थूकने से स्वास्थ्य पर क्या विपरीत प्रभाव पड़ता है?
आपने कुछ लोगो को सार्वजानिक स्थल पर थूकते देखा होगा।
उनका थूकना हमे असभ्य व्यवहार लगता है। क्या थूक शरीर में बनने वाला अपशिष्ट
पदार्थ है, इसे थूकना आवश्यक है? क्या थूकने से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता
है? आइये इन प्रश्नों के उत्तर जानते है।
हमारे शरीर मे
उपस्थित लार ग्रंथियों से निकलने
वाले लसलसे पदार्थ को लार (Saliva) कहते है। लार के झागदार
रूप को सामान्य रूप से थूक (Spit)
कहा
जाता है। मानव लार 98% पानी से बना होता है, जबकि इसका शेष 2% भाग अन्य यौगिक जैसे
इलेक्ट्रोलाईट, बलगम, जीवाणुरोधी यौगिकों तथा एंजाइम से बना होता है। भोजन को चबाते समय लार भोजन के साथ
मिश्रित होकर भोजन की लुग्दी बनाता है ताकि भोजन को आसानी से निगला जा सके। लार में एमाइलेज
(टाइलिन) एंजाइम होता है यह एंजाइम स्टार्च के पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता
है। इसके अतिरिक्त लार मुह में जीवाणुओं को पनपने से भी रोकती है।
मुहं
में कडवाहट या बलगम बनने की स्थति में कभी-कभी थूकना सामान्य प्रक्रिया हो सकती है
लेकिन अनावश्यक रूप से ज्यादा थूकने से मुँह में लार की कमी होने लगती है। लार के
आभाव में स्टार्च का पाचन प्रभावित होगा इस कारण से कब्ज तथा अपच (Indigestion) से समस्या उत्पन्न
होगी। इसके अतिरिक्त लार के आभाव में गला सूखने की स्थिति में मुहं में जीवाणु
पनपने से मुहं में बदबू, दांतों तथा मसूड़ों का ख़राब होना जैसी समस्या उत्पन्न होने
लगती है।