आप सोच रहे होने की आज कछुए की बात क्यो हो रही है। आज यानी 23 मई को विश्व कछुआ दिवस मनाया जा रहा है।
विश्व कछुआ दिवस कब और क्यो मनाते है?
हर साल 23 मई को अमेरिका के एक गैर-लाभकारी संगठन अमेरिकन टोरटोइज रेस्क्यू द्वारा World Turtle Day यानि विश्व कछुआ दिवस मनाया जाता है। इस दिन को वार्षिक रूप से लोगों को कछुओं का संरक्षण करने और दुनिया भर में उनके पाए जाने वाले स्थानों के लुप्त होने के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है ताकि उन्हें बचाया जा सके। इस दिन को पहली बार वर्ष 2000 में मनाया गया था।
विश्व कछुआ दिवस का इतिहास
सन् 2000 से विश्व कछुआ दिवस का आयोजन होने लगा। कछुओं की विभिन्न प्रजातियों को बचाने के लिए अमेरिका के एक गैरलाभकारी संगठन अमेरिकन टॉर्टवायज रेस्क्यु की स्थापना की गई। इस संगठन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य विश्वभर के कछुओं का संरक्षण है। विभिन्न देश के लोग सन् 2000 के बाद से ही कछुओं की रक्षा के प्रति जागरूक हो गए।
विश्वभर में कछुओं की घटती संख्या को देखते हुए लोगों में इनके संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए प्रतिवर्ष विश्व कछुआ दिवस मनाया जाने लगा। 23 मई को पूरा विश्व मिलकर इस दिन को मनाता है। कछुआ एक ऐसा जानवर है, जिसे कई सारे लोग शुभ मानते हैं और उनकी कई प्रजातियों को घर पर भी रखा जा सकता है। बाजारों में महंगे- महंगे भावों में भी कछुओं की बिक्री होती है।
कछुए इस धरती पर कबसे है?
कहा जाता है कि कछुओं की प्रजाति विश्व की सबसे पुरानी जीवित प्रजातियों में से है, ये लगभग 200 मिलियन पुरानी है और ये प्राचीन प्रजातियां चिड़ियों ,सांपों और छिपकलियों से भी पहले धरती पर अस्तित्व में आ चुकी थी। जीववैज्ञानिकों के मुताबिक, कछुए इतने लंबे समय तक सिर्फ इसलिए खुद को बचा सके क्योंकि उन्हें एक ऐसा कवच दिया गया है जो कि उन्हें सुरक्षा प्रदान करता है।
पृथ्वी पर समुद्री कछुओं की सात प्रजातियाँ हैं। इनके नाम हैं – केम्प्स रिडले (Kemp’s Ridley), हॉक्सबिल (Hawksbill), फ्लैटबैक (Flatback), ग्रीन (Green), लॉगरहेड (Loggerhead), लेदरबैक (Leatherback) और ओलिव रिडले (Olive Ridley)।
समुद्री कछुए सहित, दुनिया में कछुए की लगभग 356 प्रजातियाँ हैं। वे दोनों खारे पानी के साथ-साथ मीठे पानी पर भी रहते हैं। कछुओं की सभी सात समुद्री प्रजातियां लुप्तप्राय हैं और विलुप्त होने के कगार पर हैं।
कछुए की औसत उम्र कितनी होती है?
कछुआ पृथ्वी पर सबसे अधिक दिनों तक जीवित रहने वाला जीव माना जाता है। रेंगनेवाले यानी सरीसृप जीवों की श्रेणी में आने वाले इस जीव की उम्र 150 वर्ष से भी अधिक मानी जाती है। सबसे अधिक वर्षो तक जीवित रहने वाला कछुआ हनाको कछुआ था, जो लगभग 226 वर्षो तक जीवित रहा। इसकी मृत्यु 17 जुलाई 1977 को हुई थी। प्रजातियों के आधार पर, कछुओं का जीवनकाल 30- 100 वर्ष होता है।
कछुए क्या खाते है?
प्रजातियों के आधार पर कछुए शाकाहारी या मांसाहारी या सर्वाहारी हो सकते है। लेकिन आमतौर पर समुद्री कछुए सर्वाहारी होते हैं और वनस्पति और समुद्री जानवरों दोनों को खाते हैं और आमतौर पर पालतू कछुए शाकाहारी होते हैं।
झीलों और समुद्र में पाए जाने वाले जंगली कछुए, मछली, झींगुर, मकड़ियों, घोंघे, क्रेफ़िश और अन्य छोटे समुद्री जानवरों को खाते हैं। इसके अलावा जब जंगली कछुए जमीन पर होते हैं, तो वे घास, जंगली फूल, पत्ते खाते हैं।
पालतू कछुओं को समुद्री जानवर नहीं मिल सकते हैं और वे आमतौर पर सब्जियों, फलों और फूलों पर निर्भर रहते हैं। प्रोटीन के लिए, पालतू कछुओं को उबले अंडे, घोंघे, झींगुर और केंचुए की आवश्यकता होती है।
कछुवे का संरक्षण क्यो आवश्यक है?
भारत में कछुए को विष्णु का अवतार माना जाता है. लेकिन दूसरे देशों की तरह वहां भी उसका भविष्य खतरे में है, क्योंकि उसके मांस, अंडे और चमड़े की बड़ी मांग है.
