हमारे हाथ पैर क्यो सो जाते है?

लम्बे समय एक स्थिति में रहने पर क्यों सो जाते हैं हाथ, पैर? क्या यह किसी बीमारी के लक्षण है?
Om Prakash Patidar


कुछ देर आराम से बैठने के बाद जब उठे तो पता चला कि पैर सो गया है. ऐसा हाथों के साथ ही होता है, लेकिन क्या ये खतरनाक है?

किसी एक स्थिति में बैठे रहने के बाद जब उठे तो पैर झनझनाने लगता है. ऐसा लगता है जैसे पैर है ही नहीं. लेकिन कुछ देर हिलने डुलने या चलने के बाद ही सब ठीक हो जाता है. बिल्कुल ऐसा ही बाहों के साथ भी होता है. कुर्सी के हत्थे पर बड़ी देर तक हाथ टिकाने के बाद या बिस्तर में बांह के बल सोने या बांह का सिरहाना बनाने से हाथ सो जाता है.
विज्ञान के मुताबिक हाथ पैर सोना आम बात है असल में एक ही पोजिशन में काफी देर तक रहने से कुछ नसें दब जाती हैं, जिनके चलते हाथ पैरों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती. ऑक्सीजन के अभाव में अंग बचाव की मुद्रा में आ जाते हैं और बहुत ही जरूरी काम ही करते हैं. इसका पता मस्तिष्क को भी चलता है और वह ऑक्सीजन के लिए छटपटाते हाथ पैरों की मदद करने करता है. दिमाग झनझनाहट के सिग्नल भेजकर हमें चहलकदमी करने या हिलने डुलने के लिए बाध्य करता है. आम तौर पर हाथ या पैरों का सो जाना आम बात है.
लेकिन अगर हाथ या पैर दिन में कई बार सोने लगें या फिर झनझनाहट खत्म होने में बहुत ही ज्यादा देर लगे तो डॉक्टर के पास जाएं. स्लिप डिस्क, मल्टीपल स्क्लेरोसिस या डायबिटीज के चलते भी ऐसा होता है.

एक टिप्पणी भेजें

If you have any idea or doubts related to science and society please share with us. Thanks for comments and viewing our blogs.

और नया पुराने