हकलाना और तुतलाना क्या है?

What is Stammering (Stuttering) and Lisping?
Om Prakash Patidar

अपने डर फ़िल्म में शाहरुख खान खान शाहरुख खान का 'डर' फिल्म में का...क...क...क... किरन वाला डायलॉग अवश्य सुना होगा ये डायलॉग लोगो द्वारा काफी पसंद भी किया गया था। वैसे, शाहरुख ने तो फिल्म के लिए यह स्टाइल अपनाया, लेकिन फिल्म स्टार रितिक रोशन वाकई बचपन में हकलाते थे। इसकी वजह से वह स्कूल जाने से भी कतराते थे। वह कोई बहाना बनाकर स्कूल जाने से बचने की कोशिश करते थे। बाद में स्पीच एक्सपर्ट की मदद से उन्होंने अपनी इस कमी को दूर कर लिया और आज वह हमारे चहेते स्टार हैं। इसी तरह ब्रिटिश लेखक जॉर्ज बर्नार्ड शॉ, साइंटिस्ट आइजक न्यूटन, ग्रीक फिलॉसफर अरस्तू को भी बोलने के लिए शब्द नहीं मिलते थे। लेकिन इन लोगों ने अपनी इस कमजोरी पर काबू पाकर अपने लिए अलग मुकाम बनाया। क्या हकलगा वास्तव में बहुत बड़ी समस्या है। आपके मन मे भी यह प्रश्न होंगे-
हकलाना क्या है?
तुतलाना है?
इसका इलाज संभव /असंभव है?
समय के साथ यह समस्या दूर हो जाती है?
यह एक आनुवंशिक रोग है?
यह एक सामाजिक समस्या है?
यह एक वाणी दोष है?
यह एक सामान्य घटना है?
यह एक मानसिक व्याधि है?
यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या है?
आइये इन प्रश्नों का उत्तर जानने का प्रयास करते है-


हकलाना  क्या है?
रुक-रुक कर बोलना, एक ही शब्द को बार-बार बोलना, तेज बोलना, बोलते हुए आंखें भींचना, होठों में कंपकपाहट होना, जबड़े का हिलना आदि। 

तुतलाना  क्या है?
उच्चारण की समस्या होना और साफ नहीं बोल पाना। 'र' को 'ड़' या 'ल' बोलना आदि। 

आइये हकलाने और तुतलाने को विस्तार से जानते है?
हकलाना (Stammering) मानव वाक-शक्ति में एक प्रकार की वाक बाधा होती है जिसमें बोलने वाले न चाह कर भी शब्दों की ध्वनियाँ दोहराता है, उन्हें खींचता है और कभी-कभी अटककर आवाज़ निकालने में असमर्थ हो जाता है। लड़कों में यह स्थिति लड़कियों से दो से पाँच गुना ज़्यादा पाई जाती है

हकलाने के कारण क्या है?

• बोलने में काम आनेवाली मसल्स व जीभ पर कंट्रोल न होना 
• अनुवांशिक कारण ( माता-पिता को है तो बच्चों में होने की आशंका)
• न्यूरोलॉजिकल वजहें यानी दिमाग के लेफ्ट साइड में कुछ गड़बड़ी होना 
• इन्वाइरन्मेंटल वजहें यानी किसी विशेष परिस्थितियों में हकलाना जैसे फोन पर या इंटरव्यू में या फिर किसी का नाम या पता पर या फिर किसी शख्स को देखकर नर्वस होने या एक्साइटमेंट में जीभ पर से कंट्रोल खोना 
• टेंशन, कमजोरी, डर, थकान या अपसेट होने पर भी हकलाहट बढ़ जाती है।

