Om Prakash Patidar
जीवन से जुड़ी कुछ ऐसे मिथक हैं जिन्हें या तो हम नकार देते हैं या फिर उसे सच मानने लगते हैं. कई बार तो ऐसा कि ऐसे मिथकों को हम सालों साल अपने दिमाग लिए फिरते हैं जिसका कोई आधार नहीं है. आइए जानते हैं एक ऐसे मिथक को और इस मिथक के पीछे की क्या रहस्य है.
सांप के काटने वाली जगह पर यदि चूसकर जहर बाहर निकाला जाए तो जहर पूरे शरीर में नहीं फैलता. इस मिथ को सच बनाने में हमारी हिंदी फिल्मों का बड़ा योगदान है. सच्चाई यह है कि अगर आप ऐसा करेंगे तो जगह पर इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.
सांप का जहर क्या है?
सांप में यह जहर कहा से आता है?
साँप दो तरह के होते हैं। जहरीले और बिना जहर वाले। सभी जहरीले साँपों के सिर वाले भाग में विष बनाने वाली संरचना होती है। इस संरचना में एक जोड़ी विष ग्रंथियाँ, इनकी नलियाँ, विषदन्त और पेशियाँ होती हैं।
विष ग्रंथियों से विष सर्प के जबड़े में आता है। ये विष ग्रंथियाँ साँप के ऊपरी जबड़े में आँख के निचले हिस्से में होती है। प्रजाति के अनुसार साँप में ग्रंथियों का आकार अलग-अलग होता है।
इन दोनों ग्रंथियों में पैदा होना वाला विष नलियों के जरिए विषदन्त तक पहुँचता है। ये विषदन्त नुकीले होते हैं और सर्प अपने शिकार के शरीर में इन्हें डालकर विष पहुँचाकर उसे मार देता है।
सर्प का विष साफ और चिपचिपा, पीले और हल्के हरे रंग का द्रव्य होता है। इसकी प्रकृति अम्लीय होती है। सर्प का विष भी दो तरह का होता है। न्यूरोटॉक्सिक और हीमोटॉक्सिक।
न्यूरोटॉक्सिक विष सर्प के शिकार के शरीर में जाने पर श्वसन क्रिया संचालित करने वाली पेशियों के कामकाज को बंद कर देता है जबकि हीमोटॉक्सिक विष शिकार के ऊतकों का विनाश कर देता है और हेमरेज की स्थिति बना देता है।
सांप का जहर क्या है?
सांप में यह जहर कहा से आता है?
साँप दो तरह के होते हैं। जहरीले और बिना जहर वाले। सभी जहरीले साँपों के सिर वाले भाग में विष बनाने वाली संरचना होती है। इस संरचना में एक जोड़ी विष ग्रंथियाँ, इनकी नलियाँ, विषदन्त और पेशियाँ होती हैं।
विष ग्रंथियों से विष सर्प के जबड़े में आता है। ये विष ग्रंथियाँ साँप के ऊपरी जबड़े में आँख के निचले हिस्से में होती है। प्रजाति के अनुसार साँप में ग्रंथियों का आकार अलग-अलग होता है।
इन दोनों ग्रंथियों में पैदा होना वाला विष नलियों के जरिए विषदन्त तक पहुँचता है। ये विषदन्त नुकीले होते हैं और सर्प अपने शिकार के शरीर में इन्हें डालकर विष पहुँचाकर उसे मार देता है।
सर्प का विष साफ और चिपचिपा, पीले और हल्के हरे रंग का द्रव्य होता है। इसकी प्रकृति अम्लीय होती है। सर्प का विष भी दो तरह का होता है। न्यूरोटॉक्सिक और हीमोटॉक्सिक।
न्यूरोटॉक्सिक विष सर्प के शिकार के शरीर में जाने पर श्वसन क्रिया संचालित करने वाली पेशियों के कामकाज को बंद कर देता है जबकि हीमोटॉक्सिक विष शिकार के ऊतकों का विनाश कर देता है और हेमरेज की स्थिति बना देता है।
सांप का जहर कैसे काम करता है?
सांप का नाम सुनते ही हमारे रोंगटे खड़े हो जाते है और अगर सांप दिख जाये तो डर के मारे हमारी हालत खराब हो जाती है। हालाँकि हर सांप जहरीला हो ये जरुरी नहीं और हर सांप के जहर से मौत हो ये भी जरुरी नहीं लेकिन फिर भी सांप एक ऐसा जानवर है जिसका डर सभी को होता है। लेकिन क्या आपको पता है सांप का जहर कैसे काम करता है, कैसे ये हमारे शरीर में फैलकर हमारी मौत का कारण बन जाता है? आइये जानते हैं सांप का जहर कैसे काम करता है और सांप के जहर से जुडी कुछ रोचक जानकारियां।
सांप में एक विष ग्रंथि होती है और उसका जहर उसी में होता है ये विष ग्रंथि सांप के दांत से जुडी होती है जिसे विषदंत कहा जाता है। मानव शरीर में लार ग्रंथि की तरह ही सांप के शरीर में भी लार ग्रंथि होती है जो की विष ग्रंथि में बदल जाती है। दरअसल सांप के भोजन से उसकी विष ग्रंथि में एक द्रव्य पदार्थ बनता है जो उसके विष में बदल जाता है।
अगर सांप का जहर बिना खून में मिले सीधे मुँह के जरिये पिया जाये तो इसका जहर शरीर में नहीं फैलता क्योंकि ऐसे में सांप का जहर हमारे अमाशय में जाता है और अमाशय में पाचक एन्जाइम अम्ल उसे पचा लेते हैं और फिर वो आहार नाल से होता हुआ शरीर के बाहर निकल जाता है जिससे उसका शरीर पर असर नहीं होता। लेकिन अगर ये विष हमारे खून में मिल जाये तो ये जानलेवा हो सकता है इसलिए ऐसी चीज़ें आप बिलकुल भी आजमाकर ना देखें वरना ये जानलेवा हो सकता है।
लेकिन जब सांप किसी को काटता है तो वह अपने विष दन्त से काटता है ऐसे में सांप का जहर हमारे खून में चला जाता है और ये जानलेवा बन जाता है। सांप का जहर जब हमारे खून में मिल जाता है तो ये हमारी मासपेशियों, तंत्रिका तंत्र, रक्त संचरण, हृदय, श्वसन तंत्र आदि पर बेहद बुरा प्रभाव डालता है जिससे अगर समय पर सही उपचार ना मिले तो जान जाने तक का खतरा रहता है। खून में ऐसे पाचक एन्जाइम और अम्ल नहीं होते जो सांप के जहर को पचा सके और ऐसे में ये हमारे शरीर में फ़ैल जाता है और हमारे लिए जानलेवा बन जाता है।