शाजापुर मालवा क्षेत्र में मध्यप्रदेश का एक जिला है। स्वतंत्रता के पूर्व इस जिले का अधिकांश भाग ग्वालियर रियासत में था। शासकीय व्यवस्था अनुसार वर्तमान में शाजापुर जिले में शाजापुर, मोहन बड़ोदिया, गोलाना, अवन्तिपुर बड़ोदिया, पोलायकलां, शुजालपुर तथा कालापीपल तहसीले हैं। कार्य विस्तार की दृष्टि से संघ रचना में शाजापुर जिले में शाजापुर एवं आगर दो जिले सम्मिलित थे। अब संघ की रचना व शासकीय व्यवस्था में शाजापुर तथा आगर जिलों की व्यवस्था प्रथक-प्रथक है।
राजगढ़ जिले की सारंगपुर तहसील भी पूर्व में शाजापुर जिले में थी। १९६९ तक संघ रचना में शाजापुर एवं राजगढ़ संयुक्त जिला था।
शाजापुर में संघ उदय
शाजापुर। स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व शाजापुर-ग्वालियर रियासत का अंग था। वर्तमान में यह म.प्र. का स्वतंत्र जिला है। सन् १९६९ तक संघ की रचना में शाजापुर और राजगढ़ संयुक्त जिला था। जिले में संघ की पहली शाखा की नींव सन् १९३८ में रखी गई। बाला सहाब मुले जो कि इन्दौर के रहने वाले थे, सरकारी नौकरी में निमित्त शाजापुर में पदस्थ थे। उन्होंने ही यहां संघ शाखा प्रारंभ की जो कि नई सड़क स्थित पोस्ट आफिस के पास मैदान में लगा करती थी, बाद में वे यहां प्रचारक भी रहे और स्थानीय युवकों को राष्ट्र रक्षा, धर्म रक्षा के लिए प्रेरित कर संगठति किया और संघ कार्य को नींव के लिए सुदृद्ध आधार तैयार करने में महत्ती भूमिका निभाई। शाजापुर के संघ कार्य रूपी पौधे को भी रामचंद्रजी सोनी, बाबूलाल, रामरतन टेलर, लक्ष्मीनारायण शर्मा, हजारीलालजी सांकलिया, मदनलालजी पांडे, बद्रीनारायणजी गुप्ता, लक्ष्मीनारायणजी गुप्ता, मणीराम खत्री, चिमनलालजी जैन, गेंदमलजी चौधरी, कन्हैयालालजी सर्राफ सहित अनेक स्वंयसेवकों ने अपने संघनिष्ठ तप से सिंचित किया। संघ शाखा का विस्तार कठिन चुनौतियों से संघर्ष करते हुए तेजी से विस्तारित हुआ। दिगंबररावजी तिजारे के सतत प्रयासों से संघ शाजापुर में उदित होकर संगठित स्वरूप लेने लगा।
मदाना में संघ की शाखा
उज्जैन से मदाना राजाभाऊ महाकाल कि प्रेरणा लेकर और कस्तूरे जी के मार्गदर्शन में श्री कैलाश भार्गव व पो.एल. केलकर के प्रयासों से प्रभाकर राव ने १९४० में अपने घर के आंगन में शुरू की। जिसमें प्रभाकरराव राणे के भाई शंकरराव राणे, रामचंद्र पण्डाजी, देवीसिंह मिश्रा और गंगाधर बाघेला इनके प्रथम सहयोगी हुए। पहले इन्हें ध्वज नहीं दिया गया, केवल दण्ड लगाकर ही ध्वज प्रणाम करते थे। आठ वर्ष तक शाखा घर के आंगन में ही लगती रही। तत्पश्चात् १९४८ में गांधी हत्या के बाद स्वयंसेवकों को जब पकड़-पकड़ कर जेलों में ठूसा जा रहा था इसी क्रम में जब प्रभाकर राव की शाखा के स्वयंसेवकों का नम्बर जब गिरफ्तारी का समय आया तो एक बलिदानी स्वयंसेवक की तरह प्रभाकर राव और शंकरराव ने सभी स्वयंसेवको को बचाते हुए शाखा का सारा दायित्व अपने ऊपर लेते हुए सभी को जेल जाने से बचाया और स्वयं जेल गए। ग्राम मदाना में संघ के विस्तार के साथ ही इस गांव के प्रथम प्रचारक अविनाश जी राणे बने ।
