सांप:भ्रम और अंधविश्वास

सांप:भ्रम और अंधविश्वास

संकलन
ओम प्रकाश पाटीदार
शाजापुर (म.प्र.)

क्या सांप दूध पीते है?
सांपो से जुडी हुई हमारी प्रथम मान्यता यह है कि सांप दूध पीते है। यहाँ तक की हम  नाग पंचमी और अनेक अवसरो पर उन्हे दूध पिलाते भी है।  तो क्या यह वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से सही है ? इसका जवाब है, नहि। जीव विज्ञान के अनुसार सांप पूरी तरह से मांसाहारी जीव है, ये मेंढक, चूहा, पक्षियों के अंडे व अन्य छोटे-छोटे जीवों को खाकर अपना पेट भरते हैं। दूध इनका प्राकृति आहार नहीं है। सपेरों को जब भी सांप को दूध पिलाना होता है तो वो उन्हे भूखा प्यासा रखते है।  भूखे प्यासे सांप के सामने जब दूध लाया जाता है तो वो इसे पी लेता है लेकिन यह कभी कभी सांप कि मौत का कारण भी  बन जाता है क्योकि कई बार दूध सांप के फेफड़ों में घुस जाता है जिससे उसे निमोनिया हो जाता है। सांप को दूध पिला कर आप पूण्य नहीं अपितु पाप के भागीदार बनते है.

