis)

इस तरह का गठिया रोग वैसे को किसी भी जोड़ को प्रभावित कर सकता है, लेकिन ज़्यादातर यह रीढ़ की हड्डी में होता है। ऐसी अवस्था में व्यक्ति को आराम करते समय या रात को सोते समय भी कमर दर्द की समस्या हो जाती है।

6. जुवेनाइल इडियोपेथिक आर्थराइटिस (Juvenile Idiopathic Arthritis)

यह एक ऐसे प्रकार का गठिया रोग है जो बच्चों में पाया जाता है। ऐसी अवस्था में हाथ, घुटनों, टखनों, कोहनियों, और कलाई में दर्द या सूजन की शिकायत देखने को मिलती है। हालांकि यह शरीर के अन्य अंगों पर भी अपना प्रभाव डाल सकता है।

7. रिएक्टिव आर्थराइटिस (Reactive Arthritis)

इस तरह के गठिया रोग में व्यक्ति के जोड़ों, आंखों, त्वचा और मूत्रमार्ग प्रभावित होते हैं। आमतौर पर रिएक्टिव आर्थराइटिस का प्रभाव 20 से 40 वर्ष के लोगों के बीच में दिखाई देता है और ज़्यादातर पुरूषों में इसकी समस्या देखने को मिलती है।


गठिया रोग के दुष्प्रभाव

1. इस अवस्था में विभिन्न प्रकार का दर्द होता है। यहां तक कि कभी-कभी व्यक्ति अपना दैनिक कार्य करने में भी असमर्थ हो जाता है।

2. अगर किसी व्यक्ति में गठिया रोग की समस्या उत्पन्न हो जाती है तो उसके शरीर की हड्डियां कमज़ोर पड़ने लगती है। ऐसा होने पर विभिन्न परिस्थितियों, जैसे हाथ-पैर में सूजन, जोड़ों में दर्द और उठने-बैठने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।

3. कई बार गठिया रोग की वजह से व्यक्ति के शरीर में अन्य बीमारियों के लक्षण भी पैदा हो सकते है, जैसे कि कार्पल टनल सिंड्रोम, दिल के दौरे का जोखिम, फेफड़े, आंखों, और हृदय में सूजन, आदि।


गठिया रोग के लक्षण-

गठिया के प्रमुख लक्षण-

अचानक उठने पर एक या अधिक जोड़ों में अचानक गंभीर दर्द होना

अक्सर रात में जोड़ों में दर्द बढ़ जाना

जोड़ों में जलन होना या सूजन आना।

जोड़ों में गर्माहट महसूस होना और जोड़ों के ऊपर की त्वचा देखने में लाल या बैंगनी जैसी दिखना।

गठिया के मुख्य लक्षण निम्नलिखित है-

1. जोड़ों में दर्द

गठिया रोग का सबसे प्रमुख लक्षण है जोड़ों में दर्द होना। आमतौर पर कुछ गतिविधियों के बाद हमें जोड़ों में दर्द की अनुभूति होती है, लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं कि हमें गठिया रोग है। जब जोड़ों में दर्द कुछ दिन या हफ्तों में ठीक ना हो और चलते-फिरते या उठते बैठते दर्द होने लगे तो हमें चाहिए कि किसी अच्छे डाॅक्टर से सलाह लें। कई बार गठिया रोग से ग्रस्त लोगों के प्रभावित अंग लाल भी पड़ जाते हैं।

2. सूजन का उत्पन्न होना

हमारे शरीर के विभिन्न जोड़ों में दर्द की अनुभूति हो सकती है। लेकिन अगर बात करें गठिया रोग की, तो एक व्यक्ति खासतौर से घुटने, कंधे, कूल्हे और हाथ में दर्द का अनुभव कर सकता है। अगर किसी को रूमेटाइड आर्थराइटिस बताया गया है, तो ऐसी स्थिति में थकान महसूस हो सकती है और इसके अलावा प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्युनिटी सिस्टम) कमज़ोर होने की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। दर्द के बाद गठिया रोग का सबसे बड़ा लक्षण जोड़ों में सूजन है।

3. अन्य लक्षण

गठिया रोग कई तरह की दिक्कतों को बढ़ावा दे सकती है। जैसे कि बात करें एनीमिया की, यह अवस्था शरीर में खून की मात्रा को कम कर देती है। साथ ही गठिया का प्रभाव जब ज़्यादा बढ़ जाता है, तो ऐसे मौके पर व्यक्ति को बुखार भी आ सकता है।


