Three child scientists from Shajapur district will read their research paper at the state level.

शाजापुर जिले की तीन बाल वैज्ञानिक राज्य स्तर पर करेगी अपने शोध पत्र का वाचन।

शाजापुर। 12 13 14 जनवरी 2024 को भोपाल के मिलेनियम ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन में होने वाली राज्य स्तरीय राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में इस बार शाजापुर की तीन छात्राएं अपने शोध पत्र के वाचन हेतु चयनित हुई है राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के जिला समन्वयक ओमप्रकाश पाटीदार ने बताया कि शाजापुर में आयोजित जिला स्तरीय आयोजन से पांच परियोजनाओं का चयन राज्य स्तर के लिए हुआ था इनमें से राज्य स्तरीय प्रथम ऑनलाइन चरण में जिले के इटरनल स्कूल ऑफ स्टडीज शाजापुर की आराध्या मेहता, सरदार वल्लभभाई पटेल सी.एम राइज स्कूल शाजापुर की सोनाक्षी माँचल तथा होलकर इंटरनेशनल स्कूल कालापीपल की छात्रा अरम्या सोनी का चयन किया गया यह तीनों छात्राएं शाजापुर जिले का प्रतिनिधित्व राज्य स्तर पर करेगी। छात्रों के चयनित होने पर जिला शिक्षा अधिकारी विवेक दुबे शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय शाजापुर के प्राचार्य प्रवीण कुमार मंडलोई, जिला विंज्ञान अधिकारी दिनेश चंद्र सोनी, सरदार वल्लभभाई पटेल सी.एम राइज स्कूल की प्राचार्य श्रीमती सविता सोनी प्रधानाध्यापक आशीष जोशी इटरनल स्कूल ऑफ स्टडी शाजापुर की प्राचार्य श्रीमती सौदामिनी झाला होलकर इंटरनेशनल स्कूल कालापीपल के प्राचार्य सुमित कुमार शर्मा मार्गदर्शक शिक्षक लोकेंद्र शर्मा, श्रीमती ज्योति  रिणवा तथा धीरेंद्र कंकरवाल ने चयनित बालिकाओं को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए उनकी परियोजनाओं में  लिए सुझाव दिए।


ईटरनल स्कूल का स्टडी शाजापुर की आराध्या  मेहता तथा वंशिका जैन ने सैलून के कचरे से समृद्ध मिट्टी प्रोजेक्ट बनाया उनके प्रोजेक्ट में मानव बाल अपशिष्ट से कम्पोस्ट खाद बनाने की तकनीक पर शौध पत्र तैयार किया है। इस परियोजना में बताया गया है कि मानव बाल, एक प्राकृतिक और आसानी से उपलब्ध संसाधन है, जिसे अक्सर अपशिष्ट के रूप में त्याग दिया जाता है लेकिन इसमें पोषक तत्वों से भरपूर गुण होते हैं जो खाद की गुणवत्ता में योगदान कर सकते हैं। क्योकि बाल एक कार्बनिक पदार्थ है यह अपघटित होकर मिट्टी में पौषक तत्वों की मात्रा बढ़ा कर मृदा की अम्लीयता को नियंत्रित करता है।

बाल से कम्पोस्ट बनाते समय हेयर सैलून, किसानों और मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला से कुछ डेटा एकत्र कर इन आंकड़ों का विश्लेषण किया, तो  पाया कि यह खाद इको-सिस्टम के संरक्षण, लैंडफिल कचरे को कम करने, सैलून के आसपास स्वच्छता बनाए रखने और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए फायदेमंद है।

सरदार वल्लभभाई पटेल सी.एम राइज स्कूल की

सोनाक्षी माँचल तथा साक्षी सूर्यवंशी ने अपने प्रोजेक्ट मे प्राकृतिक रूप से दुषित जल,  शौचालय जल एवं भोजन कक्ष से निकलने वाले जल को सीवेज के माध्यम से शहर से दूर करना तथा जल को पुनः शुद्ध करके उपयोग में लाने के सुलभ तरीको पर चर्चा की है। साथ ही शहर मे स्वच्छता बनी रहे एवं दुषित जल से होने वाली हैजा जेसी घातक बीमारियों की रोकथाम की जा सके। इस प्रोजेक्ट से स्वच्छता के स्तर को बढ़ाने का प्रयास किया है, साथ ही हमारे पर्यावरण को भी स्वच्छ एवं सुरक्षित रखने का संकल्प लिया है।

होलकर इंटरनेशनल स्कूल कालापीपल की अरम्या एवं उनके साथी ऋषभ परमार ने रेलवे क्रॉसिंग पर स्थानीय ट्रैफिक जाम से संबंधित मुद्दे को उजागर करते हुए, प्रौद्योगिकी और तकनीकी नवाचार के संबंध में प्रोजेक्ट तैयार किया है। अरम्या के अनुसार पिछले 50 वर्षों में, मनुष्यों ने अपने पर्यावरण को काफी हद तक बदल दिया है, हालाँकि आजकल सड़कों की स्थिति बहुत अच्छी हो रही है और कई ओवर ब्रिजों के निर्माण के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान तक यात्रा का समय काफी कम हो गया है। भीड़भाड़ वाला यातायात एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा करता है जो किसी देश के विकास में बाधा डालता है। जनसंख्या और मोटर चालित वाहनों में वृद्धि के कारण सड़क मार्ग पर भारी भीड़भाड़ है। बढ़ती जनसंख्या और वाहन, ग्रामीण निवासियों का बेहतर अवसरों की तलाश में महानगरों की ओर पलायन ट्रैफिक जाम का मूल कारण है। रेलवे क्रॉसिंग पर यातायात की भीड़ के प्रबंध के लिए उन्होंने कालापीपल शहर के रेलवे क्रॉसिंग पर यातायात की भीड़ के प्रभावों का विश्लेषण कर महत्वपूर्ण सुझाव दिए  है।


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