क्या सांप अपने साथी कि मौत का बदला लेते है?
हमारे समाज में ऐसी मान्यता है कि यदि कोई मनुष्य किसी सांप को मार दे तो मरे हुए सांप की आंखों में मारने वाली की तस्वीर उतर आती है, जिसे पहचान कर सांप का साथी उसका पीछा करता है और उसको काटकर वह अपने साथी की हत्या का बदला लेता है। यह सांपो से जुड़ा एक ऐसा अंधविश्वास है जिसका हमारे यहाँ कहनियों और फिल्मो मे जमकर इस्तमाल हुआ है। लेकिन यदि हम बात वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से करे तो इसमें तनिक मात्र भी सच्चाई नहि है। सांप अल्पबुद्धि वाले जीव होते हैं। इनका मस्तिष्क इतना विकसित नहीं होता कि ये किसी घटनाक्रम को याद रख सकें और बदला लें। जीव विज्ञान के अनुसार जब कोई सांप मरता है तो वह अपने गुदा द्वार से एक खास तरह की गंध छोड़ता है जो उस प्रजाति के अन्य सांपों को आकर्षित करती है। इस गंध को सूंघकर अन्य सांप मरे हुए सांप के पास आते हैं, जिन्हें देखकर ये समझ लिया जाता है कि अन्य सांप अपने मरे हुए सांप की हत्या का बदला लेने आए हैं।
क्या सांप बीन कि धुन सुनकर नाचते है?
खेल-तमाशा दिखाने वाले कुछ लोग सांप को अपनी बीन की धुन पर नचाने का दावा करते हैं जबकि ये पूरी तरह से अंधविश्वास है क्योंकि सांप के तो कान ही नहीं होते। दरअसल ये मामला सांपों की देखने और सुनने की शक्तियों और क्षमताओं से जुड़ा है। सांप हवा में मौजूद ध्वनि तरंगों पर प्रतिक्रिया नहीं दर्शाते पर धरती की सतह से निकले कंपनों को वे अपने निचले जबड़े में मौजूद एक खास हड्डी के जरिए ग्रहण कर लेते हैं।सांपों की नजर ऐसी है कि वह केवल हिलती-डुलती वस्तुओं को देखने में अधिक सक्षम हैं बजाए स्थिर वस्तुओं के। सपेरे की बीन को इधर-उधर लहराता देखकर नाग उस पर नजर रखता है और उसके अनुसार ही अपने शरीर को लहराता है और लोग समझते हैं कि सांप बीन की धुन पर नाच रहा है।
क्या सांप मणिधारी होते है?
सांपो से जुडी एक अन्य मान्यता यह है कि कई सांप मणिधारी होते है यानी इनके सिर के ऊपर एक चमकदार, मुल्यवान और चमत्कारी मणि होती है। ये मणि यदि किसी इंसान को मिल जाये तो उसकी  किसमत चमक जाती है। जीव विज्ञान के अनुसार यह मान्यता भी पूरी तरह से अंधविश्वास है क्योंकि दुनिया में अभी तक 3000 से भी ज्यादा प्रजातियों के करोडो सांप पकडे जा चुके है लेकिन किसी के पास भी इस प्रकार कि कोइ मणि नही मिली है। तमिलनाडु के इरुला जनजाति के लोग जो सांप को पकडऩे में माहिर होते हैं वे भी मणिधारी सांप के होने से इंकार करते हैं।
क्या कुछ सांपो के दोनो सिरो पर मुंह होते है?
कभी कभी जेनेटिक चेंज कि वजह से ऐसे सांप तो पैदा हो जाते है जिनके एक सिर कि जगह दो सिर होते है ऐसा इन्सान सहित इस धरती के किसी भी प्राणी के साथ हो सकता है।  लेकिन ऐसा कोई भी सांप नही होता है जिसके दोनो सिरो पर मुंह होते है।  होता यह है की कुछ सांपों की पूंछ नुकीली न होकर मोटी और ठूंठ जैसी दिखाई देती है। चालाक सपेरे ऐसे सांपों की पूंछ पर चमकीले पत्थर लगा देते हैं जो आंखों की तरह दिखाई देते हैं और देखने वाले को यह लगता है कि इस सांप को दोनों सिरों पर दो मुंह हैं।
क्या कुछ सांपो की मुंछे होती है?
सांपो कि एक प्रजाति “हॉर्नड वाईपर” के सिंग तो  होते है पर सांप कि किसी भी प्रजाति के मुंछे नही होती है क्योकि सांप सरीसृप (रेप्टाइल) वर्ग के जीव हैं, इनके शरीर पर अपने जीवन की किसी भी अवस्था में बाल नहीं उगते। होता यह है की सांप को कोई खास स्वरूप देने पर अच्छी कमाई हो सकती है इसी लालच में सपेरे घोड़े की पूंछ के बाल को बड़ी ही सफाई से सांप के ऊपरी जबड़े में पिरोकर सिल देता है। इसके अलावा जब कोई सांप अपनी केंचुली उतारता है तो कभी-कभी केंचुली का कुछ हिस्सा उसके मुंह के आस-पास चिपका रह जाता है। ऐसे में उस सांप को देखकर मुंछों का भ्रम हो सकता है।
क्या उड़ने वाले सांप भी होते है?
वैसे तो सांपो की किसी भी प्रजाति मे उडने का गुण नही होता है। लेकिन भारत और दक्षिण पूर्वी एशिया के वर्षा वनो (रेन फारेस्ट) में एक साँप पाया जाता है जिसका नाम ही फ्लाइंग स्नेक है। हालांकि इनमे भी इनके नाम के अनुरुप उड़ने का गुण नहि होता है। लेकिन इनमे अन्य सांपो से अलग एक विषेश क्वालिटी पाइ जाती है। ये फ्लाइंग स्नेक अपना अधिकांश समय वर्षा वनो के  ऊंचे ऊंचे पेडो पर बिताते है। इन सांपो को जब एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर जाना होता है तो यह अपने शरीर को सिकोड़कर छलांग लगा देते है। जब ये सांप उछलकर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर जाते हैं तो ऐसी प्रतीत होता है कि जैसे ये उड़ रहे हों। हालांकि इस तरह से यह 100 मीटर तक की दुरी तय कर लेते है।
क्या सांप इच्छाधारी होते हैं?
एक और बहुप्रचलित मान्यता जिसका कि हुमारे साहित्य और फिल्मोँ मे जमकर प्रयोग हुआ है वो यह है की कुछ सांप इच्छाधारी होते हैं यानी वे अपनी इच्छा के अनुसार अपना रूप बदल लेते हैं और कभी-कभी ये मनुष्यों का रूप भी धारण कर लेते हैं, ये भी एक मान्यता है जो कि पूरी तरह से गलत है। जीव विज्ञान के अनुसार इच्छाधारी सांप सिर्फ मनुष्यों का अंधविश्वास और कोरी कल्पना है, इससे ज्यादा और कुछ नहीं।
क्या सांपो कि आंखो मे सम्मोहन शक्ति होती है?
कुछ लोग मानते हैं कि सांप की आंखों में किसी को भी सम्मोहित करने की शक्ति होती है यानी सांप जिसकी भी आंखों में देख लेता है वह मनुष्य या अन्य कोई प्राणी उस सांप के आदेश का पालन करता है। यह भी अंधविश्वास और कोरी कल्पना के अलावा कुछ नहीं है।
क्या सभी सांप अंडे देते है?
ऐसा नही है। धरती पर पाए जाने वाले सांपो मे से 70 % सांप (Oviparous)अंडे देते है पर बाकि की 30 % प्रजातिया , इंसानो कि तरह सिधे बच्चे (Viviparous)पैदा करते है

संकलन 
ओम प्रकाश पाटीदार 
शाजापुर 

एक टिप्पणी भेजें

If you have any idea or doubts related to science and society please share with us. Thanks for comments and viewing our blogs.

और नया पुराने