गठिया रोग का परीक्षण

याद रखें, जोड़ों में दर्द की समस्या कई परेशानियोें को बढ़ावा दे सकती हैं। इसलिए कोशिश करें कि हालात बिगड़ने से पहले आप सही इलाज प्राप्त करलें। अगर आप डाॅक्टर से परामर्श लेते हैं तो वो शारीरिक परीक्षा से जांच करके स्थिति देख सकते हैं। ज़रूरत पड़ने पर कुछ टेस्ट भी हो सकते हैं। जैसे कि-

1. लैब टेस्ट

खून की जांच, पेशाब (मूत्र) की जांच, या जाॅइंट फ्लूइड

2. इमेजिंग टेस्ट

एक्सरे, सीटी स्कैन, एम.आर.आई., अल्ट्रासाउण्ड


गठिया रोग का ईलाज

कुछ लोगों को यह बात मालूम ना हो कि गठिया रोग का ऐसा कोई भी इलाज नहीं मिल पाया है जिसकी मदद से इस पर पूर्ण रूप से विराम लग जाए। गठिया रोग जैसी परिस्थितियों में समय पर उपचार बेहद ज़रूरी है। इस कदम से हालात को बदतर होने से पहले रोका जा सकता है। साथ ही जोड़ों पर होने वली हानि को भी कम किया जा सकता है।


1. दवाई एवं शारीरिक उपचार

अब बात की जाए गठिया रोग के इलाज की, तो शुरूआती दौर में डाॅक्टर आपको विभिन्न तरह की दवाईयां लेने की सलाह दे सकते हैं। यह दवाईयां गठिया के प्रकार पर निर्भर करती हैं। उदाहरण के तौर पर दर्द कम करने वाली दवाईयां, नाॅन स्टीराॅयडल एंटी-इंफ्लेमेट्री दवाईयां, काउन्टर इरिटेन्टस्, आदि। इसके अलावा शारीरिक चिकित्सा का इस्तेमाल गठिया रोग के इलाज के लिए किया जा सकता है। डाॅक्टर मरीज को व्यायाम करने की सलाह दे सकते हैं।

2. सर्जरी

अगर ऊपर बताए गए उपचार से मरीज़ को फायदा नहीं पहुंचता, तो डाॅक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं। गठिया रोग के लक्षण कभी बद से बदतर भी हो जाते हैं और दर्द असहनीय हो जाता है। ऐसे समय में डाॅक्टर्स को एडवांस उपचार की सहायता लेनी पड़ती है। ऐसे समय में सबसे लोकप्रिय सर्जरी है घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी। इस सर्जरी में जो जोड़ खराब हो जाता है, उसे हटाकर उसकी जगह एक कृत्रिम जोड़ लगा दिया जाता है। यह कृत्रिम जोड़ वास्तविक जोड़ की तरह काम करता है। इस प्रकार के इलाज की बदौलत व्यक्ति को दर्द में भी आराम मिलता है साथ ही साथ चलने फिरने और उठने बैठने में भी आसानी हो जाती है। आमतौर पर यह सर्जरी घुटनों, कुल्हे एवं कंधे के जोड़ों के लिए काम में आती है। अधिक जानकरी के लिए आप मेवाड़ हाॅस्पिटल में उपस्थित हमारे होनहार आॅर्थोपेडिक डाॅक्टर्स से बात कर सकते हैं।

इसके अलावा जाॅइंट फ्यूजन सर्जरी भी ऐसी परिस्थितियों में उपयोगी साबित हो सकती है। इस सर्जरी में दो हड्डियों को आपस में जोड़ दिया जाता है जिससे वो एक मजबूत हड्डी में परिवर्तित हो जाती है। यह हड्डी ज़्यादा स्थिर रहती है और दर्द को कम करने में उपयोगी साबित होती है।

कुछ अन्य विकल्प भी हैं जो गठिया रोग के इलाज में मदद कर सकते हैं। जैसे कि एक्यूपंचर, योग, मालिश आदि।


गठिया रोग से बचाव के तरीके

आपने कई ऐसे व्यक्तियों को देखा होगा जो संतुलित आहार को अपने जीवन में प्राथमिकता देते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं, तो यह गतिविधि गठिया रोग जैसी समस्याओं से आपको दूर रख सकती है। उचित आहार के साथ-साथ स्वस्थ जीवन शैली-ये दो ऐसे माध्यम हैं जिन्हें अपनाने से आप कई परेशानियों से दूर रह सकते हैं।


गठिया रोग में क्या खाएं और क्या नहीं!