शुजालपुर में संघ की पहली शाखा
वर्ष १९४१ में श्री दिगम्बरजी काल्विट विद्या अध्ययन हेतु शुजालपुर में रहते थे तब प्रचारक नाना साहब गोलवलकर शुजालपुर आये और उन्हीं की प्रेरणा से श्री काल्पिटजी ने प्रथम संघ की प्रथम शाखा का श्री गणेश किया।
मक्सी एवं झोकर में संघ की शाखा
मक्सी में संघ की पहली शाखा दिगम्बराव तिजारेजी द्वारा १९४४ में प्रारम्भ की गयी थी। उसके साथ ही दिगम्बराव तिजारे जी व कमलाकर जी शुक्ल जी ने झोंकर के हाथी बाड़ा में संघ की शाखा प्रारम्भ की थी।
ग्राम घुंसी में संघ की प्रथम शाखा
ग्राम घुंसी में संघ संस्कारों की परंपरा बहुत पुरानी है। इस परंपरा में स्व. श्री दिगम्बरराव तिजारे प्रथम पुरुष के रूप में रहे। सर्वप्रथम सन् १९४४ में केदारमल गोठी, गोवर्धन गोठी आदि स्वयंसेवकों ने शाखा प्रारंभ की। जिसके मुख्य शिक्षक भवानीशंकर गोठी बने। गाव में समय-समय पर संगठन के महत्वपूर्ण कार्यक्रम भी होते रहे। जिनमें सन् १९५७ का प्रचारक वर्ग जिसमे माननीय श्री पातुलकर, श्री तिजारे, श्री मिश्रीलाल तिवारी, श्री प्रेमजी, श्री राजाभाऊ महाकाल, श्री बाबा साहब नातू, श्री दत्ताजी उननगांवकर, श्री लालजी भाई, श्री संतोषजी, श्री प्यारेलाल खंडेलवाल, श्री राम कोटवानी आदि वरिष्ठ प्रचारक उपस्थित रहे, जिससे गांव के स्वयंसेवको में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। शाजापुर के चीलर बांध के तीन दिवसीय शिविर में गांव के ५० स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में वर्ग में उपस्थित रहे। इसी दौरान प्रांत प्रचारक माननीय श्री सुदर्शनजी का प्रवास घुंसी भी हुआ, जिससे स्वयंसेवकों से उनके संबंधों में और भी आत्मीयता भर गई। गांव में एक तृतीय वर्ष १५ द्वितीय वर्ष एवं ६० प्रथम वर्ष शिक्षित स्वयंसेवक है। गांव में दूसरी बार प्रचारकगण माखनसिंह जी, परागजी अभ्यंकर उपस्थित रहे। इसके बाद दो दिवसीय शारीरिक वर्ग भी गांव में सम्पन हुआ एवं संघ कार्य में राधेश्यामजी गोठी, लक्ष्मीनारायण गोठी, विक्रम वर्मा आदि कार्यकर्ताओं ने संघ कार्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
