अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस

International Biodiversity Day-  
Om Prakash Patidar


संपूर्ण विश्व में 22 मई को ‘अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस’ मनाया जाता है। इसे ‘विश्व जैव विविधता संरक्षण दिवस’ भी कहते हैं।
इस वर्ष का विषय है ‘प्रकृति में ही हमारा समाधान है’।

इतिहास
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर, 2000 को 22 मई को ‘अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस’ के रूप में घोषित किया था। इसके पीछे यूएनओ का मुख्य उद्देश्य यह था की विश्व में सभी लोगो को जैव विविधता के प्रति सतर्क किया जाये जिससे विश्व की जैव विविधताओं को बनी रहे और उसका संरक्षण किया जा सके।

जैव विविधता किसे कहते है?
जैव विविधता, किसी दिये गये पारिस्थितिकी तंत्र, बायोम, या एक पूरे ग्रह में जीवन के रूपों की विभिन्नता का परिमाण है। जैव विविधता किसी जैविक तंत्र के स्वास्थ्य का द्योतक है। पृथ्वी पर जीवन आज लाखों विशिष्ट जैविक प्रजातियों के रूप में उपस्थित हैं।

जैव विविधता वाले देश:
विश्व के समृद्धतम जैव विविधता वाले 17 देशों में भारत भी सम्मिलित है, जिनमें विश्व की लगभग 70 प्रतिशत जैव विविधता विद्यमान है। अन्य 16 देश हैं- ऑस्ट्रेलिया, कांगो, मेडागास्कर, दक्षिण अफ़्रीका, चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, पापुआ न्यू गिनी, फिलीपींस, ब्राज़ील, कोलम्बिया, इक्वेडोर, मेक्सिको, पेरू, अमेरिका और वेनेजुएला। संपूर्ण विश्व का केवल 2.4 प्रतिशत भाग ही भारत में है, लेकिन यहां विश्व के ज्ञात जीव जंतुओं का लगभग 5 प्रतिशत भाग निवास करता है। ‘भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण’ एवं ‘भारतीय प्राणी सर्वेक्षण’ द्वारा किये गये सर्वेक्षणों के अनुसार भारत में लगभग 49,000 वनस्पति प्रजातियाँ एवं 89,000 प्राणी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। भारत विश्व में वनस्पति-विविधता के आधार पर दसवें, क्षेत्र सीमित प्रजातियों के आधार पर ग्यारहवें और फसलों के उद्भव तथा विविधता के आधार पर छठवें स्थान पर है।

जैव विविधता के प्रकार:
जैव विविधता से प्रकृति में मौजूद जीवों और पारिस्थितिकीय तंत्र के अंतर्संबंधों की जानकारी मिलती है। जैव विविधता से जीव, प्रजाति एवं उपयोगी पारिस्थितिक तंत्र के बीच आपसी संबंध हमें कई महत्वपूर्ण उत्पाद देते हैं, क्योंकि जीन, प्रजातियों के घटक हैं, प्रजातियां पारिस्थितिक तंत्र की। जैव विविधता तीन प्रकार की होती है-
एक ही प्रजाति के जीवों में होने वाली विविधताओं को अनुवांशिक विविधता।
प्रजाति विविधता, जिसमें एक ही प्रजाति के जीव एक दूसरे से काफ़ी समानता रखते हैं।
पारिस्थितिकी विविधता, जो आवास एवं जैव समुदाओं के अंतर को प्रदर्शित करती है।
भारत में विश्व का केवल 2.4 प्रतिशत भू-भाग है जिसके 7 से 8 प्रतिशत भू-भाग पर विश्व की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं। प्रजातियों के समृद्धि के मामले में भारत स्तनधारियों में 7वें, पाक्षियों में 9वें और सरीसृप में 5वें स्थान पर है।
विश्व के 11 प्रतिशत के मुकाबले भारत में 44 प्रतिशत भू-भाग पर फसलें बोई जाती हैं। भारत के लगभग 23.39 प्रतिशत भू-भाग पर पेड़ और जंगल फैले हुए हैं।

एक टिप्पणी भेजें

If you have any idea or doubts related to science and society please share with us. Thanks for comments and viewing our blogs.

और नया पुराने