तुतलाना (Lisping ) में आवाज तो सही आती है लेकिन उच्चारण गलत हो जाते है। जैसे -क को ता ,ख को थ ,रोटी को लोटी ,टमाटर को तमतार ,भाटा को भाता , सड़क को सरक बोलने लगता ही उसे तुतलाना कहते है। तुतलाना जीभ, गला दांत एवं ओठ के गलत क्रिया-कलाप से होता है।
जब बच्चा छोटा रहता है तब वह तुतला कर ही बोलता है। माता-पिता को तोतली भाषा सुनकर बहुत अच्छा लगता है। यदि माता-पिता बच्चे को प्यार से बीच-बीच में याद दिलाते रहे कि बेटा तुतला कर मत बोलो अथार्त  रोटी को लोटी मत बोलो। शुध्द रोटी बोलो तब बच्चा धीरे धीरे सुधार करने का प्र यास करता है और ठीक बोलने लगता है लेकिन यदि माता -पिता बच्चे की तोतली भाषा सुनकर बहुत तारीफ करते है तो बच्चा सोचता है कि मै ठीक बोलता हूँ  तभी तो पापा-मम्मी  मेरी तारीफ कर रहे है और बच्चा तोतली भाषा को सुधारने का प्रयास नही करता। धीरे धीरे बच्चा रोटी को लोटी यानि तुतलाकर गलत उच्चारण करने का आदि बन जाता है। जब कुछ बड़ा होता है तब माता -पिता की समझ मे आता है  की बच्चा तुतलाकर बोल रहा है। अब माता-पिता बच्चे को डाटना प्रारम्भ करते है कि शुध्द बोलो लेकिन अब बालक चाहकर भी शुध्द उच्चारण नही कर पाता क्योकि 100 % गलत बोलने का बच्चा आदि बन चुका है  अब यदि माता-पिता ज्यादा डाटेंगे तो बच्चा तुतलाने के साथ साथ बच्चा अटककर यानि हकलाकर भी  बोल सकता है।

तुतलाने के कारण क्या है?

• जीभ का नीचे ज्यादा चिपके रहना 
• सुनने में दिक्कत से सही शब्द नहीं समझ पाना। 
• आईक्यू (IQ) कम होना 
• बच्चा तुतलाकर बोलता है और बड़े लोग भी प्यार में वैसे ही बोलने लगते हैं तो बच्चे और ज्यादा तुतला कर बोलने लगता है। 

यदि आपका बच्चा या छात्र हकलाता या तुतलाता है तो आपको क्या करना चाहिए-

• बच्चा अगर तोतला बोलता है तो उसकी कॉपी बिल्कुल न करें। कई बार लोग प्यार में ऐसा करने लगते हैं और बच्चे को लगता है कि ऐसा करना अच्छा है। फिर धीरे-धीरे यह उसकी आदत बन जाती है। 
• टीचर्स कई बार तुतलाने वाले बच्चे को ज्यादा अटेंशन देते हैं, जिसे देखकर दूसरे बच्चे भी वैसे ही बोलने की कोशिश करने लगते हैं। टीचर सभी बच्चों के साथ एक जैसा बर्ताव करें। 
• बच्चे को दूसरों की बातें गौर से सुनने को कहें। उसे सही से सुनने की आदत होगी, तभी वह सही बोलने की कोशिश भी करेगा। 
• पहले बच्चे को एक शब्द बोलने को कहें। जब उसे सही तरीके से बोलने लगे, तब दूसरा शब्द सिखाएं। 
• कोशिश करें कि बच्चे को हकलाने के बारे में चिंतित न किया जाए। पैरंट्स अपने बच्चे के हकलाने को लेकर परेशान हो जाते हैं और बच्चे को भी कॉन्शस कर देते हैं। इससे बच्चे के विकास पर उलटा असर पड़ता है। 
• बच्चे की बातें काटे बिना धीरज से सुनें। बच्चा जब हकलाता है, तब बीच में टोके नहीं। उसे अपनी बात पूरी करने दें। उस पर झुंझलाएं नहीं। 
• बच्चे को यह लगना चाहिए कि आप उसकी प्रॉब्लम को समझ सकते हैं और उसका हिस्सा हैं। रोजाना बच्चे के लिए अलग से टाइम निकालें। उसके साथ बैठें, खेलें और उसे प्यार से समझाएं। 
• बच्चा जब भी बोले, उस पर ध्यान दें। हालांकि हमेशा उसी पर ध्यान लगाए रखें, यह भी सही नहीं है। इससे उसे फिजूल अटेंशन की आदत बनती है। 
• उसकी तारीफ करें। 'वाह, क्या बात है!' की बजाय 'वाह, तुमने कितनी मदद की' जैसे वाक्य बोलें।

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