अभयपुर में संघ की प्रथम शाखा। संघ की प्रथम शाखा अभयपुर में वर्ष 1948 में चोपडा की चावडी पर स्व. श्री चेनसिंह जी पाटीदार के द्वारा प्रारम्भ की गयी थी उस समय के उनके सहयोगी स्वयंसेवक मे श्री खुमान सिंह जी, श्री दोलत सिंह जी, श्री उमराव सिंह जी, श्री लक्ष्मीनारायण जी, तथा श्री घासीराम जी सम्मिलत थे। उस समय शाखा के मुख्य शिक्षक सूरजमल जी के मार्गदर्शन में शाखा में माध्यम से रामलीला का मंचन किया जाकर प्रतियोगिता करवायी जाती थी। शाखा टोली द्वारा दशहरा उत्सव का भी प्रारंभ किया गया।पनवाड़ी, अभयपुर के साथ-साथ आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत बच्चों को अपनी संस्कृति के अनुरूप शिक्षा देने के उद्देश्य से अभयपुर में गुरुकुल गायत्री आश्रम आवासीय विद्यालय की स्थापना की गई यह विद्यालय पूरे क्षेत्र में एकमात्र आवासीय विद्यालय था जिसमें पूरे मध्य प्रदेश से बच्चे आकर सनातन संस्कृति के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा प्राप्त करते थे। हिंदू समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे बाल विवाह दहेज प्रथा आदि के उन्मूलन के उद्देश्य से अभयपुर सामूहिक विवाह सम्मेलन की शुरुआत की गई।
श्री खुमान मिह जी पाटीदार के नेतृत्व मे वर्ष सन 1980-81 में राष्ट्रीय स्तर पर लडकियो का कैम्प आयोजित किया गया, जिनमे शिविर का उद्घाटन शिक्षा मंत्री श्री हरिभाऊ जोशी एवं तत्कालीक कलेक्टर श्री सुरेन्द्रनाथ द्वारा किया गया।
पनवाड़ी में संघ की शाखा
पनवाड़ी में श्री छगनलाल जी पाटीदार, श्री गोवर्धन लाल जी पाटीदार, श्री रामेश्वर जी पटवारी साहब एवं श्री लक्ष्मी नारायण जी पाटीदार ने सन 1954 जिला प्रचारक श्री लाल जी भाई पटेल (गुजरात) के निर्देश में ग्राम के युवाओं को एकत्रीकरण शाखा प्रारंभ की थी। इन्ही स्वयंसेवको के प्रयासों से ग्राम में किसान शैक्षणिक संस्था की नींव रखी गयी।
मोहन बड़ोदिया में संघ की पहली शाखा
यहा पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को पहली शाखा सन् १९६४ में स्व. गिरधारीलाल रूपरिया, स्व. अम्बाराम पटेल, स्व. रामनारायणजी राठौर, प्रभुदासजी बैरागी एवं श्री गिरधारी शर्मा द्वारा प्राथमिक कन्या शाला परिसर में लगाई गई। उस समय बड़ोदिया मंडल केन्द्र था। दत्ताजी उननगांवकर जिला प्रचारक थे, तब यहां इस्लाम का बहुत आतंक था। ऐसी विषम परिस्थितियों में दत्ताजी ने इन पांच स्वयंसेवको के द्वारा इस शाखा रूपी वटवृक्ष का पौधरोपण किया, जो स्वयंसेवको के अविरत बलिदानो से आज दिन दुगना और रात चौगुना फल-फूल रहा है। यहां के स्वर्गीय यशवंत सिंह जी चौहान का कारसेवक के रुप में उल्लेखनीय कार्य रहा।
उचावद में संघ कार्य का श्रीगणेश