कछुए का उपयोग खाने के लिए भी किया जाता है। बढ़ती मांग के कारण ट्रॉपिकल देशों में समुद्र तटों पर कछुओं की तादाद तेजी से गिर रही है। भारत सहित कुछ देशों में धार्मिक अंधविश्वास व अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी ऊची कीमत के कारण इनकी तस्करी होने से इनकी प्रजाति पर संकट आ गया है। कछुवे जलीय इकोसिस्टम का महत्वपूर्ण घटक है। अतः उनका संरक्षण बहुत आवश्यक है।
अंग्रेजी में इन्हें Tortoise and Turtle कहते है। इन दोनों में क्या अंतर होता है?
टर्टल (Turtle) और टोटॉयज (Tortoise) के बीच मुख्य अंतर यह है कि टोटॉयज जमीन पर रहता है जबकि टर्टल पानी में रहते हैं। हालांकि, टर्टल समय-समय पर जमीन पर आते हैं, लेकिन ज्यादातर पानी के नीचे रहते हैं।
आइये कछुए के बारे में कुछ रोचक जानकारी को जान लेते है।
- कछुए कछुए ठंडे खून वाले (Cold Blooded) समुद्री सरीसृप (Reptile) होते हैं। उनकी पीठ पर एक विशेष मजबूत आवरण (शैल) होता है जो ढाल का काम करता है। शेल उन्हें विभिन्न शिकारियों से बचाता है। कछुओं की अधिकांश प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं और उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है।
- कछुए 120 मिलियन वर्षों से पृथ्वी पर हैं। वे सांप, छिपकली और यहां तक कि मगरमच्छ से पहले विकसित हुए थे।
- धरती पर हर महाद्वीप पर कछुए रहते हैं, सिवाय अंटार्कटिका के। अंटार्कटिका इन ठंडे खून वाले जानवरों के लिए बहुत ठंडा है।
- कछुओं के कान नहीं होते हैं, लेकिन वे बहरे नहीं होते हैं। वे कंपन और आवृत्तियों के माध्यम से सुन सकते हैं।
- कछुओं की सबसे बड़ी प्रजाति लेदरबैक है। वे 8 फीट तक लंबे हो सकते और लगभग 2000 पाउंड वजन कर सकते हैं।
- कछुओं के एक समूह को गठरी/ बेल (Bale) कहा जाता है।
- कछुए के बच्चे को ‘हैचलिंग’ (Hatchling) कहा जाता है।
- कछुए एक बार में 150 से अधिक अंडे दे सकते हैं। एक गुच्छा में उनके अंडे को ‘क्लच’ (Clutch) कहा जाता है।
- कछुओं का लिंग तापमान द्वारा निर्धारित होता है। यदि घोंसले का तापमान गर्म है और 88 डिग्री फ़ारेनहाइट के आसपास है, तो हैचलिंग एक मादा कछुआ होगी। यदि तापमान ठंडा है और लगभग 82 डिग्री फ़ारेनहाइट है, तो हैचलिंग एक नर कछुआ होगा।
- कछुओं का वजन प्रजातियों से प्रजातियों में भिन्न होता है। लेदरबैक समुद्री कछुए का वजन लगभग 250-700 किलोग्राम होता है। जबकि धब्बेदार केप कछुए का वजन लगभग 95- 160 ग्राम होता है।
- मादा कछुए समुद्र तट पर अंडे देती हैं और समुद्र में लौट आती हैं। वे मिट्टी में अंडे को गाड़ देती है और उन्हें खुद से जीने के लिए छोड़ देती हैं
- कछुए अपनी पीठ के माध्यम से ऑक्सीजन को अवशोषित कर सकते हैं। यह शेल उन्हें लंबे समय तक पानी के नीचे रहने के लिए अनुकूलित करता है और वे पानी के नीचे भी हाइबरनेट(निष्क्रिय) रह सकते हैं।
- कछुओं के दांत नहीं होते। वे भोजन काटने के लिए जबड़े का उपयोग करते हैं।
- कछुए के सबसे पुराने जीवाश्म को ‘डेसमोचोइलिस पिल्लई’ (Desmatochelys Padillai) कहा जाता है। यह आधुनिक समुद्री कछुए की तरह था और 6 फीट लंबा था।
- गोल्डन कछुआ एकमात्र कछुआ है जो बर्फीले झीलों के नीचे तैर सकता है। यह आमतौर पर ग्रेट लेक क्षेत्र में पाया जाता है।
- कछुए एकजुटता वाले जानवर हैं। वे ज्यादातर समय पानी के अंदर अकेले रहते हैं। वे ज्यादातर संभोग के मौसम के दौरान बाहर आते हैं।
- मत्स्य पालन कछुओं के लिए बड़ा खतरा है। कछुए के अंडों की अवैध कटाई, कछुए का अवैध उत्पादन और समुद्री प्रदूषण कछुए के लिए खतरा हैं।
- कछुओं के अंडों को 2- 3 महीने (60 दिन) हैच होने में लगते हैं।
- कछुए का आकार भी अलग- अलग प्रजातियों में भिन्न होता है। लेदरबैक समुद्री कछुआ 1.8- 2.2 मीटर लंबा होता है। जबकि धब्बेदार केप कछुआ केवल 6- 8 सेमी होता है।

बहुत बढ़िया और सम्पूर्ण जानकारी। मैने कभी भी एक ही प्राणी के बारे में एक साथ इतनी जानकारी नहीं देखी थी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंकछुए के बारे में जानकारी प्राप्त कर अच्छा लगा धन्यवाद
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंकछुए के बारे मे जानकर बहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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