हम आपको गठिया रोेग से जुड़ी कई महत्त्वपूर्ण बातों से परिचित करा चुके हैं। आइए अब जानते हैं गठिया रोग से जुड़ी एक और ज़रूरी बात कि किन पदार्थों के सेवन से आपको फायदा मिलेगा और कौनसी चीज़ों से परहेज़ करना होगा।


गठिया रोगी क्या खाएं?

1. सेब का सेवन ऐसी परिस्थिति में फायदेमंद है। क्योंकि इसमें टैनिन नामक फिनोलिक यौगिक पाया जाता है जो गठिया की समस्या को ठीक करने में कारगर साबित हो सकता है।

2. अपने शरीर को हाइड्रेट रखें और दिनभर में कम से कम 3 लीटर पानी ज़रूर पीयें।

3. गठिया रोग में विटामिन-सी से युक्त फलों का सेवन करें। जैसे कि मौसमी, संतरा, अनानास, कीवी, नींबू, बैरीज, आदि। लेकिन इन फलों को दिन में खाएं अन्यथा सुबह या शाम में खाने से दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

4. लहसुन, अदरक, हल्दी ब्रोकली, जामुन, पालक, टमाटर, कद्दू, आदि भी गठिया रोग में फायदेमंद हैं।

5. ओमेगा-3 फैटी एसिड से युक्त मछली में एंटी एंफ्लेमेट्री प्रोपर्टी होती है जो कि सूजन को कम करने में मदद करती है।

6. अगर किसी को रूमटाइड आर्थराइटिस है तो उनके लिए अंगूर का सेवन फायदेमंद हो सकता है। एक शोध के अनुसार अंगूर के अर्क में प्रोएंथोसाइनिडिन (proanthocyanidin) नामक तत्व होता है जिसमें एंटीआॅक्सीडेन्ट और एंटीइंफ्लेमेट्रीप प्रोपर्टीज होती है जो कि आर्थराइटिस की सूजन को कम करने और हड्डियों के नुकसान को रोकने में मदद करती हैं।


गठिया रोगी क्या नहीं खाएं?

1. ज़्यादा ठण्डे पदार्थ खाने से परहेज़ करें।

2. मैदा युक्त पदार्थ जैसे बिस्किट्स, स्नैक्स, चिप्स आदि से भी दूर रहें। ऐसा इसलिए क्योंकि मैदा फैट को बढ़ावा देती है और पेट में गैस बनाने का काम करती है जिससे आपको तकलीफ हो सकती है।

3. कैफीन का अधिक इस्तेमाल करने से बचें।

4. घी या तेल से बने पदार्थ और डीप फ्राइड भोजन के सेवन से भी अपने आप को दूर रखें।

5. इसके अलावा ज़्यादा नमक और शक्कर खाने से भी बचें।

6. जो व्यक्ति शराब का सेवन करते हैं वे भी इस आदत से दूर रहने की कोशिश करें। अन्यथा उन्हें गठिया रोग में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

गठिया रोग जोड़ों के लिए बेहद खतरनाक बीमारी है। इसलिए हमें चाहिए कि समय पर इसकी पहचान कर इससे होने वाले दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। यदि आपको भी जोड़ों के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो एक बार विशेषज्ञ डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं। 

विश्व गठिया दिवस कब मानते है?

विश्व गठिया दिवस हर साल 12 अक्तूबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत 1996 में हुई थी। आर्थराइटिस एंड रूमेटिज्म इंटरनेशनल द्वारा 12 अक्तूबर 1996 को गठिया दिवस पहली बार मनाया गया। बाद में दुनियाभर में गठिया से जूझ रहे मरीजों के लिए यह दिवस मनाया जाने लगा।

गठिया दिवस का क्या महत्व है?

पहली बार अर्थराइटिस यानी गठिया रोग का पता 4500 बीसी में चला। गठिया के मामले तेजी से फैलने लगे तो लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक किया जाने लगा। लोग घुटनों में सूजन या फिर दर्द को आम समस्या मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। उन्हें पता ही नहीं होता कि वह गठिया रोग से पीड़ित हैं। ऐसे में गठिया के लक्षणों को समझकर समय पर इसका उपचार करने के लिए प्रेरित करना विश्व गठिया दिवस का उद्देश्य है।

विश्व गठिया दिवस 2023 की थीम क्या है?

विश्व गठिया दिवस 2023 की थीम ‘इट्स इन योर हैंड्स (It’s in your hands) है यानी गठिया से बचना आपके अपने हाथों में है। लाइफस्टाइल में सुधार करके और कुछ बातों का ध्यान रखकर गठिया रोग से बचाव किया जा सकता है।

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