शाजापुर जिले को शुजालपुर तहसील में एक गांव है उचावद, जो नेवज नदी के किनारे पर बसा है। गांव में संघ कार्य सन् १९७८ में शिक्षक श्री शिवनारायण बारवर, श्री गोरेलाल धनगर (नेताजी) एवं तत्कालीन तहसील विस्तारक हुकुमजी सोनी के सहयोग से स्व. दिलीपसिंह पटेल एवं रामचंद्रजी धनगर (पोस्ट मास्टर) द्वारा प्रारंभ हुआ। गांव में ऐसे पहले खान मुसलमानों का बहुत आतंक था। यहां तक कि यहां की महिलाएं भी अपने को अत्यधिक असुरक्षित महसूस करती थी। गांव की महिलाओं के साथ कुंए एवं तालाब के घाटों पर अत्यधिक अभद्र व्यवहार कर इन्हें वहां के मुसलमानों द्वारा सताया जाता था। उस समय उनके विरुद्ध कोई कुछ बोलता नहीं था, क्योकि वे गांव के प्रभावशाली लोगों से अपने संबंध मधुर रखते हुए आम हिन्दुओं पर अत्याचार करते थे। एक प्रकार से कह सकते हैं कि कहीं न कहीं हिन्दुओं को आपसी फूट के कारण ही मुस्लिम उन पर अत्याचार करते थे। इन्हीं के भय के कारण हिन्दू लड़के-लड़कियां विद्यालय नहीं जा पाते थे। यदि इनसे कोई हिन्दू पैसे उधार ले लेता थो उसे दस से बीस प्रतिशत की दर से ब्याज वसूला जाता था और न देने की स्थिति में उसे घर बुलाकर उसकी जमीन अपने नाम लिखवा ली जाती और उसे पशुवत पीटा जाता। डरा-धमकाकर हफ्ता वसूली भी की जाती थी। गांव में संघ की शाखा लगने के बाद लोग संगठित हुए और उन्होंने विधर्मियों के अत्याचार का प्रतिकार कर अपने गांव में संघ कार्य को घर-घर तक पहुंचाया।
ग्राम ऊंचावत के स्वयंसेवकों के द्वारा ग्राम निशाना में शाखा प्रारंभ की और इस शाखा की शक्ति से गांव में विधर्मियो के आतंक को समाप्त कर विधर्मी मुक्त गांव किया। उचावद से चार विस्तारक प्रचारक निकले। इस गांव में 10 तृतीय वर्ष प्रशिक्षित कार्यकर्ता 12 कार्यकर्ता द्वितीय वर्ष इसी प्रकार 25 प्रथम वर्ष प्रशिक्षित कार्यकर्ता है।
इसी तरह से कालापीपल, पोलायकलां, मोहना, मंगलाज, गोलाना, बोलाई, अरनिया कलां, तिलावद, रनायल,अवन्तिपुर बड़ोदिया, सुनेरा, पगरवद कलां, दुपाड़ा, खरदोनकलां, खोकरकलां, बेहरावल में संघ कार्य की जानकारी अपेक्षित है।।
संघ पर प्रतिबंध
आजादी के पूर्व 1947 में संघ पर 4 दिनों के लिए प्रतिबंध लगाया गया था, और फिर स्वतंत्रता के बाद की भारत सरकार द्वारा तीन बार प्रतिबंध लगाया गया था, पहली बार 1948 में जब हिन्दू महासभा के पूर्व सदस्य नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी; फिर आपातकाल के दौरान (1975-1977); और तीसरी बार 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद संघ पर प्रतिबंध लगाया गया था।स्वतंत्रता के बाद के सभी प्रतिबंध न्यायालय द्वारा संविधान विरुद्ध बताए गए अंततः सरकार को यह प्रतिबंध हटाने पढ़े।
पहला प्रतिबंध
पहले प्रतिबंध के समय शाजापुर नगर में दो जत्थों में सत्याग्रह किया गया था। पहले जत्थे में मदनलालजी पाण्डे के नेतृत्व में २६ व दूसरे जत्थे में ११ स्वयंसेवक थे। जिले से सत्याग्रह करने वाले स्वयंसेवकों की कुल संख्या ८३ थी।
