Why doesn't a horse sleep on the ground?

 

घोड़ा जमीन पर क्यों नहीं सोता है?



हम सभी ने अक्सर घोड़ों को खड़े-खड़े सोते देखा होगा। इस दौरान आपके मन में प्रश्न आया होगा कि घोड़े खड़े-खड़े कैसे सो लेते है? क्या घोड़ा कभी सोता नहीं है?

कुछ लोगों का मानना है कि घोड़ा कभी भी सोता नही है। लेकिन ऐसा नहीं है कि घोड़ा कभी सोता ही नहीं है। हर जानवर की तरह घोड़ा भी सोता है। घोडा 24 घंटे में औसत 3 घंटे में अपनी नींद को पूरा कर लेता है।

जैव विकास के अनुसार पहले घोड़े जंगलों में रहते थे। तब वे शेर, भेड़िये, लकड़बग्घे जैसे जानवरों के आक्रमण से बैठ कर या लेट कर सोते समय खुद को बचा नहीं पाते थे। क्योकिं उन्हें उठ कर भागने में समय लग जाता था। ऐसे में अपनी सुरक्षा के लिए उन्होंने खड़े होकर सोने की आदत डाली। घोड़ों की विशेषता है कि दिनभर में वे ज्यादातर नींद की पूर्ति छोटे-छोटेटुकडो में खड़े-खड़े ही कर लेते हैं। खड़े होकर सोते समय गिरने से बचने के लिए उनके शरीर की हड्डियों में लिगामेंट्स होते हैं जो उनके जोड़ों को मनचाहे समय तक के लिए फिक्स कर देते हैं। जो एक लॉक सिस्टम की भांति कार्य करती है। इस लॉक सिस्टम को स्टे अप्रेटस (Stay Apparatus) कहते है। स्टे अप्रेटस लिगामेंट्स, टेंडन तथा मसल्स का समूह होता है जो घोड़े के पैर की संधियों (Joints) को लॉक कर देता है। इसी स्टे अप्रेटस के कारण से घोड़ा अपनी तीन टांगो पर खड़ा रहकर बारी बारी से चोथी टांग को आराम देता है। इसी कारण घोड़े आराम से खड़े होकर बिना गिरे सो लेते हैं। घोड़े के अलावा ज़ेबरा तथा हाथी भी खड़े खड़े अपनी नींद पूरी कर लेते है

घोड़े हमेशा खड़े-खड़े ही सोते हैं, यह धारणा पूरे तौर पर सही नहीं है हाँ यह जरुर है कि वह अधिकांश समय में खड़े ही रहते हैं। घोड़ा केवल गहरी नींद की अवस्था में ही लेटता है, इस अवस्था को “REM” (Rapid Eye Movement) अवस्था भी कहते हैं। घोड़े की REM अवस्था बहुत कम समय के लिये ही होती है। कभी कभार ही ऐसा होता है कि घोड़ा आधे घंटे तक लेटा रहा हो। घोड़ा इसलिए भी कम बेठता है क्योकि बैठने की स्थिति में उसका पूरा वज़न गरदन और पेट के बीच के हिस्सा जहां कि श्वसन तंत्र स्थित होता है पर केंद्रित हो जाता है। इस वज़न के कारण वहां दबाव बनता है और हवा का फेफड़ों तक पहुंचना मुश्किल होने लगता है। अगर यह स्थिति 15-20 मिनट से अधिक बनी रहे तो घोड़े के लिए जानलेवा हो सकती है। इसी कारण से घोड़ा अधिकतर समय खड़े-खड़े ही अपनी आदत के अनुसार  नींद की झपकियां लेकर अपनी नींद पूरी कर लेता है।

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