आज हम बात करेंगे पदार्थ की चौथी अवस्था के बारें में | आप पदार्थ की तीन अवस्थाओं ठोस, द्रव और गैस के बारें में तो जानते ही होंगे | लेकिन इनके अलावा पदार्थ की एक और अवस्था भी पायी जाती हैं जिसे प्लाज्मा कहते हैं | यह पदार्थ की चौथी अवस्था होती हैं |
विज्ञान के अनुसार – प्लाज्मा आंशिक रूप से आयनीकृत एक गैस हैं | प्लाज्मा में इलेक्ट्रोनो का एक निश्चित अनुपात किसी परमाणु या अणु के साथ बंधा होने के बजाए स्वतंत्र होता हैं | प्लाज्मा में धनावेश और ऋणावेश की स्वतंत्र रूप से गमन करने की क्षमता प्लाज्मा को विधुत चालक बनाती हैं | जिसके परिणामस्वरूप यह कठोरता से विधुत चुम्बकीय क्षेत्रों से प्रतिक्रिया कर लेता हैं |
प्लाज्मा ठोस, द्रव और गैस के गुणों से काफी अलग हैं | इसीलिए इसे पदार्थ की एक अलग अवस्था माना जाता हैं | गैस की तरह ही प्लाज्मा का कोई निश्चित आकार या आयतन नहीं होता | जब तक कि इसे किसी पात्र जैसे – किसी बंद बोतल या ट्यूब में बंद करके न रखा जाये | लेकिन गैस के विपरीत किसी चुम्बकीय क्षेत्र के प्रभाव में यह एक दोहरी परत जैसी संरचनाओं का निर्माण करता हैं |
प्लाज्मा की पहचान सबसे पहले क्रूक्स नली में 1879 में वैज्ञानिक विलियम क्रूक्स द्वारा की गई थी | उन्होंने इसका नाम चमकता पदार्थ रखा | उदाहरण के लिए जब हम बर्फ को गर्म करते हैं तो यह द्रव अवस्था में परिवर्तित हो जाती हैं | तथा और अधिक गर्म करने पर यह द्रव अवस्था से वाष्प अवस्था में बदल जाती हैं | इस प्रकार हम पाते हैं कि किसी पदार्थ को उर्जा देने पर वह ठोस अवस्था से द्रव में और द्रव अवस्था से गैसीय अवस्था में बदल जाता हैं |
जब हम गैसीय पदार्थ को और अधिक गर्म करते हैं तो इसके परमाणुओं से इलेक्ट्रोन तथा प्रोटॉन उत्सर्जित होने लगते हैं | जिससे पदार्थ आयनीकृत हो जाता हैं | और हमें परमाणुओं, इलेक्ट्रोनो, प्रोटॉनो तथा आवेशित कणों की एक गैस मिलती हैं | इसे ही हम पदार्थ की चौथी अवस्था कहते हैं | जिसे हम प्लाजमा भी कहते हैं | प्लाज्मा प्राकृतिक रूप से आकाशीय पिण्डों जैसे – तारों के वायुमंडल और पृथ्वी के वातावरण में पाया जाता हैं | सूर्य जो कि एक तारा हैं इसमें भी पदार्थ की चौथी अवस्था प्लाज्मा पायी जाती हैं |