दूसरा प्रतिबंध (आपात्काल)
आपात्काल में ६४ कार्यकर्ताओं को मीसा के काले कानून में बंदी बनाया गया था। इसमें अकेले शाजापुर नगर के ही ५० कार्यकर्ता थे। झोंकर, घुसी के कार्यकर्ताओं को सत्याग्रह करने पर पकड़ा गया था, किन्तु अधिकांश को आपात्काल लगते ही पकड़ लिया गया था। इनको राजगढ़, नरसिंहगढ़ व भैरूगढ़ की जेलों में निरुद्ध कर रखा गया था। नारायण पाण्डे आपात्काल में राजगढ़ की जेल में कैद थे। उन्हें एकान्तवास में रखा गया था।
तीसरा प्रतिबंध (बाबरी मस्जिद विध्वंस)
1992 में अयोध्या कारसेवा के लिए शाजापुर से सेकड़ो कार्यकर्ताओं ने अयोध्या के लिए ट्रेन व बस से कुछ किया था।
कार्यालय
शाजापुर का पहला कार्यालय कसेरा बाजार में सुखराम मास्टर की दुकान के उपर था। इसके पश्चात् सुगंधी गली में वसंतीलाल जैन के मकान में, मदनलालजी पाण्डे के आफिस में, नई सड़क पर वृजवल्लभ के मकान व सोमवारिया में गोवर्धनलाल मंदिर में भी कार्यालय रहा। अप्रैल १९६३ में लालपुरा मोहल्ले में स्वयं का कार्यालय भवन "चेतना" बन जाने के बाद से कार्यालय स्थायी रूप से वहाँ हो गया है। शुजालपुर में संघ कार्यालय पहले किराए के भवन में था अब यह मंडी स्थित स्यवं के भवन
"दत्तात्रेय कुटी" में संचालित है।
शाजापुर जिले में दायित्व लेकर काम करने वाले कार्यकर्ता निम्नलिखित रहे हैं -
आलोक-इस सूची को प्राप्त जानकारी के आधार पर अद्यतन किया जा रहा है-
जिला संघचालक
मा. इंदरमल जैन
मा. सरदारीमल भल्ला
मा.डॉ. जयप्रकाश देशमुख
जिला कार्यवाह
श्री मदनलाल पाण्डे
श्री शैलकुमार
श्री कन्हैयालाल भवसार
श्री गोवर्धनलाल गुप्ता
श्री ओमप्रकाश राठौर
श्री लोकेन्द्रसिंह सिसौदिया
श्री गौरीशंकर सक्सेना
श्री जयरामसिंह पाटीदार
जिला प्रचारक
श्री भैयाजी कस्तुरे
श्री संतोष त्रिवेदी
श्री भगवतशरण माधुर
श्री शिवकांत दीक्षित
श्री महेश चौधरी
श्री विक्रम सिंह
श्री संदीप डांगे
श्री दत्ताजी उननगांवकर
श्री माखनसिंह चौहान
श्री पराग अभ्यंकर
श्री राकेश शर्मा
श्री अखिलेश मिश्र
श्री जितेंद्र पाटीदार
श्री विनय दीक्षित
श्री आशीष पाटीदार
श्री रजत चौहान
श्री ध्रुव वर्मा
जिले से निकले प्रचारक
श्री मिश्रीलाल तिवारी
श्री माखनसिंह चौहान
श्री सालिगराम तोमर
श्री ओम भावसार
श्री कैलाश पाटीदार
श्री प्रभूसिंह राजपूत
श्री नाहरसिंह बाघेला
श्री धीरजसिंह मेवाड़ा
श्री रामप्रसाद आर्य
श्री लखन धनगर
श्री तेजसिंह राजपूत
श्री पुरुषोत्तम चन्द्रवंशी
श्री कैलाश धनगर
श्री राजेन्द्रसिंह राजपूत
श्री चंदरसिंह परमार
श्री अविनाश जी राणे
स्त्रोत: स्वदेश का संघ प्रवाह शाजापुर विभाग विषेषांक फरवरी 2009
तथा मध्यभारत की संघ गाथा